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हरियाणा में पहने जाने वाली प्रमुख वेशभूषा (Traditional Wears In Haryana) – Haryana Gk

हरियाणा में पहने जाने वाली प्रमुख वेशभूषा (Traditional Wears in Haryana) – Haryana gk

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हरियाणा में पहने जाने वाली प्रमुख वेशभूषा

( Traditional Wears in Haryana)

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हरियाणा में पहने जाने वाली प्रमुख वेशभूषा:

  • स्त्रियों की वेशभूषा
  • पुरुषों की वेशभूषा

 

स्त्रियों की वेशभूषा 

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 1. कमरी/कोटी: यह पूरी या आधी आस्तीन की कमर तक की जैकेट होती है| इसे पहले विवाहित स्त्रियाँ ही पहनती थी|

2.  कुर्ता: यह एक तरह की कालरदार कमीज होती है, जिसे सलवार या दामण के ऊपर पहना जाता है|

3. उल्टी लाम्मण का घाघरा: यह उल्टी लाम्मण का ऊँचा घाघरा होता है, जो प्राय: गूजरी पहनती थी|

 4. आंगी: सूती कपड़े का यह वस्त्र कमीज या जम्फर के नीचे पहना जाता है|

5. ओढ़णा: इसे ओढ़ना या ओढ़नी भी कहा जाता है| यह महिलाओं द्वारा सिर पर धारण किया जाता है| इस पर गोट-गोटा लगा होता है|

6. कैरी: यह नीले खद्दर पर लाल टीकों वाले कपड़ो का घाघरा होता है|

7.  कंघ: यह पक्के लाल रंग का ओढ़ना होता है| इनकी कई तरह की कढ़ाई होती थी| जलसे की कढ़ाई, मिर्चों के पेड़ो की कढ़ाई, बटनों की कढ़ाई और फिर्कीदार कढ़ाई लोकप्रिय थी| इस कढ़ाई के आधार पर ही कंघ का नामकरण होता था|

8. गुमटी: यह सूती रंगीन कपड़े पर रेशमी बूँदियों की कढ़ी ओढ़नी होती है|

9. चाँदतारा घाघरा: यह खद्दर पर ढूज के चाँद और तारे की छपाई वाले कपड़े से बना घाघरा होता है|  इनके अतिरिक्त घाघरों की अन्य किस्में भी होती हैं, जैसे – ढाक पत्ता, पीपल पत्ता, नई चाल, गेहूं ढाणा और तेरी-मेरी सलाह|

10. चून्दडी: यह लाल पल्लों और बीच में नीली रंगाई वाली पतली मलमल की ओढ़नी होती है|

11. छयामा: यह पीले पाट की आकर्षक कशीदाकारी से युक्त ओढ़नी होती है|

12. डिमाच/डिमास :  यह रेशमी ओढ़नी होती है जो दुल्हन को चढ़ाई जाती है|

13. दुकानिया: यह खद्दर का गहरे लाल रंग का पीले धागों से कढ़ाई किया ओढ़ना है| इसकी सिर्फ किनारियों पर ही कढ़ाई की जाती है|

14. पीलिया: यह लाल किनारियों के बीच पीले रंग के बड़े छापे वाला ओढ़ना होता है| यह लड़के के जन्म पर पीहर से बेटी को भेजा जाता है| जिसे ओढ़कर वह महिला कुआँ पूजन के लिए जाती है|

15. फुलकारी: डब्बीनुमा फुलकारियों की कढ़ाई वाली ओढ़नी को फुलकारी कहा जाता है| इसकी कढ़ाई बहुत सघन होती है|

16.  मौडिया: यह नीले या काले पल्लों की रंगाई का बारीक़ ओढ़ना होता है|

17. लहरिया:  यह बन्धेज की रंगाई से तैयार किया गया ओढ़ना होता है|

18. लैहयह नीले कपड़े पर पीले और नीले धागों से की गयी कढ़ाई वाले कपड़े का घाघरा होता है|

