![हरियाणा में पहने जाने वाले प्रमुख आभूषण (Traditional Ornaments In Haryana) – Haryana Gk](https://sukrajclasses.com/wp-content/uploads/2020/04/हरियाणा-के-आभूषण-ornaments-sukrajclasses.com_.jpg)
हरियाणा में पहने जाने वाले प्रमुख आभूषण (Traditional Ornaments in Haryana) – Haryana gk
Haryana GK topic – “हरियाणा में पहने जाने वाले प्रमुख आभूषण (Traditional Ornaments in Haryana)”, is important for all competitive exams of HSSC and HCS Exams. Many Questions were asked in previous years exams of Haryana State. Let’s start the topic -हरियाणा में पहने जाने वाले प्रमुख आभूषण (Traditional Ornaments in Haryana).
हरियाणा में पहने जाने वाले प्रमुख आभूषण
( Traditional Ornaments in Haryana)
हरियाणा में पहने जाने वाले प्रमुख आभूषण:
- स्त्रियों के आभूषण
- पुरुषो के आभूषण
स्त्रियों के आभूषण:
सिर के आभूषण:
1. शीश फूल (सिरफूल/सेरज): यह सिर पर पहने जाने वाला आभूषण है जो गोलाकार टिकड़ों से बना होता है| इसे सिर के पीछे बालो में दोनों और सोने के बारीक़ सांकल बांध कर ललाट पर लटकाई जाती है|
2. फूल: यह चाँदी या सोने का बना आभूषण है जो सिर पर बांधा जाता है|
3. सिंगार–पट्टी: यह मस्तक ( माथे ) का आभूषण है| यह पुरे माथे को ढकता है| इसे जूडा, बन्दनी, कोड़ी और विरलता भी कहते हैं| यह चाँदी की बनी होती है|
4. ताग्गा: यह सोने या चाँदी से बना पतले धागे जैसा आभूषण है जिसे माथे पर बांधा जाता है|
5. बोरला: यह मोटे बेर के आकार का सोने या चाँदी का आभूषण है,जो नगीने जड़कर बनाया जाता है| इसे माथे के बीच में लटकता हुआ पहना जाता है | इसके आगे के भाग में छोटे –छोटे दाने उभरे हुए होते हैं तथा पीछे वाले भाग में हुक बना होता है, जिसमे धागा बांधकर महिलांए बालो के मध्य में ललाट पर लटकाते हुए बाँधती हैं|
6. सिरमांग: यह सोने से बना होता है जिसे माँग के बीच में मस्तक पर लटका के पहना जाता है| यह सुहागिन स्त्रीयों के माँग के स्थान पर तिल्ली के आकार का चेन से जुड़ा पहना जाने वाला गहना है| इसलिए इसे सिरमांग भी कहते हैं|
7. केश–पिन: यह सोने या चाँदी से निर्मित होती है| यह केश (बालों) में लगाई जाती है | इसे अंग्रेजी के किल्प शब्द को विकृत कर कलफ़ भी कहा जाता है|
8 . छाज: यह सोने या चाँदी का बना होता है| इसे पूरे माथे पर लटकाया जाता है|
9 . रखड़ी (राखड़ी/पोंची): यह बोर के समान गोलाकार आकृति में होती है परन्तु रखड़ी पर कीमती पत्थर के नगों की जड़ाई की जाती है| यह सिर पर माँग के उपर बाँधा जाता है| रखड़ी के पीछे लगाई जाने वाली सोने के छोटे हुक को सरी या बगडी कहते हैं| रखड़ी को सुहाग का प्रतीक माना जाता है|
10. मौड़: विवाह के अवसर पर दुल्हे व दुल्हन के कान व सिर पर बांधने का मुकट मौड़ कहलाता है|
11. टीका-तिलक: दो इंच परिधि का सोने की परत का बना हुआ फूल जिसमें नगीनों की जड़ाई की जाते है, टीका/तिलक कहलाता है| इसे महिलाएं सोने की सांकली से माँग भरने की जगह पर लटकाती है|
