New Education Policy-2020 (नयी शिक्षा नीति-2020)
New Education Policy-2020 (नयी शिक्षा नीति-2020):
नई शिक्षा नीति के जरिए देश में शिक्षा व्यावस्था में कई सुधार करने की कोशिश की गई है। स्कूल स्तर से लेकर ग्रेजुएशन तक शिक्षा नीति में कई अहम बदलाव किए गए हैं। इस बार एजुकेशन पॉलिसी में बदलाव करीब 34 साल बाद किए जा रहे हैं इससे पहले एजुकेशन पॉलिसी 1986 में रिलीज़ की गयी थी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लॉकों और 676 जिलों से लगभग दो लाख सुझाव मिले थे। मई 2016 में पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमण्यन की कमेटी ने नई शिक्षा नीति पर रिपोर्ट पेश की। जून 2017 में इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय शिक्षा नीति मसौदे के लिए समिति गठित हुई, जिसने 31 मई, 2019 को रिपोर्ट सौंपी।
- New Education Policy-2020 (नयी शिक्षा नीति-2020) को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है।
- केंद्रीय मानव संसाधनव विकास मंत्रालय (MHRD) का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय Ministry of Education किया है।
New Education Policy-2020 (नयी शिक्षा नीति-2020): स्कूल एजुकेशन, बोर्ड एग्जाम, ग्रेजुएशन डिग्री में हुए बदलाव:
स्कूल एजुकेशन, बोर्ड एग्जाम:
नई शिक्षा नीति में 10+2 के फार्मेट को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है।
अब इसे 10+2 से बांटकर 5+3+3+4 फार्मेट में ढाला गया है।
First stage: – (5 year) फाउंडेशन स्टेज :
पहले तीन साल (3 years) बच्चे आंगनबाड़ी, प्ले स्कूल में प्री-स्कूलिंग शिक्षा लेंगे। फिर अगले ( 2 years) दो साल कक्षा एक एवं दो में बच्चे स्कूल में पढ़ेंगे। इन पांच (5 years) सालों की पढ़ाई के लिए एक नया पाठ्यक्रम तैयार होगा। मोटे तौर पर एक्टिविटी आधारित शिक्षण पर ध्यान रहेगा। इसमें तीन से आठ साल तक की आयु के बच्चे कवर होंगे। इस प्रकार पढ़ाई के पहले पांच साल का चरण पूरा होगा।
- नई शिक्षा नीति के तहत यह माना गया है कि सभी बच्चे टैलेंटेड होते हैं। इसके तहत तीन साल की उम्र से लेकर आठवीं उम्र तक न परीक्षा होगी, ना कोई पाठ्यक्रम होगा, ना किताब होगी।
- खेलकुद एवम् अन्य गतिविधियों का मूल्यांकन भी होगा।
Second stage: – (3 year) प्रीप्रेटरी स्टेज :
इस चरण में कक्षा तीन से पांच (class 3 to 5) तक की पढ़ाई होगी। आठ से 11 साल तक की उम्र के बच्चों को इसमें कवर किया जाएगा।
- इस दौरान प्रयोगों के जरिए बच्चों को विज्ञान, गणित, कला आदि की पढ़ाई कराई जाएगी।
- नई शिक्षा नीति के तहत अब 5वीं तक के छात्रों को मातृ भाषा, स्थानीय भाषा और राष्ट्र भाषा में ही पढ़ाया जाएगा।
- अंग्रेजी को एक सब्जेक्ट के तौर पर पढ़ाया जाएगा।
Third stage: – (3 year) मिडिल स्टेज :
- इसमें कक्षा 6-8 की कक्षाओं की पढ़ाई होगी तथा 11-14 साल की उम्र के बच्चों को कवर किया जाएगा। इन कक्षाओं में विषय आधारित पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा।
- कक्षा छह से ही कौशल विकास कोर्स (वोकेशनल एजुकेशन) की शुरुआत भी शुरू हो जाएंगे।
- कक्षा 6 और उसके बाद के छात्रों को व्यावसायिक शिक्षा और कौशल के एक भाग के रूप में स्कूलों में कोडिंग सिखाई जाएगी।
- अब छठी कक्षा से ही बच्चे को प्रोफेशनल और स्किल की शिक्षा दी जाएगी।
- स्थानीय स्तर पर इंटर्नशिप भी कराई जाएगी।
- ग्रेड्स 6-8 के दौरान राज्यों और स्थानीय समुदायों द्वारा तय किए गए महत्वपूर्ण व्यावसायिक शिल्प, जैसे कि बढ़ईगीरी, बिजली का काम, धातु का काम, बागवानी, मिट्टी के बर्तन बनाने आदि का नमूना।
Fourth stage: – (4 year) सेकेंडरी स्टेज :
- कक्षा नौ 9 से 12 की पढ़ाई दो चरणों में होगी जिसमें विषयों का गहन अध्ययन कराया जाएगा। विषयों को चुनने की आजादी भी होगी।
- 9 से 12 क्लास तक सेमेस्टर में परीक्षा होगी।
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New Education Policy-2020 (नयी शिक्षा नीति-2020)
