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भारत में कृषि उत्पादन (Agriculture In India) और कृषि के प्रकार

भारत में कृषि उत्पादन (Agriculture in India) और कृषि के प्रकार

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भारत में कृषि उत्पादन (Agriculture in India) और कृषि के प्रकार

भारत को एक कृषि प्रधान देश कहा जाता है क्योंकि यहां कुल श्रम शक्ति का 54% भाग कृषि क्षेत्र में कार्यरत है। परन्तु वर्तमान (2022-23) में कृषि क्षेत्र का भारतीय GDP में (वर्तमान मूल्यों के आधार पर) योगदान केवल 16.5% ही है।

भारत में कृषि के प्रकार और कृषि का वर्गीकरण (Type of Agriculture in India):-

ऋतुओं के आधार पर कृषि का वर्गीकरण:

भारत में अलग अलग ऋतुओं के आधार पर तीन प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं:–

  1. खरीफ की फसल: इन फसलों को बोते समय अधिक तापमान एवं आद्रता तथा पकते समय शुष्क वातावरण की आवश्यकता होती है।
    • खरीफ की फसल मुख्य रूप से ‘मानसून ऋतु’ की फसल है।
    • खरीफ की फसल की बुआई जून-जुलाई माह में तथा कटाई अक्टूबर माह में की जाती है।
    • खरीफ की फसल की प्रमुख खाद्यान्न फसलें हैं– धान, ज्वार, बाजरा तथा मक्का।
    • खरीफ की फसल की प्रमुख दलहन फसलें हैं– मूंग, उड़द, सोयाबीन तथा लोबिया।
    • खरीफ की फसल की प्रमुख तिलहन फसलें हैं– सोयाबीन, मूंगफली, सूरजमुखी, तिल, अरंडी।
    • खरीफ की फसल की प्रमुख नकदी फसलें हैं- कपास तथा तम्बाकू।
  1. रबी की फसल ऋतु: इन फसलों को बुआई के समय कम तापमान तथा पकते समय शुष्क और गर्म वातावरण की आवश्यकता होती है।
    • रबी की फसल ‘शीत ऋतु’ की फसल है।
    • रबी की फसल की बुआई अक्टूबर-नवम्बर में तथा कटाई अप्रैल-मई के माह में की जाती है।
    • रबी की फसल की प्रमुख खाद्यान्न फसलें हैं– गेंहू, जौ।
    • रबी की फसल की प्रमुख दलहन फसलें हैं– मटर, चना।
    • रबी की फसल की प्रमुख तिलहन फसलें हैं– सरसों।
    • रबी की फसल की प्रमुख नकदी फसलें हैं– गन्ना और बरसीम।
  1. जायद की फसल: इस फसलें में तेज गर्मी और शुष्क हवाओं को सहन करने की अच्छी क्षमता होती है।
    • जायद की फसलें, रबी तथा खरीफ की फसलों के बीच के सूखे मौसम में मार्च-अप्रैल में बोई जाती हैं।
    • इस ऋतु काल में फसलें अपने अंदर पानी संचय करती हैं।
    • जायद की प्रमुख फसलें हैं– तरबूज, खरबूजा, खीरा, ककड़ी।
    • जायद ऋतु की फसलों के समय सिंचाई संपन्न वाले क्षेत्रों में मूंग तथा उड़द भी उगाए जाते हैं। अतः मूंग एवं उड़द खरीफ ऋतु के साथ-साथ जायद ऋतु की भी फसल हैं।

जीवन चक्र के अनुसार फसलों का वर्गीकरण:

जीवन चक्र के आधार पर भी फसलें तीन प्रकार से वर्गीकृत की गयी हैं:-

  1. एक वर्षीय फसलें– ये फसलें अपना जीवन चक्र एक वर्ष या इससे कम समय में पूरा करती है। जैसे – धान, गेहू, जौ, चना, सोयाबीन आदि।
  2. द्विवर्षीय फसलें– ये फसलें दो वर्ष में अपना जीवनचक्र पूरा करती हैं।
    • ऐसे पौधे में पहले वर्ष उनमें वानस्पतिक वृद्धि होती है और दूसरे वर्ष उनके फूल और बीज बनते हैं। जैसे – चकुंदर और गन्ना आदि।
  1. बहुवर्षीय फसलें– ऐसे पौधे अनेक वर्षों तक जीवित रहते हैं और इनके जीवन चक्र में प्रतिवर्ष या एक वर्ष के अन्तराल पर फूल और फल आते हैं। जैसे – लूसर्न (Lucerne), नेपियर घास (napier)

उपयोग के आधार पर फसलों का वर्गीकरण:

  1. हरी खाद की फसलें हरी खाद के रूप में लिए फलीदार फसलें अधिक उपयुक्त होती है। जैसे– सनई, ढैंचा, मूंग आदि।
  2. भूमि संरक्षण वाली फसलें ये फसलें अत्याधिक वृद्धि के कारण भूमि को ढक लेती हैं, जिससे हवा एवं वर्षा से होने वाले कटाव से भूमि की रक्षा होती हैं। जैसे– सोयाबीन, लोबिया, मूंग आदि।
  3. नकदी फसलें ये धन कमाने वाली फसलों के नाम से भी जानी जाती हैं। जैसे – गन्ना, आलू, तम्बाकू, सोयाबीन आदि।
  4. सूचक फसलें यह फसलें जो भूमि में पोषक पादार्थों की कमी होने पर तुरन्त उनके ऊपर कमी के लक्षण प्रकट करने लगती हैं। उदाहरण– मक्का

भारत के कृषि जलवायु क्षेत्र:-

योजना आयोग ने जलवायु के आधार पर भारत को कुल 15 ‘कृषि जलवायु क्षेत्रों’ में विभाजित किया था:-

  1. पूर्वी हिमालयी भाग
  2. पश्चिमी हिमालयी भाग
  3. उच्च गांगेय मैदानी क्षेत्र
  4. मध्य गांगेय मैदानी क्षेत्र
  5. निचला गांगेय मैदानी क्षेत्र
  6. गांगेय-पार मैदानी क्षेत्र
  7. पश्चिमी पठार तथा पर्वतीय क्षेत्र
  8. पूर्वी पठार तथा पर्वतीय क्षेत्र
  9. केन्द्रीय पठार तथा पर्वतीय क्षेत्र
  10. दक्षिणी पठार तथा पर्वतीय क्षेत्र
  11. पश्चिमी तटीय मैदानी क्षेत्र और पर्वतीय क्षेत्र
  12. पूर्वी तटीय मैदानी क्षेत्र और पर्वतीय क्षेत्र
  13. पश्चिमी मैदानी क्षेत्र और पर्वतीय क्षेत्र
  14. गुजरात मैदानी क्षेत्र और पर्वतीय क्षेत्र
  15. द्वीप क्षेत्र

हर पौधा एक विशिष्ट जलवायु दशा में ही अपना विकास करता है, जैसे कि:-

  • गेहू एक शीतोष्ण कटिबंधीय पौधा है। अतः इसे जाड़े की ऋतु में ही उगाया जाता है।
  • धान एक उष्ण कटिबंधीय पौधा है। अतः गर्मी में मानसून के समय उगाया जाता है।

भारत की प्रमुख फसलें और उनके सबसे बड़े उत्पादक राज्य:

चावल –  पश्चिम बंगाल

  • पश्चिम बंगाल भारत में चावल का सबसे बड़ा उत्पादक है, इसके बाद उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और पंजाब राज्य आते हैं। बंगाल राज्य में चावल को अक्सर समृद्धि और उर्वरता से जोड़ा जाता है।

हरी सब्जियां पश्चिम बंगाल

  • पश्चिम बंगाल भारत में ताजा सब्जियों का सबसे बड़ा उत्पादक है। इसके बाद उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश हैं। भारत अदरक, भिंडी और आलू, प्याज, फूलगोभी, बैगन और गोभी के निर्यात का सबसे बड़ा उत्पादक है।