12. गोफण: यह स्त्रियों के बालों की वेणी (यानी छोटी – छोटी लटें), में गुंथा जाने वाला आभूषण है|
13. मैमद: स्त्रियों के माथे पर पहने जाने वाला आभूषण| इस पर कई लोक गीत भी गाये जाते हैं|
नाक के आभूषण:
1. बेस्सर: यह नाक के मध्य में पहना जाने वाला आभूषण है, जिसे आमतौर पर छोटी नथ भी कहते हैं|
2. नाथ/नथ: यह सोने से निर्मित होती है| इसे पहनने के लिए नाक के बांयी और छेद करवाया जाता है| यह आकार में बड़ी होती है| इसे विवाहीत स्त्रियों द्वारा पहना जाता है|
3. कोका: यह सोने चाँदी या जडाऊ हीरे से बना दाने के आकार का एक आभूषण है, जिसे महिलाओं द्वारा नाक के बाँयीं और पहना जाता है|
4 . लौंग: यह सोने या चाँदी से निर्मित लौंग के आकार का लंबाई में बना गहना है| जिसे नाक और कान में पहना जाता है| इसमें ऊपर घुंडीदार नगीना लगा होता है जो आमूमन लाल या सफ़ेद रंग का होता है|
5. पुरली: यह लौंग से बड़ा, गोलाकार और छिद्रदार आभूषण है, जिसे नाक के बाँयी और पहना जाता है|
6.नथली: नथ का छोटा रूप नथली कहलाता है|
7. बेसरि: यह सोने की तार का बना होता है जिसमें नाचता हुआ मोर बना होता है, ग्रामीण महिलाएं इसके एक डोरा बांध कर सिर के बालों में फंसाकर नाक में पहनती है|
8. भँवरा: लौंग के बड़े आकार को भँवरा कहते हैं, इसे ज्यादातर बिश्नोई महिलाएं नाक में पहनना पसंद करती है|
9. नक्सेर: नाथ की तरह छोटी बाली नक्शेर कहलाती है, जिसमें मोती पेरोया जाता है| कुंवारी लड़कियों में इसका ज्यादा प्रचलन है, इसे ‘नाक की बाली’ भी कहते हैं|
कान के आभूषण:
1 . बूजली: यह चाँदी या सोने से निर्मित होती है| यह गोलाकार आकृति की होती है, जो किसी सिक्के के आकार की होती है| इसे आमतौर पर बुजुर्ग महिलायों द्वारा कान में पहना जाता है|
2 . ढेडे: यह चाँदी के बने होते है, जिसे कानों में पहना जाता है|
3 . कर्णफूल: यह सोने या चाँदी द्वारा निर्मित आभूषण है, जो स्त्रियों द्वारा कान के निचले हिस्से में पहना जाता है| यह पुष्पकार आभूषण है जिसके बीच में नगीने जड़े होते हैं |
4 .बाली: यह गोल वलयकार आकार का चाँदी या सोने का आभूषण है, जिसे कान के निचले हिस्से में पहना जाता है|
5. ड़ाडे: यह चाँदी के होते हैं जिसे कानों के पास लटकते हुए पहना जाता है|
6. झुमका: यह सोने से निर्मित है जो महिलयों के कान का एक आभूषण है, जिसे कान में लटका कर पहना जाता है| यह कर्णफूल की तरह होता है लेकिन बीच में सोने के गोल बुँदे होते हैं और इनके चैन भी लगाई जाते हैं|
7. झुमकी: सोने या चाँदी का कर्णफूल या झुमके के आकार का बिना चैन का बना आभूषण है, जिसके निचे छोटी -छोटी घुंघुरियाँ बनी होती है|
8. ओगन्या: कान के ऊपरी हिस्से पर पान के पत्ते के समान सोने या चाँदी का आभूषण ‘ओगन्या’ कहलाता है|
9. गुड़दा: सोने के तार के आगे मुद्रा के आकार का मोती पिरोकर कान में पहना जाने वाला आभूषण है|
10. काँटा: यह सोने या चाँदी की तार से बना आभूषण है जिसके उपर सोने या चाँदी के छोटी घुंडी लगी होती है|