Some Important points for Schooling ( विद्यालय शिक्षा –महत्वपूर्ण बिंदु):
- बच्चों की रिपोर्ट कार्ड में बदलाव होगा। उनका तीन स्तर पर आकलन किया जाएग। एक स्वयं छात्र करेगा, दूसरा सहपाठी और तीसरा उसका शिक्षक।
- नेशनल एसेसमेंट सेंटर-परख बनाया जाएगा जो बच्चों के सीखने की क्षमता का समय-समय पर परीक्षण करेगा।
- सौ फीसदी नामांकन के जरिए पढ़ाई छोड़ चुके करीब दो करोड़ बच्चों को फिर दाखिला दिलाया जाएगा।
- गुणवत्ता सुधारने के लिए स्कूली शिक्षा की हर पांच साल में समीक्षा होगी।
- परफॉर्मेंस असेसमेंट, रिव्यू एंड एनालिसिस ऑफ नॉलेज फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट (PARAKH) की स्थापना की जाएगी, जो बोर्ड परीक्षाओं के लिए स्टैंडर्ड सेटिंग बॉडी का काम करेगी।
- बैग का बोझ कम कला, क्विज़, खेल और व्यावसायिक शिल्प से जुड़े विभिन्न प्रकार के संवर्धन गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
- नई शिक्षा नीति में बोर्ड परीक्षाओं पर दबाव कम किया गया है। अब बोर्ड परीक्षाओं का आधार स्टूडेंट्स द्वारा रटे जाने वाले सवाल नहीं होंगे. नई शिक्षा नीति के तहत भविष्य में विभिन्न बोर्ड परीक्षाओं के व्यवहार्य मॉडल तैयार करेंगे। ये मॉडल वार्षिक, सेमिस्टर और मोड्यूलर बोर्ड परीक्षाओं की तरह होंगी।
- 1:30 होगा शिक्षक और छात्रों का अनुपात- नई शिक्षा नीति के मुताबिक भविष्य में शिक्षक और छात्रों का अनुपात 1:30 होगा। नई शिक्षा नीति में कहानी, रंगमंच,सामूहिक पठन पाठन, चित्रों का डिस्प्ले, लेखन कौशलता, भाषा और गणित पर भी जोर दिया जाएगा।
ग्रेजुएशन डिग्री (Graduation Degree):
- नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत मल्टिपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में पहले साल के बाद सर्टिफिकेट, दूसरे साल के बाद डिप्लोमा और तीन या चार साल के बाद डिग्री मिल सकेगी।
- चार साल के कोर्स में चोथे साल रिसर्च को शामिल किया गया है। 4-साल का डिग्री प्रोग्राम फिर M. A. और उसके बाद बिना M. Phil के सीधा PhD कर सकते हैं। नई शिक्षा नीति के तहत एमफिल कोर्सेज को खत्म किया गया।
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Higher Education related Important points (उच्च शिक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु):
- यूनिवर्सिटीज और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एन्ट्रेंस एग्जाम होंगे।
- यूनिवर्सिटी एंट्रेंस एग्जाम्स के लिए एनटीए NTA (National Test Agency) यानी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी एक High quality common aptitude test (CAT) आयोजित करेगी।
- लीगल और मेडिकल कॉलेजों को छोड़कर सभी उच्च शिक्षण संस्थानों का संचालन एकल नियामक (सिंगल रेग्युलेटर) के जरिए होगा।
- सभी सरकारी और निजी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए एक तरह के मानदंड होंगे।
- संस्थानों के पास ओपन डिस्टेंस लर्निंग और ऑनलाइन कार्यक्रम चलाने का विकल्प होगा।
- उच्च शिक्षा के लिए बनाए गए सभी तरह के डीम्ड और संबंधित विश्वविद्यालय को सिर्फ अब विश्वविद्यालय के रूप में ही जाना जाएगा।
- समय की मांग देखते हुए एडल्ट लर्निंग में क्वालिटी और टेक्नोलॉजी बेस्ड ऑप्शंस को शामिल किया जाएगा नये ऐप्स का निर्माण, ऑनलाइन कोर्सेस अथवा मॉड्यूल्स, सैटेलाइट आधारित टीवी चैनल्स, ऑनलाइन किताबें, ऑनलाइन लाइब्रेरी, एडल्ट एजुकेशन सेंटर्स आदि को डेवलेप किया जाएगा।
- नये इस्टेब्लिशमेंट्स का होगा निर्माण। नयी एजुकेशन पॉलिसी के तहत नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (NRF) को बनाने का फैसला लिया गया है। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य सभी यूनिवर्सिटीज में रिसर्च के काम को बढ़ावा देना है। यह केवल सरकार द्वारा संचालित किया जाएगा। इसके साथ ही इस बार की पॉलिसी में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसलेशन एंड इंटरप्रिटेशन (IITI) को बनाने का प्रस्ताव भी रखा गया है। यह विशेषतौर पर संस्कृत और दूसरी भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देगा।
