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महासागरीय जलधाराएँ (Ocean Currents) – Competitive Geography

महासागरीय जलधाराएँ (Ocean Currents) – Competitive Geography

Competitive Geography topic – “महासागरीय जलधाराएँ (Ocean Currents)”, is important for all competitive exams like: CET (Common eligibility Test), SSC CGL, SSC CHSL, RRB NTPC, UPSC and other state civil services exams. In these exams, almost 4-5 questions are coming from Geography. Let’s start the topic:

महासागरीय जलधाराएँ (Ocean Currents)

एक निश्चित मार्ग व दिशा में बहुत अधिक दूरी तक महासागरीय जल की बहुत बड़ी मात्रा के प्रवाह को महासागरीय धारा कहते हैं। महासागरीय धाराएँ महासागरों में नदी प्रवाह के सामान होती हैं।

महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति:

महासागरीय जलधाराएँ बनने के मुख्यत: कारण हैं:-

  1. पृथ्वी का घूर्णन
  2. तापमान में भिन्नता
  3. लवणता में अंतर
  4. घनत्व में भिन्नता
  5. वायुदाब व हवाएँ
  6. वाष्पीकरण व वर्षा

पृथ्वी का घूर्णन: पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व दिशा में घूमती है, जिसे पृथ्वी की दैनिक गति कहते हैं। इसी गति के कारण महासागरीय जल में पृथ्वी की गति के विपरीत दिशा पूर्व से पश्चिम की ओर बल उत्पन्न होता है जिससे विषुवत रेखीय धाराएँ (विषुवत जल धाराएँ- विषुवत रेखा से 10 उत्तर या 10 दक्षिणी) उत्पन्न होती हैं।

कुछ जल पृथ्वी की गति की दिशा में अग्रसर हो जाता है, जिससे ‘प्रति विषुवत धारा’ उत्पन्न होती है।

तापमान में भिन्नता: विषुवत रेखा पर वर्षभर सूर्य की किरणें लगभग सीधी पड़ती हैं जिससे महासागरीय जल का तापमान बढ़ जाता है तथा उसका घनत्व कम हो जाता है और इसी वजह से जल फैल जाता है। परिणामस्वरूप, विषुवत जलधारा के रूप में जल में गति प्रारंभ हो जाती है।

लवणता में अंतर: महासागरीय जल की लवणता में भिन्नता पाई जाती है। अधिक लवणता वाला जल अधिक घनत्व वाला एवं भारी होता है और भारी जल नीचे बैठता है। कम लवणता एवं कम घनत्व वाला जल उपर की ओर रहता है, जिसके कारण जलधाराओं की उत्पत्ति हो जाती है।

घनत्व में भिन्नता: लवणता, तापमान, हवाओं की प्रक्रिया, सतह के जल का वाष्पीकरण होना, वर्षा एवं वायुदाब से भी घनत्त्व में परिवर्तन आता है। जिसके, फलस्वरूप धाराओं की उत्पत्ति होती है।

वायुदाब व हवाएँ: महासागर के जल में जहाँ वायुदाब अधिक होता है, वहाँ पर सागरीय जल का तल नीचे होता है और जहाँ वायुदाब कम होता है; वहाँ पर सागरीय जल का तल ऊँचा होता है। जिसके कारण कम वायुदाब के क्षेत्र से जल अधिक वायुदाब की ओर गति करता है,  जिसके परिणामस्वरूप धाराएँ उत्पन्न होती हैं।

  • महासागरीय हवाएँ जब सागर से होकर चलती है तो वायु और जल सतह के बीच उत्पन होने वाला घर्षण बल से सागरीय धाराओं की उत्पत्ति होती है।

वाष्पीकरण व वर्षा: जल सतह पर जहाँ वाष्पीकरण अधिक होता है; वहाँ सागर तल नीचा हो जाता है। अत: उच्च-तल के क्षेत्रों से सागरीय जल निम्न जल-तल की ओर प्रवाहित होने लगता है; जिससे जलधाराओं की उत्पत्ति हो जाती है।

  • अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में सागरीय जल स्तर में वृद्धि हो जाती है। इन जल स्तर वृद्धि क्षेत्रों से जल निम्न वर्षा तथा निम्न जल-तल वाले भागों की ओर प्रवाहित होने लगता है, जिससे जलधाराएँ उत्पन्न होती हैं।

महासागरीय धाराओं के प्रकार:

गहराई के आधार पर महासागरीय धाराएँ दो प्रकार की होती हैं:-

  1. सतही/उपरी जलधारा: ये धाराएँ महासागर में 400 मी० की गहराई तक उपस्थित है। सतही जलधारा महासागरीय जल का 10 प्रतिशत भाग है।
  2. गहरी जलधारा: उच्च अक्षांशीय क्षत्रों में, जहाँ तापमान कम होने के कारण अधिक घनत्व होता है जिसके कारण पानी नीचे की तरफ बैठता है, वहाँ गहरी जलधाराएँ बहती है।
    • ये (गहरी जलधाराएँ) महासागरीय जल का 90 प्रतिशत भाग हैं।

महासागरीय धाराओं को तापमान के आधार पर दो भागों में विभाजित किया गया है:-

  1. ठंडी जलधारा 
  2. गर्म जलधारा 

    महासागरीय जलधाराएँ-sukrajclasses.com

ठंडी जलधारा: ठंडी जलधाराएँ दोनों गोलार्धों में उच्च अक्षांशों से निम्न अक्षांशों की ओर चलती हैं अर्थात् हम कह सकते हैं कि ये धाराएं ध्रुवों से भूमध्य रेखा की ओर चलती हैं। इन धाराओं का जल ठंडा होता है और इन जलधाराओं का तापमान मार्ग में आने वाले जल के तापमान से कम होता है। अतः ठंडी जलधाराएँ जिन क्षेत्रों से गुजरती हैं, उन क्षेत्रों और आसपास के क्षेत्रों का तापमान कम कर देती हैं।

  • प्रशांत महासागर की ठंडी जलधारा
    • क्यूराइल विषुवत रेखीय जलधारा
    • कैलिफोर्निया की जलधारा
    • पेरुवियन/हम्बोल्ट की जलधारा
    • अंटार्कटिका की जलधारा
  • अटलांटिक महासागर की ठंडी जलधाराएं
    • लेब्राडोर की जलधारा
    • बेंगुएला की जलधारा
    • कनारी जलधारा
    • पूर्वी ग्रीनलैंड की जलधारा
    • फॉकलैंड की जलधारा
    • अंटार्टिका की जलधारा
  • हिंद महासागर की ठंडी जलधाराएं
    • पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया की जलधारा

गर्म जलधाराएँ: गर्म जलधाराएँ दोनों गोलार्धों में निम्न अक्षांशों से उच्च अक्षांशों की ओर चलती हैं अर्थात् हम कह सकते हैं कि ये धाराएं भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर चलती है। इन जलधाराओं का जल गर्म होता है। इन जलधाराओं का तापमान मार्ग में आने वाले जल के तापमान से अधिक होता है। अतः गर्म जलधाराएँ जिन क्षेत्रों से गुजरती हैं, उन और आसपास के क्षेत्रों का तापमान बढ़ा देती हैं।