11. पीपल पत्र: कान के ऊपरी हिस्से में सोने या चाँदी का गोलाकार (अँगूठी के आकार का) छेद करके पहना जाने वाला आभूषण पीपल पत्र कहलाता है|
12. बाजपट्टी: कान का आभूषण है जो झुमके के साथ लटका रहता है|
13. कुड़क : यह छोटे बच्चों को सर्वप्रथम कान छेद कर सोने या चाँदी के पतले तार पहनाये जाते है, उन्हें कुड़क कहते है| बाद में इन्हें लूँग, गड़वा या मुरकी पहनाई जाती है|
14. मोरुवर: महिलाओ द्वारा कान में पहना जाने वाला मोर रुपी आभूषण ‘मोरुवर’ होता है, इसे कान से लटकाकर पहना जाता है|
गले के आभूषण :
1. हँसली: यह गले के नीचे स्थित हंसुली नामक हड्डी को सुरक्षा प्रदान करता है| छोटे बच्चों को उनकी हँसुली खिसकाने से बचाने के लिए धातु के मोटे तार को जोड़कर गोलाकार आभूषण हँसली पहनाया जाता है|
2. आड: इसे चौथे फेरे में ननिहाल पक्ष से दुल्हन को पहनाया जाता है|
3. टुस्सी: वर्तमान में प्रचलित गले के नेकलेस की तरह का परन्तु उससे भारी व बड़ी आकृति का आभूषण है इसे ठुसी भी कहते हैं|
4. मटरमाला/मोहनमाला: यह महिलाओं द्वारा पारिवारिक उत्सवों पर पहनी जाने वाली मटर की आकृति के दानों से जड़ित सोने की माला होती है| यह लंबाई में बड़ी होती है|
5. माला: सोने के गोल बीजों का बना गले का आभूषण| यह सोने के अतिरिक्त मोतियों से भी निर्मित होती है| यह मटरमाला से लंबाई में छोटी होती है|
6. गलश्री/गलसरी: यह गले का एक आभूषण है, जिसमें सोने के मोटे मानकों को तीन या पांच पंक्तियों में सूती कपड़े की आधार- पट्टी पर लगाया जाता है| इसे गले से चिपकाकर पहना जाता है|
7. कंठी/कण्डी: यह सोने के मनकों से बनी हुई कण्ठ माला होती है| इसके पेंडेंट में जो लटकन बनी होती है, उसे पीपल के पत्ते की तरह बनाया जाता है और ठप्पा लगाकर उभरी हुई आकृतियाँ बनाई जाती है|
8. जंजीर: यह सोने या चाँदी के बनी श्रंखला या माला होती है, जिसे स्त्री या पुरुष दोनों धारण करते हैं|
9. गुलबंद: महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला एक आभूषण, जिसमें पट्टी पर छोटे तथा सुनहरी पुष्प कली वाले दाने जड़े होते हैं|
10. झालरा: गले में पहना जाने वाला लम्बा हार, जो अधिकतर चाँदी के सिक्कों की डोर में तीन – चार अंगुल के अंतर पर गूंथने से बनता है, जिसमे घुन्घरियां लगी होती है|
11. खूंगाली/हाँसली: सोने या चाँदी के तार का बना गोलाकार आभूषण है| यह मध्य में से चौकार (चौड़ा) तथा किनारों पर पतला होता है| इसमें लगे हुक व कुण्डी को आपस में फंसाकर गले में पहना जाता है| यह गले में स्थित हँसुली नामक हड्डी को सुरक्षा प्रदान करता है|
12 . तांती: किसी देवी देवता के नाम पर कलाई या गले में चाँदी का तार या धागा बांधा जाता है, जिसे तांती कहते हैं|
13. हार: यह गोलाकार रत्नों से जड़ित सोने का आभूषण है, जिसे महिलाएं गले में पहनती हैं| तौलखे हारों से लेकर कई तरह के जैसे चंपाकली, चंदनहार, हंसहार व उर्वशी हारों का उल्लेख मिलता है| हार के बीच में कोई ताबीज या डिजाईनदार टिकड़ा होता है|