जूट पश्चिम बंगाल

  • पश्चिम बंगाल भारत में जूट का सबसे बड़ा उत्पादक है। इसके बाद बिहार, असम और आंध्र प्रदेश आते हैं। कपास के बाद जूट दूसरा सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक फाइबर है और दुनिया में सबसे सस्ती प्राकृतिक फाइबर भी है।

गेहूं उत्तर प्रदेश

  • उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक राज्य है। इसके बाद पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश हैं। गेहूं उत्तर प्रदेश राज्य की प्रमुख खाद्य फसल है और गन्ना मुख्य व्यावसायिक फसल है।

गन्ना उत्तर प्रदेश

  • खरीफ या मानसून की इस फसल (गन्ना) का उत्तर प्रदेश भारत में सबसे बड़ा उत्पादक है। इसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु हैं।

कपास और मूंगफली – गुजरात

  • भारत का गुजरात राज्य कपास का सबसे बड़ा उत्पादक है। इसके बाद महाराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक आते है। देश में कुल कपास उत्पादन में गुजरात का 35% योगदान है।
  • गुजरात, भारत में मूंगफली का भी सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है।

चाय असम

  • असम भारत में चाय का सबसे बड़ा उत्पादक है। इसके बाद पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश और उत्तर भारत के अन्य राज्य हैं।
  • भारत में सबसे लोकप्रिय चाय के प्रकार: असम चाय, नीलगिरी चाय, दार्जिलिंग चाय और कांगड़ा चाय हैं।

कॉफी कर्नाटक

  • कर्नाटक भारत में कॉफी का सबसे बड़ा उत्पादक है। इसके बाद केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश का स्थान है।

दालें/दल्हानें मध्य प्रदेश

  • मध्य प्रदेश भारत का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक राज्य है। इसके बाद उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान हैं।

सोयाबीन और लहसुन मध्य प्रदेश

  • मध्य प्रदेश भारत का सोयाबीन और लहसुन का भी सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है।
  • सोयाबीन को भारत में खरीफ फसल के रूप में उगाया जाता है।
  • भारत के शीर्ष तीन सोयाबीन उत्पादक राज्य हैं- मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान।

रबड़  केरल

  • केरल भारत में रबड़ का सबसे बड़ा उत्पादक है। इसके बाद तमिलनाडु, उत्तर पूर्व राज्य त्रिपुरा और कर्नाटक का नाम आता है।
  • नोट: केरल राज्य काली मिर्च, छोटी इलायची, लौंग और अन्य भारतीय मसालों के साथ-साथ विदेशी फलों का भी सबसे बड़ा उत्पादक है।

मक्का आंध्र प्रदेश

  • केवल आंध्र प्रदेश, भारत के मक्का उत्पादक राज्यों के कुल मक्का उत्पादन का 80% से अधिक का उगाता है। आंध्र प्रदेश के बाद मक्का की खेती करने वाला सबसे बड़े राज्य हैं- कर्नाटक, राजस्थान और महाराष्ट्र।

सूरजमुखी  कर्नाटक

  • सूरजमुखी उत्पादन में भारत के प्रमुख छह राज्यों में से कर्नाटक सबसे बड़ा उत्पादक है। इसके बाद आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, उड़ीसा और तमिलनाडु का नाम आता है।

भारत की अन्य फसलें और उनके सबसे बड़े कृषि उत्पादक राज्य:

