क्रिया और क्रिया के भेद – हिंदी व्याकरण
इस भाग में हम, हिंदी व्याकरण – Hindi Grammar का विषय – ‘क्रिया और क्रिया के भेद’ के बारे में जानेंगे। हिंदी विषय को बहुत सी प्रतियोगी परीक्षाओं में एक आवश्यक विषय के रूप में लिया जाता है। इन सभी प्रतियोगिताओं में हिंदी विषय में प्रमुख योगदान हिंदी व्याकरण – Hindi Grammar का है, जिसका एक प्रमुख विषय – ‘क्रिया और क्रिया के भेद’ को हम यहाँ पढ़ रहें हैं:-
क्रिया और इसके भेद
क्रिया किसे कहते हैं?
परिभाषा: जिन शब्दों से किसी कार्य के करने या होने का बोध होता है उन्हें “क्रिया” कहते हैं। जैसे कि: पढ़ना, लिखना, दौड़ना, खाना, पीना, सोना, खेलना आदि।
- वर्तमान में होने वाले काम (करने) या फिर भूतकाल में हो चुके कामों (होने) का बोध कराने वाले शब्दों को ही क्रिया कहा जाता है।
- क्रिया समय सीमा के बारे में संकेत (इंगित) देती है।
- हिन्दी में क्रिया के रूप ‘लिंग’, ‘वचन’, और ‘पुरुष’ के अनुसार बदलते हैं।
- क्रिया के रूप की वजह से हमें यह पता चलता है की कार्य वर्तमान में हुआ है, भूतकाल में हो चूका है या भविष्यकाल में होगा।
क्रिया के उदाहरण:
- पवन गाना गाता है।
- रोहित पुस्तक पढता है।
- गीता धीरे-धीरे चलती है।
ऊपर दिए गए वाक्यों में गाता है, पढता है, चलती है आदि शब्द किसी काम के होने का बोध करा रहे हैं। अतः ये शब्द, क्रिया कहलाएगें।
क्रिया का धातु रूप :
क्रिया के मूल रूप को ‘धातु’ कहते हैं। क्रिया का निर्माण धातु से होता है। जब धातु के आगे ‘ना’ लगा दिया जाता है तब क्रिया बन जाती। क्रिया को संज्ञा और विशेषण से भी बनाया जाता है।
जैसे:- ‘पढ़’ धातु में ना जोड़ने से ‘पढ़ना’ बन जाता है वैसे हि:-
- ‘चलना’ में ‘चल’ धातु है।
- ‘ढालना’ में ‘ढल’ धातु है।
- ‘लिखना’ में ‘लिख’ धातु है।
क्रिया के भेद:
कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद है:
- सकर्मक क्रिया
- अकर्मक क्रिया
सकर्मक क्रिया:
‘सकर्मक’ का शाब्दिक अर्थ है – कर्म के साथ। जिस वाक्य में क्रिया को कर्म के होना आवश्यक होती है, उसको सकर्मक क्रिया कहा जाता है अर्थात् जिन क्रियाओं के कार्य का फल कर्म पर पड़ता है, वे सकर्मक क्रियाएँ कहलाती हैं।
- उदाहरण:
- राम फल खाता है।
- कृष्णा सामान लाता है।
ऊपर दिए गए उदाहरणों में “राम” और “कृष्णा” कर्ता हैं जबकि “खाता” और “लाता” क्रिया हैं।
- इसे ऐसे समझें:- जब हम यहाँ क्या में प्रश्न पूछ कर देखतें हैं तो हमें वाक्य में कर्म की उपस्तिथि का पता चलता है। जैसे कि हम पूछतें हैं, राम क्या खाता है? तो कर्म प्राप्त होता है – फल।
सकर्मक क्रिया के भेद :
- एक-कर्मक क्रिया : जिस क्रिया में एक ही कर्म हो तो वह एककर्मक क्रिया कहलाती है।
- जैसे: मोहित बांसुरी बजाता है। इसमें क्रिया (बजाना) का एक ही कर्म (बांसुरी) है। अतः यह एककर्मक क्रिया है।
- द्वि-कर्मक क्रिया : जिस क्रिया में दो कर्म होते हैं वह द्विकर्मक क्रिया कहलाती है। इसमें पहला कर्म सजीव होता है और दूसरा कर्म निर्जीव होता है।
- जैसे: मोहन ने राधा को उपहार दिया। इस उदाहरण में देना क्रिया के दो कर्म है राधा एवं उपहार। अतः यह द्विकर्मक क्रिया है।
अकर्मक क्रिया:
जिस वाक्य में क्रिया को कर्म की आवश्यकता नहीं होती है, उसे अकर्मक क्रिया करते हैं अर्थात् इन क्रियाओं के कार्य का फल कर्ता पर पड़ता है।
- उदाहरण:
- मोहन दौड़ता है।
(इस उदाहरण में “मोहन” कर्ता है और “दौड़ता” क्रिया है।)
-
- गीता गाती है।
(इस उदाहरण में “गीता” कर्ता है और “गाती” क्रिया है।)
- इसे ऐसे समझें:- यहाँ पर हम क्या में प्रश्न पूछ कर देख सकते हैं कि किसी भी वाक्य में कर्म नही है। जब हम पूछते हैं की मोहन क्या दौड़ता है? तो कोई भी कर्म प्राप्त नही होता।
सरंचना के आधार पर क्रिया के भेद:
सरंचना के आधार पर क्रिया के कुल 4 भेद होते हैं, जो कि इस प्रकार है:-
- प्रेरणार्थक क्रिया
- नामधातु क्रिया
- संयुक्त क्रिया
- कृदंत क्रिया
प्रेरणार्थक क्रिया:
जिस क्रिया से यह बोध होता है कि कर्ता स्वयं काम ना करके किसी दुसरे को काम करने के लिए प्रेरित करता है। जैसे: पढवाना, लिखवाना आदि।
- उदाहरण:
- मालिक कर्मचारियों से काम कराता है।
- अध्यापक बच्चों से पाठ पढवाता है।
नामधातु क्रिया:
क्रिया को छोड़कर संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि से बनने वाली धातु को नामधातु क्रिया कहते हैं।
- जैसे:- बात से बतियाना, गर्म से गरमाना आदि।
सयुंक्त क्रिया:
जब एक से अधिक क्रियाएं मिलकर किसी एक पूर्ण क्रिया का निर्माण करती हैं, तो उस क्रिया को संयुक्त क्रिया कहते हैं।
- जैसे:- खा लिया, चल दिया, पी लिया, तुम सो गए (सोए भी, गए भी) आदि।
कृदंत क्रिया:
जब किसी क्रिया में प्रत्यय जोड़कर उसका नया क्रिया रूप बनाया जाए तब वह क्रिया कृदंत किया कहलाती है।
- जैसे:- दौड़ना, भागता, सीखना आदि।
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