14. रामनवमी/नाँवा: यह सोने से बना लम्बा आभूषण है, जिसके दोनों और माँदलियां लगे होते हैं|
15.चंदनहार/रानीहार: यह सोने से निर्मित होता है, जिसमें कई लड़ियाँ और बीच – बीच में कई टीकड़े (आयातकार टुकड़े) होते हैं| यह अभी भी काफी लोकप्रिय हार है|
16. चौकी: यह देवताओं की मूर्ति अंकित गले का आभूषण है| इसे चैन में देवताओं की सोने या चाँदी की बनी मूर्ति के साथ पहना जाता है|
17. तुलसी: छोटे –छोटे मोतियों की माला जिसे तिमणिए व टुस्सी के साथ गले में पहना जाता है, तुलसी कहलाती है|
18. हमेल: सोने से बना हारनुमा आभूषण होता है|
19. मंगलसूत्र: यह विवाहित स्त्रीयों द्वारा सुहाग के प्रतीक के रूप में पहना जाने वाला आभूषण है| यह काले मोतियों के साथ सोने या चाँदी की धातु से बना हारनुमा आभूषण होता है|
20. मुक्तमाला/सुमरगी : प्राचीन काल में आमीर स्त्रीयों में मोतियों के माला का चलन था, जिसे मुक्तमाला या सुमरगी कहते थे| माणिक रत्नों से जड़ी माला ‘माणिक्यमाला’ कहलाती है|
21. माँदिलया (ढोल): ताबीज की तरह या ढोलक के आकार का बना छोटा आभूषण जिसे काले डोरे में पहना जाता है, माँदिलया कहलाता है|
22 . कठला: यह गले का आभूषण है, जिसे आमतौर पर सूती एवं रेशमी धागों को मिलाकर बल देकर बनायी गई डोर में, बड़े –बड़े मोती परोकर बनाया जाता है|
23. पतरी: सोने व चाँदी से बना गले का ताबीज, जिसकी आकृति पान अथवा शहतूत के पत्ते जैसे होती है|
24. बटन: सोने या चाँदी का आभूषण है| सामान्य बटनों के स्थान पर जंजीर के साथ बटन लटके होते हैं| इसे कुर्ता – कुर्ती और कमीज के साथ पहना जाता है|
हाथ के आभूषण
1. आरसी: आईना जड़ित अंगूठी, जिसे स्त्रियाँ दहिने हाथ के अंगूठे में पहनती हैं| छोटा सा आईना एक कब्जे के साथ जुड़ा होता है, जिसे उपर निचे करने से आईना खुलता या बंद होता है|
2. अंगूठी: स्त्री – पुरुषों द्वारा सोने –चाँदी या हीरा जड़ित एक छल्लानुमा आभूषण, जिसे आमतौर पर अनामिका अंगुली में पहना जाता है| इसे ‘ बिंठी व मुंदडी ’ भी कहते हैं| तीन आँटों वाली मोटी अंगूठी ‘ झोटा ’ कहलाती है|
3. पौहंचा/पुणच: कलाई यानि पुणच पर पहने जाने वाले आभूषण को पौहंचा या पुणच के नाम से जाना जाता है |
4. हथफूल / सोवनपान : हाथ की हथेली के पीछे पहना जाने वाला सोने या चाँदी के घुँघरियों से बना आभूषण हथफूल या सोवनपान कहलाता है| यह लड़ियों के साथ अंगूठियां जडा एक गहना है जिसे त्योहारों या विवाह आदि पर धारण किया जाता है| यह हाथ की चारों अंगुलियों अंगूठे से लेकर पूरी बाहरी हथेली को घेरता हुआ हाथ की कलाई तक आता है|
5. गजरा: यह कलाई का एक गहना है| यह चूड़ी की तरह ढीला/ढाला न होकर कलाई से चिपका रहता है|
6. छनं–कंगन: छनकने वाला हाथ का एक आभूषण, जिसे औरतें पहनती हैं|
7. पछेल्ली: यह कलाई का आभूषण है, जिसके ऊपर चोंचदार बीज होते हैं|
8. कांगनी: यह कलाई का आभूषण है| हल्के कंगन को कंगनी कहते हैं|