19. सोपली: यह गहरे लाल रंग के किनारे पर छपी ओढ़नी होती है जिसे माँगलिक ओढ़नी समझा जाता है|

20. घाघरी: यह घाघरे का छोटा रूप होता है|

21.  दामण: यह काले या लाल सूती कपड़े का टखनों से ऊपर तक का घाघरा होता है|

22. बोरड़ा:  यह खद्दर के कपड़े का घाघरा होता है जिस पर फूल छपे होते हैं|

23. गुलड़ो की लेह: यह बंधाई (बंधेज) पद्धति से रंगे हुए खद्दर से बना घाघरा होता है|

24. खारा: चार नीले तथा चार लाल धागों की बुनाई वाले खद्दर से बना कली का घाघरा होता है|

25. जम्फर: यह बिना कालर का कमीज होता है|

26. फरगल: जाड़े में बच्चों को पहनाया जाने वाला टोप, जिसकी रंग बिरंगी झालर कमर तक पीछे लटकती रहती है|

27. झुगला:  छोटे बच्चों का पहनावे को  झुगला कहा जाता है|

28. बोल: सूती कपड़े पर रेशमी पट्टीदार कढ़ाई का ओढ़ना, बोल कहलाता है|

पुरुषों की वेशभूषा

1 . कमीज:  हरियाणा में कालरदार कमीज पहनी जाती है|  man uniform in haryana- sukrajclasses.com

2.  कुर्ता/कुड़तापायजामा: यह गोल बाँहों का एक तरफ का बिना कालर का कमीज होता है| यह धोती या पायजामों के साथ पहना जाता है|

(कुर्ता-धोती या कुर्ता-पायजामा एक जोड़ी के रूप में पहने जाते हैं)

3.  खंडवा: एक तरह की पगड़ी होती है जो कि सम्मान का प्रतीक है|

4.  पगड़ी: मारवाड़ी ढंग की पगड़ी| यह तंग पहने (यानी अरज, चौढाई) का असाधारण लम्बा कपड़ा होता है जो मारवाड़ी तरीके से सिर पर लपेटा जाता है|

5.  साफा: यह एक तरह के सैनिक फैशन की पगड़ी होती है|

6. पाग: यह राजपूतों ढंग की बड़ी पगड़ी होती है|

7. अंगरखा: गणमान्य लोगों का नीचे तक झूलता कलीदार पहनावा, पुराने दरबारी ढंग का|

8.  दोहर/धोर: हाथ से कते बारीक़ दोखरे सूत की मजबूत बड़ी चादर, जिसे सर्दियों में ओढ़ा जाता है| इसे धोर भी कहा जाता है| कई क्षेत्रों में दोहर का अर्थ दोलडा से लेते हैं| यह पुराना लोगड़ रुई से बना होता है और बिछाने के काम आता है|

9.  कमरी/बंडी /बास्कट: यह आधी आस्तीन की कमर तक की जैकेट होती है|

10. रुई की कमरी/मिरजर्क: इसे रुई भरकर बनाया जाता है| सर्दी से बचाव करने के लिए यह अच्छा वस्त्र है| यह पूरी या आधी आस्तीन की होती है|

11. लोई: एक प्रकार का चादरनुमा ओढ़ने का वस्त्र होता है|

12.  बंदर टोपी: सिर, कान और गले को सर्दी से बचाने का प्रभावी वस्त्र बंदर टोपी है| इसे प्राय: ग्रामीण परिवेश में बड़े-बूढ़े पहनते हैं|

13.  सौड़: खद्दर की रजाई को सौड़ कहते हैं|

14. सौडिया: खद्दर का गदेला को सौडिया कहते हैं|

15.  खेस: यह मोटे सूत की मोटी  चादर है, जिसे सर्दियों में ओढ़ा जाता है|

 

हरियाणा की वेशभूषा का सचित्र विवरण प्राप्त करने के लिए निम्न वीडियो जरुर देखें:

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