  • भारत में सबसे बड़ा केला उत्पादक राज्य है = तमिलनाडु
  • भारत में सबसे बड़ा अमरूद उत्पादक राज्य है = मध्य प्रदेश
  • भारत में सबसे बड़ा अंगूर उत्पादक राज्य है = महाराष्ट्र
  • भारत में सबसे बड़ा सेब उत्पादक राज्य है = जम्मू और कश्मीर
  • भारत में सबसे बड़ा नारियल उत्पादक राज्य है = तमिलनाडु
  • भारत में सबसे बड़ा सुपारी उत्पादक राज्य है = कर्नाटक
  • भारत में सबसे बड़ा कोको उत्पादक राज्य है = केरल
  • भारत में सबसे बड़ा काजू उत्पादक राज्य है = महाराष्ट्र
  • भारत में सबसे बड़ा लीची उत्पादक राज्य है = बिहार
  • भारत में सबसे बड़ा बैंगन उत्पादक राज्य है = ओडिशा
  • भारत में सबसे बड़ा मसाला उत्पादक राज्य है = आंध्र प्रदेश
  • भारत का सबसे बड़ा अखरोट उत्पादक राज्य है = जम्मू और कश्मीर

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

  • जनवरी 2016 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को केंद्र सरकार द्वारा प्रारंभ किया गया था।
  • उद्देश्य: इस योजना का मुख्य उद्देश्य फसल का नुकसान होने की स्थिति में किसानों को बीमा लाभ देना, किसानों की आय को स्थिर बनाना और किसानों को खेती के आधुनिक तौर-तरीके अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना इत्यादि है।
  • इस योजना के अंतर्गत अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसल उगाने वाले सभी किसान आते हैं, जिसमें काश्तकार और बटाईदार किसान भी शामिल हैं।
  • अधिसूचित फसलों में अनाज, दालें, तिलहन, सब्जियां, मसाले इत्यादि शामिल हैं।
कृषि से जुड़े कुछ प्रमुख तथ्य (Important Facts of Indian Agriculture):
  • विश्व में चावल उत्पादन में चीन के बाद भारत का दूसरा स्थान है। भारत में खाद्यानों के अंतर्गत आने वाले कुल क्षेत्र के लगभग 47% भाग पर चावल की खेती की जाती है।
  • विश्व में गेहूं के उत्पादन में चीन के बाद भारत का दूसरा स्थान है। देश की कुल कृषि योग्य भूमि का लगभग 15% भाग पर गेंहू की खेती की जाती है।
  • देश में गेंहू के उत्पादन में उत्तरप्रदेश का प्रथम स्थान है जबकि प्रति हेक्टेयर उत्पादन में पंजाब का स्थान प्रथम है।
  • भारत में हरित क्रांति को लाने का श्रेय ‘डॉ० एम. एस. स्वामीनाथन’ को जाता है।
  • भारत में हरित क्रांति की शुरूआत 1967-68 ई० में हुई।
  • भारत की द्वितीय हरित क्रांति 1983-84 में हुई जिसमें अधिक आनाज उत्पादन, निवेश एवं कृषकों को दी जाने वाली सेवाओं का विस्तार हुआ।
  • भारत को 15 कृषि जलवायुवीय क्षेत्रों में विभाजित किया गया है।
  • खरीफ की फसल को जून-जुलाई में बोया जाता है तथा अक्टूबर-नवम्बर में काट लिया जाता है।
  • रबी की फसल मुख्य रूप से शीत ऋतु की फसल है, जिसे अक्टूबर-नवम्बर में बोया जाता है तथा अप्रैल-मई में काट लिया जाता है।
  • रबी की फसल ऋतु और खरीफ की फसल ऋतु के बीच बोई जाने वाली फसल को जायद की फसल कहा जाता है।
  • तिलहन प्रौद्योगिकी मिशन की स्थापना 1986 में हुई।
  • आम, केला, चीकू, खट्टे नींबू, काजू, नारियल, काली मिर्च, हल्दी के उत्पादन में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है।
  • भारत विश्व में उर्वरक (फर्टिलाइजर) का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता देश है।
  • खेतों को कीट-पतंगों तथा खरपतवारों से बचाने के लिए मुख्य फसल के साथ जो फसल उगाई जाती है, उसे “ट्रैप क्रॉप (Trap Crop)” कहा जाता है।
  • फलों और सब्जियों के उत्पादन में, दुनिया में भारत का स्थान दूसरा है।

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