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वाच्य और वाच्य के भेद – हिंदी व्याकरण

वाच्य और वाच्य के भेद – हिंदी व्याकरण

इस भाग में हम, हिंदी व्याकरण – Hindi Grammar का विषय – ‘वाच्य और वाच्य के भेद’ के बारे में जानेंगे। हिंदी विषय को बहुत सी प्रतियोगी परीक्षाओं में एक आवश्यक विषय के रूप में लिया जाता है। इन सभी प्रतियोगिताओं में हिंदी विषय में प्रमुख योगदान हिंदी व्याकरण – Hindi Grammar का है, जिसका एक प्रमुख विषय – ‘वाच्य और वाच्य के भेद’ को हम यहाँ पढ़ रहें हैं:-

वाच्य (Voice) और इसके भेद 

परिभाषा:-  क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि वाक्य के अन्तर्गत कर्ता, कर्म या भाव में से किसकी प्रधानता है, उसे वाच्य कहते हैं।

वाच्य के भेद:-

    1. कर्तृवाच्य
    2. कर्मवाच्य
    3. भाववाच्य

कर्तृवाच्य-

क्रिया के जिस रूप से वाक्य में कर्ता की प्रधानता का पता चलता है, वह कर्तृवाच्य कहलाता है। क्रिया का प्रयोग कर्ता के लिंग, वचन, कारक के अनुसार होता है।

जैसे-

  • बच्चा पढ़ता है।
  • हिरण दौड़ता है।

उपरोक्त वाक्यों में ‘बच्चा’, ‘हिरण’ कर्ता हैं तथा इन वाक्यों में कर्ता की ही प्रधानता है। अतः ‘पढ़ता है’, ‘दौड़ता है’ ये कर्तृवाच्य हैं।

कर्मवाच्य –

क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि क्रिया का प्रयोग कर्म के अनुसार (अर्थात् – कर्म की प्रधानता) हुआ है, उसे कर्मवाच्य कहते हैं।

  • इसमें क्रिया का प्रयोग कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार होता है।

जैसे-

  • नेहा द्वारा खाना बनाया जा रहा है।
  • छात्राओं द्वारा हास्य नाटक प्रस्तुत किया जा रहा है।
  • मोहन के द्वारा निबंध पढ़ा गया।

उपरोक्त वाक्यों में क्रियाओं में ‘कर्म’ की प्रधानता दर्शायी गई है।

भाववाच्य

भाववाच्य वाक्यों में भाव की प्रधानता होती है अर्थात् क्रिया के जिस रूप से वाक्य का भाव (क्रिया का अर्थ) ही जाना जाए वहाँ भाववाच्य होता है।

  • इसमें मुख्यतः अकर्मक क्रिया का ही प्रयोग होता है।

जैसे-

  • पूनम से उठा नहीं जाता।
  • मोहन से धूप में चला नहीं जाता।
  • हरेन्द्र से शोर में नहीं सोया जाता।

उपरोक्त वाक्यों में उठा जाता, चला जाता और सोया जाता क्रियाएं भाववाच्य को दर्शाती है।

वाच्य परिवर्तन :–

कर्तृवाच्य के वाक्यों को कर्मवाच्य और भाववाच्य में बदला जा सकता है।

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में परिवर्तन:

  • कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में परिवर्तन करते समय कर्त्ता के बाद ‘से’/द्वारा/के द्वारा’ का प्रयोग करना (जोड़ना) चाहिए।
  • कर्म वाच्य रचना में असर्मथता सूचक वाक्य भी आते है। जिनमें ‘द्वारा’ के स्थान पर प्राय: “से” परसर्ग का प्रयोग होता है।
  • वाच्य परिवर्तन करने पर कर्म को चिह्न-रहित कर देना चाहिए।
  • क्रिया को कर्म के लिंग-वचन-पुरुष के अनुसार प्रयोग करना चाहिए अर्थात वाक्य में कर्म प्रधान होना चाहिए।

उदाहरण:

       कर्तृवाच्य वाक्य           कर्मवाच्य वाक्य
मीरा मधुर गीत गाती है। मीरा द्वारा मधुर गीत गाया जाता है।
राम ने पत्र लिखा। राम द्वारा पत्र लिखा जाता है।
मैं खाना खाऊँगा। मुझ से खाना खाया जाएगा।

वाच्य और वाच्य के भेद – हिंदी व्याकरण

कर्तृवाच्य से भाववाच्य में परिवर्तन:

  • कर्ता के साथ ‘से’ विभक्ति चिह्न जोड़े जाते है।
  • जा धातु के क्रिया के रूपों के काल अथवा समय के अनुसार जोड़ा जाता है ।
  • क्रिया को एकवचन, पुल्लिंग और अन्य पुरुष में परिवर्तित कर दिया जाता है।
              कर्तृवाच्य वाक्य               भाववाच्य वाक्य
मैं खा नहीं सकती। मुझसे खाया नहीं जाता।
रेखा तेज चलती है। रेखा से तेज चला जाता है।
मोहन पढ़ नहीं सकता। मोहन से पढ़ा नहीं जाता।

 

कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य में परिवर्तन:

              कर्मवाच्य वाक्य               कर्तृवाच्य वाक्य
संदीप द्वारा पत्र लिखा जाता है। संदीप ने पत्र लिखा।
मुझसे कार्य किया जाता है। मैं कार्य करुंगा।
पूनम द्वारा मधुर गीत गाया जाता है। पूनम मधुर गीत गाती है।

 

भाववाच्य से कर्तृवाच्य में परिवर्तन:

            भाववाच्य वाच्य              कर्तृवाच्य वाच्य
चिड़िया से दाना नहीं चुगा जाता। चिड़िया दाना न चुग पाई।
राम द्वारा  ग्राउंड में प्रतिदिन दौड़ा जाता है। राम ग्राउंड में प्रतिदिन दौड़ता है।
मोहन से पढ़ा नहीं जाता। मोहन पढ़ नहीं सकता।

नोट: भाववाच्य को केवल कर्तृवाच्य में बदला जा सकता है।

वाच्य और वाच्य के भेद – हिंदी व्याकरण

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