  • प्रशांत महासागर गर्म जलधारा
    • उत्तरी विषुवत जलधारा
    • दक्षिणी विषुवत जलधारा
    • अलास्का की जलधारा
    • क्यूरोशियो की जलधारा
    • एलनिनो जलधारा
    • सुशीमा जलधारा
    • पूर्वी ऑस्ट्रेलिया की जलधारा
    • उत्तरी प्रशांत जलप्रवाह
  • अटलांटिक महासागर की गर्म जलधारा
    • उत्तरी विषुवत जलधारा
    • गल्फ स्ट्रीम जलधारा
    • फ्लोरिडा जलधारा
    • ब्राजील जलधारा
    • इरमिंजर की जलधारा
    • मोजांबिक की जलधाराएं
    • अगुलहास की जलधारा
    • दक्षिण विषुवत जलधारा
  • हिंद महासागर की गर्म जलधाराएँ
    • मेडागास्कर धारा
    • दक्षिणी पश्चमी मानसून धारा
    • मोजांबिक की जलधाराएं
    • अगुलहास की जलधारा
    • दक्षिण विषुवत रेखीय धारा
    • उत्तर-पूर्वी मानसून धारा
Important Facts about महासागरीय जलधाराएँ (Ocean Currents):
  • कोरियोलिस बल के प्रभाव के कारण उत्तरी गोलार्द्ध में धाराएँ विषुवत रेखा से ध्रुवों की ओर चलती हैं तथा घड़ी की सुई के अनुकूल (दायीं ओर) मुड़ जाती हैं वहीं दक्षिणी गोलार्द्ध में ध्रुवों से विषुवत रेखा की ओर चलती है तथा घड़ी की सुई के प्रतिकुल (अपने बायीं ओर) मुड़ जाती हैं। फलस्वरूप, जल मुड़कर दीर्घ वृत्ताकार रुप में बहने लगता है, जिसे वलय (वृत्ताकार गति) कहते हैं।
  • उत्तरी हिंद महासागर के अलावा सभी महासागरों में जल की धाराओं की दिशा कोरियोलिस बल के प्रभाव में निर्धारित होती है।
  • उत्तरी हिंद महासागर में मानसूनी हवा के कारण एक साल में दो बार दिशा परिवर्तन होता है।
  • हिंद महासागर एक अर्द्ध महासागर है।
  • दक्षिणी हिंद महासागर में धाराओं का प्रतिरूप उत्तरी हिंद महसागार की अपेक्षा अधिक स्पष्ट होता है।
  • जब जल समुंद्री धरातल पर नीचे की ओर जाता है, तो उसे जल का “अप्रवाह” कहते हैं।
  • जब समुंद्री जल नीचे से उपर की तरफ आता है, तो उसे जल का “उत्प्रवाह” कहा जाता है।
  • जिस स्थान पर दो जलधाराएँ मिलती हैं उस स्थान पर प्लेंकटन नामक घास उग जाती है, जो मछलियों के खाने का एक उतम स्त्रोत है।
  • जलधाराओं द्वारा मछली के लिये प्लैंकटन नामक घास का भी परिवहन होता है जो मत्स्यन पालन को बढ़ावा देता है।
  • महासागरीय जल धाराओं के द्वारा जलयानों का परिवहन किया जाता है।
  • ठंडी व गर्म जलधाराओं के मिलने पर कुहरा का निर्माण करते है जो जल यातायात में बाधा उत्पन्न करता है।
  • विश्व की सभी जलधाराओं में गल्फस्ट्रीम जलधारा सबसे तेज़ जल धारा है यह एक गर्म जल धारा है, जो की एंटलीज़ धारा और फ्लोरिडा की धारा से मिलने से बनती है।
  • क्यूरोशियो की गर्म जलधारा को “जापान की काली जलधारा” भी कहा जाता है।
  • उतरी अटलांटिक महासागर में गल्फ स्ट्रीम,कनारी तथा उत्तरी विषुवतीय धाराओं के मध्य के शान्त एवं स्थिर जल के क्षेत्र को “सारगैसो सागर (Sargasso Sea) कहा जाता है।
  • सारगैसो सागर दुनिया का एक मात्र ऐसा सागर है, जिसका कोई किनारा नहीं है अर्थात् इसकी कोई जमीनी सीमा नहीं है।
  • यहां जमीन नहीं होने की बावजूद यहां बड़ी मात्रा में घास पैदा होती है और इस घास को पुर्तगाली भाषा में “सारगैसो” कहा जाता है। इसी घास के नाम पर इस सागर का नाम सारगैसो रखा गया है।
  • सारगैसो सागर को महासागरीय मरुस्थल के नाम से भी जाना जाता है।

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