आर्थिक बाजार (Market) और बाजार के प्रकार एवं बाजार वक्र (Market Curve)
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आर्थिक बाजार (Market) और बाजार के प्रकार एवं बाजार वक्र (Market Curve)
बाजार (Market) क्या है?
बाजार से तात्पर्य अर्थव्यवस्था का वो विशेष क्षेत्र है, जहां मुख्य रूप से मांग एवं पूर्ति के कारक काम करते हैं तथा क्रय-विक्रय की गतिविधियाँ निष्पादित की जाती हैं।
- आर्थिक बाजार को समझने के लिए मांग (Demand) और पूर्ति (Supply) को जानना आवश्यक है क्योंकि मांग और पूर्ती के नियम बाजार की स्थिति को निर्धारित करतें है।
- मांग (Demand) और पूर्ति (Supply) के नियम
बाजार के प्रकार (Type of Market):-
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एकाधिकार बाजार (Monopoly Market):
- इस तरह के बाजार में केवल एक ही पूर्तिकर्ता होता है।
- ऐसी स्थिति में पूर्ति कम तथा मांग ज्यादा होती है।
- एकाधिकार बाजार में विक्रेता को अधिक फायदा होता है तथा उपभोक्ता के पास अन्य कोई विकल्प नहीं होता।
- 1990 के पहले भारत में कुछ इसी तरह की बाजार प्रणाली थी।
- एकाधिकार बाजार में फर्म का मांग-वक्र ऋणात्मक ढलान वाला होता है।
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अल्पाधिकार बाजार (Duopoly Market):
- यह बाजार एकाधिकार की तरह ही है, बस इसमें फर्क यह है कि इसमें एक से अधिक पूर्तिकर्ता होते हैं परन्तु उनकी संख्या सीमीत होती है।
- इसे सीमित पूर्तिकर्ता बाजार भी कहा जाता है।
- अल्पाधिकार बाजारो में फर्म के मांग-वक्र का निर्धारण नहीं किया जा सकता।
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प्रतिस्पर्धी बाजार/ खुला बाजार (Competitive or Open Market):
- इस तरह के बाजार में पूर्तिकर्ता एवं उपभोक्ता दोनों ही बहुल मात्रा में होते हैं।
- जब कई पूर्तिकर्ता बाजार में उपस्थित होते हैं तब उपभोक्ता के पास कई विकल्प रहते है, जिससे की उपभोक्ता का अधिक फायदा होता है।
- पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाजार में किसी भी फर्म का मांग-वक्र पूर्णतया लोचशील होता है।
कार्टेल समझौता (Cartel Agreement) क्या है?
जब तीनों बाजार मिलकर आपस में समझौता कर लें, जिससे कि बाजार में एकाधिकार जैसी स्थिति उत्पन्न होने लगे, कार्टेल समझौता कहलाता है।
- दूसरे शब्दों में इसे ऐसे समझें: बाजार की ऐसी परिस्थिति जब, बहुत सारी कम्पनियां समझौता करके उत्पाद या सेवा (Product & Services) की एक ही कीमत को तय कर लेती हैं।
- उदाहरण के लिए- OPEC (Organization of Petroleum Exporting Countries) के सभी सदस्य देश मिलकर आपस में तेल की कीमत तय कर लेते हैं।
बाजार वक्र (Market Curve):-
बाजार वक्र, किसी भी समय बाजार में मांग व पूर्ति पर निर्भर करता है जो (बाजार वक्र) मूल्य, मांग एवं पूर्ति के हिसाब से बदलती रहती है।
इसे समझने के लिए, यहाँ click करें ।
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