9. टाड/टडडे/टडीया/अणत : यह बाजू में पहना जाने वाला आभूषण है| तांबे की छड़ से बना चुड़ें की तरह का आभूषण जिस पर सोने या चाँदी की परत चढ़ी होती है| इसमें चाँदी की बनी एक पट्टी पर घूंघरू लटका दिए जाते है|
10. बाजूबंद: यह बाजू पर बांधा जाने वाला सोने की बेल्ट जैसा आभूषण है, सामन्यत: विवाह पर बाजूबंद पहनने का रिवाज है| छोटा व पट्टीनुमा बाजूबंद को भुजबंध कहते है| इसे बाजुबंध, उतरणी, बाजूफूल और बाजूबांक भी कहते हैं|
11. अनंत: यह बाजू के ऊपरी भाग में पहना जाने वाला आभूषण है| जिसमें अधिकांशत: सर्पाकृति बनी होती है | इसे पहनते समय सर्पमुख बाजू के बाहरी और रखा जाता है|
12. कंगन: महिलाओं के लिए कलाई में पहनने का एक आभूषण है, जिसकी मोटाई का घेरा सवा इंच होता है|
13. कड़ा: सोने-चाँदी या अन्य धातुओं से निर्मित गोलाकार आभूषण कड़ा, हाथ या पाँव में पहना जाने वाला आभूषण है, जिसे चुडा भी कहते हैं| इसकी मोटाई कंगन जितनी होती है| इसकी ऊपरी परत पर ठप्पा लगाकर फूल पत्तियां उभारी जाती हैं|
14. दस्तबंद: यह हाथ में पहना जाने वाला सोने या चाँदी से निर्मित आभूषण है|
15. मुद्रिका: हाथों की उंगलियों में पहने जाने वाली नगीना जड़ी अंगूठी को ‘ मुद्रिका ’ कहते हैं|
16. लंगर: चाँदी के मोटे तारों से बना कड़ो के निचे पहना जाने वाला आभूषण लंगर कहलाता है|
17. फूंदा: चूड़ी या कड़े पर सिंगार क लिए फँदेनुमा बांधे जाने वाला आभूषण फूँदा कहलाता है|
18. नोगरी: मोतियों की लड़ियों के समूह से बना आभूषण जिसे हाथ में चूड़ियों के बीच में पहना जाता है|
19. आंवला सेवटा: ठोस चाँदी का बना हाथ में कड़े के साथ धारण किया जाने वाला आभूषण है|
20. दामणी/दामण: यह दो अंगुलियों में एक साथ पहनी जाने वाली अंगूठीनुमा आभूषण होता है|
21. चूड़: चार आँगुल चौड़ा चाँदी का आभूषण जो कलाई में पहना जाता है चूड़ कहलाता है|
22. गोखरू: सोने व चाँदी से बना छोटे –छोटे निकोने दानेनुमा गोलाकार बना आभूषण जो हाथ की कलाई में चूड़ियों के मध्य में पहना जाता है|
पाँव के आभूषण
1. कड़ी: चाँदी से निर्मित कड़ी पाँव में टखनों के उपर पहना जाने वाला वलयाकार आभूषण है , जो छेलकड़े के निचे पहना जाता है | यह कड़े से पतली होती है| दो टुकड़ों को जोड़कर बनाया गया कड़ा जिसे आसानी से खोलकर पहना जा सके ‘खीलीबांसा/खीलीफांसा’ कहलाता है |
2. गजरियाँ: ये पाँव में पहने जाने वाले आभूषण है जो चाँदी से बने होते है|
3. चुटकी: सुहागिन स्त्री द्वारा पाँव के अंगूठे के पास वाली अँगुली में पहने जाने वाली चाँदी की छल्ली को चुटकी या बिछुए कहा जाता है|
4. नेवरी: महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला वलयाकार आभूषण, जिसमें घुंघुरूओं की ध्वनि निकलती है| यह पायल की तरह का आभूषण है जिसे आंवला के साथ पहना जाता है |
5. छेलकड़े: यह चाँदी से बने होते है| यह कड़ी से छोटे व हल्के होते हैं| इसे बुजुर्ग महिलाओं द्वारा कड़ी से ऊपर पैरों में पहना जाता है|
6. अंगूठा: यह पाँव के अंगूठे में पहना जाने वाला, अंगूठी की आकृति का आभूषण है|