- भारत की श्रेष्ठ यूनिवर्सिटीज़ विदेशों में भी अपने कैम्पस बनाएंगी। नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में यह साफ किया गया कि भारत ही हाई परफॉर्मिंग यूनिवर्सिटीज़ को विदेशों में कैम्पस बनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। यही नहीं विश्व की 100 टॉप यूनिवर्सिटीज को इंडिया में ऑपरेट करने के लिए सभी सुविधाएं दी जाएंगी।
- एजुकेशन मिनिस्ट्री, नेशनल कमेटी फॉर द इंटीग्रेशन ऑफ वोकेशनल एजुकेशन (NCIVE) का निर्माण करेगी ताकि भारत में जरूरी वोकेशनल नॉलेज को ज्यादा से ज्यादा स्टूडेंट्स तक पहुंचाया जा सके। इसे ‘लोक विद्या’ नाम दिया गया है।
- हायर एजुकेशन लेना होगा आसान- शिक्षा नीति में सरकार ने हायर एजुकेशन को बढ़ावा देने की बात कही गई है। इसके साथ ही युवाओं को हायर एजुकेशन लेना पहले के मुकाबले काफी आसान हो जाएगा।
- ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम होगा शुरू – राष्ट्रीय पुलिस यूनिवर्सिटी और राष्ट्रीय फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी का प्रस्ताव लाया जा रहा है। वहीं टॉप 100 यूनिवर्सिटीज पूरी तरह से ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम शुरू करें इसकी भी योजना तैयार हो रही है।
- युवा इंजीनियरों को मिलेगा इंटर्नशिप करने का मौका- शिक्षा नीति का एलान करते हुए सरकार ने कहा था कि शिक्षा के क्षेत्र में एक्सटर्नल कमर्शियल बोर्रोविंग और विदेशी निवेश (एफडीआई) को लेकर जरूरी कदम उठाए जाएंगे। सरकार युवा इंजीनियरों को इंटर्नशिप का अवसर देने के उद्देश्य से शहरी स्थानीय निकायों के लिए एक कार्यक्रम शुरू करने की योजना बना रही है।
- ऑनलाइन व डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा।
- एनईपी 2020: क्षेत्रीय भाषा में ई-सामग्री अंग्रेजी और हिंदी के अलावा क्षेत्रीय भाषा में भी ई-कंटेंट होगा।
- सकल घरेलू उत्पाद का 6% शिक्षा क्षेत्र को मिलेगा।
- 8 क्षेत्रीय भाषाओं में ई-कोर्सेस शुरू।
- HECI- संपूर्ण उच्च शिक्षा के लिए सामान्य नियामक संस्था भारतीय उच्चतर शिक्षा आयोग (HECI) की स्थापना मेडिकल और कानूनी शिक्षा को छोड़कर पूरे उच्च शिक्षा के लिए एक एकल अतिव्यापी छतरी निकाय के रूप में की जाएगी। HECI के पास चार स्वतंत्र कार्यक्षेत्र हैं – नियमन के लिए राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामक परिषद (NHERC), मानक सेटिंग के लिए सामान्य शिक्षा परिषद (GEC), वित्त पोषण के लिए उच्च शिक्षा अनुदान परिषद (HEGC), और मान्यता के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (NAC)।
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विकलांग बच्चों के लिए:
- विकलांग बच्चों के लिए विभिन्न नए प्रावधान विकलांग बच्चों को क्रॉस विकलांगता प्रशिक्षण, संसाधन केंद्र, आवास, सहायक उपकरण, उपयुक्त प्रौद्योगिकी-आधारित उपकरण और अन्य सहायता तंत्रों के अनुरूप शिक्षकों के समर्थन के साथ, नींव चरण से उच्च शिक्षा तक नियमित स्कूली शिक्षा प्रक्रिया में पूरी तरह से भाग लेने में सक्षम बनाया जाएगा।
- प्रत्येक राज्य कला -संबंधी, खेल संबंधी और कैरियर-संबंधी उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप प्रत्येक राज्य “बाल भवन” का निर्माण किया जायेगा।
नई शिक्षा नीति का निष्कर्ष (Conclusion):
- हर छात्र की क्षमताओं को बढ़ावा देना प्राथमिकता होगी।
- शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों को भी जागरूक करने पर जोर।
- वैचारिक समझ पर जोर होगा, रचनात्मकता और महत्वपूर्ण सोच को बढ़ावा मिलेगा।
- छात्रों के लिए कला और विज्ञान के बीच कोई कठिनाई, अलगाव नहीं होगा।
- नैतिकता, संवैधानिक मूल्य पाठ्यक्रम का प्रमुख हिस्सा होगीं ताकि छात्र आगे चलकर राष्ट्रनिर्माण में महतवपूर्ण भूमिका अदा कर सके।
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