हरियाणा में कछार का मैदान – Alluvial Plain in Haryana
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हरियाणा में कछार का मैदान
The Alluvial Plain in Haryana
हरियाणा की भौगोलिक संरचना – GEOGRAPHICAL STRUCTURE OF HARYANA
नदियों द्वारा बहा कर लायी गयी मिट्टी से निर्मित एक समतल उपजाऊ क्षेत्र को कछार का मैदान या जलोढ़ मैदान कहा जाता है। हरियाणा में कछार के मैदान काफी समृद्ध है। यह भारत के उन सामाजिक-आर्थिक हिस्सों में से एक है, जो देश को खाद्यान्न-पूर्ती में महत्वपूर्ण योगदान देते है।
- यह गंगा और सिंधु – दो शक्तिशाली नदी प्रणालियों के मध्य स्थित क्षेत्र है, जिसमे विशाल और नदी-पोषित नए रेत के मैदान शामिल हैं और जिसमे चट्टानों की विविधता, भूमि उपयोगिता, फसल स्वरुपता और कृषि उत्पादकता का सही वितरण सम्मलित है।
- यह मैदान अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, करनाल, कैथल, जींद, सोनीपत और हिसार के उत्तर-पूर्वी हिस्से के जिलों में उल्लेखनीय रूप से सम्मलित है।
- कछार मैदान के भीतर संकीर्ण बाढ़ के मैदान हैं, जिन्हें यमुना के खदर, घग्गर की नाली और बेट ऑफ़ मार्कंडा के नाम से जाना जाता है।
- सोनीपत और रोहतक जिलों के उत्तरी हिस्सों में सपाट समतल भाग भी इसका एक हिस्सा है। इन स्थानों पर, कभी-कभी स्थानीय चलते-फिरते कछार मैदानों का निर्माण होता है, जिनमें डबवाली और सिरसा तहसील (सिरसा जिला) की रोही शामिल है।
- घग्गर नदी के कारण रोही में पुरानी धाराओं के छोड़े गए समतल मैदान शामिल हैं, जो कृषि के लिए उपजाऊ भूमि प्रदान करते हैं। तल और टिब्बों की उपस्थिति के कारण रोही पूरी तरह से समतल नहीं है।
- आजकल इन टिब्बों की स्थानीय प्रमुखता बहुत महत्वहीन है क्योंकि ये भाखड़ा नहर की सिंचाई सुविधाओं के द्वारा पूरी तरह से वर्गीकृत किये जाने की प्रक्रिया में हैं।
- कुरुक्षेत्र जिले के थानेसर तहसील में सरस्वती धारा के ऊपरी भाग में, कंकड़-जोन मार्ग को छाछरा कहा जाता है।
- सिरसा पट्टी – चौड़ी और उथली है और परिणामस्वरुप सिरसा तहसील के दक्षिण-पूर्व में एक बड़ा क्षेत्र आता है जिसमे रेत के टिब्बे आम हैं क्योंकि यह राजस्थान के मरुस्थल के करीब है। ये टिब्बे प्रकृति में चंद्र आकार के है तथा चलायमान प्रकृति के हैं।
- पुराने कछार मैदान (बांगड़) की गहराई में – चूने का कार्बोनेट पाया जाता है, जो 1 सेंटीमीटर से 5 सेंटीमीटर तक का ककड़नुमा होता है। बांगड़ में ये कंकड़ संरचना मिट्टी के उपरी सतह से काफी नीचे होती है और भूमि के ऐसे हिस्सों को नारदक के नाम से जाना जाता है।
- खादर, नाली और बेट क्षेत्रों में पानी का स्तर काफी ऊँचा है, जिससे ट्यूबवेल्स से सिंचाई की सुविधा मिलती है। इन क्षेत्रों में हालिया जमा उपजाऊ मिट्टी है जो हर साल भर जाती है।
- विशाल कछार मैदान, कृषि भूमि को पहाड़ी क्षेत्र और रेत की टिब्बे वाली बेल्ट को एक साथ बांधता है। इसके व्यापक क्षेत्रों में सिंचाई, कृषि और शुष्क खेती के विकास हेतु भविष्य में संभावनए हैं।
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