7. झांझर (रमझोल): यह पयालनुमा आभूषण है जिसमें रूनझून की आवाज आती है| यह पायल से मोटा व भारी होती है तथा इसकी झनझनाहट भी ज्यादा होती है|
8. हीरनामी: यह चाँदी से बना कड़ी जैसा आभूषण है जो पाँव में पहना जाता है| लच्छे, तोड़े व तिनके ठोस चाँदी के आभूषण है|
9. तोड़ा/लंगर: यह कड़ा के निचे पहने जाने वाला आभूषण है जो चाँदी के मोटे तारों को जोड़कर ऊपर से पतला व निचे से चौड़ा बनाया जाता है |
10. टणका: यह चाँदी से बना गोलाकर आभूषण है जो पैरों में पहनने पर टणक – टणक की आवाज करता है| यदि ऐसे आभूषण पर मक्के के दानों के आकार बने हों तो वे आभूषण ‘मक्या’ कहलाते हैं|
11. आंवला: यह सोने या चाँदी से बना आंवलानुमा, जो विशिष्ट लहरों युक्त कड़ा है, जिसे महिलाएं पाँव में पहनती हैं|
12. गोलया: चाँदी की चौड़ी तथा सादी अंगूठियां जो पाँव में पहनी जाती है, गोलया कहलाती है| यदि इन पर फूलों की आकृति बनी होती तो यह ‘फोलरी’ कहलाती है|
13. पगपान: यह हथफूल के समान पैरों का आभूषण है| यह पाँव के अँगूठे व उँगलियों के छल्लों को चैन से जोड़कर पायल की तरफ पैर के ऊपर हुक से जोड़कर पाँव में विवाह के अवसर पर पहना जाता है|
( इसके अलावा पात्ती, कड़ी, पात्ती, फूल, तात्ती , गिटीयां, गजरियां, झाँझन चूड़ी, कड़े रमझोल, बिछिया आदी पाँव के आभूषण है|)
कमर के आभूषण:
1. तागड़ी/तकड़ी: यह सोने चाँदी से बना कमरमें पहने जाने वाला आभूषण है| इसे आमतौर पर घाघरा, दामण व साड़ी पर पहना जाता है|
2. नाडा: यह चाँदी का झब्बेदार जेवर है, जो घाघरे के नाडे के साथ बांधा जाता है|
3. पल्लू: यह चाँदी का जेवर है जो स्त्रियों के ओढ़ने के पल्ले में बांधा जाता है|
4. कणकती/कंदोरा: कमर में पहना जाने वाला सोने या चाँदी की झूलती लड़ियों की पट्टीकायुक्त आभूषण ‘कणकती/कंदोरा’ कहलाता है|
5. सटका: सोने–चाँदी से बनी चौकोर जालियों की जंजीर जिसमें सोने चाँदी की चाबियाँ लटकी रहती है, आभूषण जो पेटीकोट के ‘नेफे’ में अटकाकर लटकाया जाता है ‘सटका’ कहलाता है|
पुरुषो के आभूषण :
1. गोफ/गोफिया: पुरूषों द्वारा गले में पहने जाने वाला सोने का हार|
2. कठला: पुरूषों द्वारा गले में पहना जाने वाला सोने का आभूषण है| इसमें आमतौर पर सूती व रेशमी धागों को मिलाकर बल देकर बनायी गयी डोर में बड़े – बड़े मोती पिरोए जाते है|
3. मुरकी: सोने या चाँदी का ठोस कड़क बालीनुमा आभूषण मुरकी कहलाती है| इसे पुरुष अपने कानों में पहनते है|
4. जंजीरा: यह पुरूषों द्वारा पहना जाने वाला कान का जेवर है|
5. जंजीर: यह सोने या चाँदी से निर्मित श्रुंखला या माला होती है, जिसे गले में पहना जाता है|
6. पत्तरी: यह गले का ताबीज होता है,जिसकी आकृति पान अथवा शहतूत के पत्ते जैसे होती है|
7. चौथ: चाँदी से बना चौकोर जालियों की जंजीर जिसे पुरुष अपनी कमर या पेट पर लपेटकर पहनता है|
(इसके अलावा अँगूठी, मौड़, कड़ा आदी भी पुरुषों के आभूषण होते हैं)
आभूषणों का सचित्र विवरण प्राप्त करने के लिए निम्न वीडियो जरुर देखें
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