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भारत के रहस्यमय और अद्भुत स्थान – Mysterious Places In India

भारत के रहस्यमय और अद्भुत स्थान – Mysterious places in India

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भारत के रहस्यमय और अद्भुत स्थान

1. रूपकुण्ड कंकाल झील, उत्तराखंड (Skeleton Lake): रूपकुण्ड कंकाल झील - sukrajclasses.com

रूपकुंड, हिमालय की गोद में स्थित एक मनोहारी और खूबसूरत पर्यटन स्थल है। यह हिमालय की दो चोटियों के तल के पास स्थित है। रूपकुंड में 12 साल में एक बार होने वाली नंदा देवी राज-जात यात्रा में भाग लेने के लिए श्रद्धालु दूर–दूर से यहाँ आते हैं। इस दौरान देवी नंदा की पूजा की जाती है। भारत उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित यह हिम झील अपने किनारे पर पाए गये पांच सौ से अधिक मानव कंकालों के कारण प्रसिद्ध है। यह स्थान निर्जन है और हिमालय पर लगभग 5029 मीटर (16499 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। नीचे 12 मीटर लंबी, दस मीटर चौड़ी और दो मीटर से अधिक गहरी हरे-नीले रंग की अंडाकार आकृति वाली यह झील साल में करीब छह माह बर्फ से ढकी रहती है। इसके रहस्य के साथ अलग अलग कथाएँ जुड़ी हैं। कोई कहता है कि ये कंकाल किसी राजा की सेना के जवानों के हैं,तो कोई इनके तार सिकंदर के दौर से जोड़ता है।

  • स्थानीय लोगों के अनुसार एक बार एक राजा जिसका नाम जसधावल था, अपने परिवार और दास दासियों के साथ, नंदा देवी की तीर्थ यात्रा पर निकला। स्थानीय पंडितों ने राजा को इतने भव्य समारोह के साथ देवी दर्शन जाने को मना किया। परन्तु वह नहीं माना। इस तरह के जोर-शोर और दिखावे वाले समारोह से देवी नाराज़ हो गईं और सबको मौत के घाट उतार दिया। यहाँ अवशेषों में कुछ चूड़ियां और अन्य गहने मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि समूह में महिलाएं भी मौजूद थीं।
  • एक दूसरी कथा के अनुसार तिब्बत में सन् 1841 के युद्ध के दौरान सैनिको का एक समूह इस कठिन रास्ते से गुज़र रहा था, लेकिन वो रास्ता भटक गए और खो गए और व सारे सैनिक कभी नहीं मिले।
  • एक अन्य रिसर्च के अनुसार ट्रेकर्स का एक समूह इस स्थान में हुई भारी ओलावृष्टि में फस गया, जिसमे सभी की अचानक दर्दनाक मौत हो गयी।
    ऐसे अनेकों कहानियाँ है जो इसके साथ जुडी हैं,लेकिन सच अभी भी भविष्य के आगोश में है।

2. जतिंगा/जटिंगा घाटी, असम:

जटिंगा घाटी दक्षिणी असम में बसा एक गांव है। पिछले 100 सालों से प्रत्येक वर्ष असम की छोटी सी जगह- ‘जटिंगा’ में आकर हजारों परिंदे आत्महत्या करते हैं। मानसून के बाद अक्सर सितंबर और नवंबर के महीनों में पक्षियों की 44 प्रजातियां जतिंगा में आती हैं। दरअसल, अक्टूबर से नवंबर तक कृष्णपक्ष की रातों में यहां ‘पक्षी-हराकिरी’ का अजीबो-गरीब वाक्या होता है। जतिंगा/जटिंगा घाटी-sukrajclasses.com

  • शाम 6 से 9 बजे के बीच ये परिंदे बिलकुल व्याकुल हो जाते हैं। काफी आश्चर्यजनक है कि परिंदे विचलित होकर, मशालों और शहरों की रोशनी की ओर जाते। मानसून के महीने में यह घटना अधिक होती है। इसके अलावा अमावस्या और कोहरे वाली रात को पक्षियों के आत्महत्या करने के मामले अधिक देखने को मिलते हैं। यहां के लोग पक्षियों की मौत को भूत और रहस्यमय ताकतों से जुड़ी हुई भी मानते हैं।
  • वैज्ञानिकों का मानना है कि इस इलाके में सितंबर और अक्टूबर के महीने में हवा काफी चलती है, जिसके कारण अपने साथियों के साथ शाम के समय घर लौट रहे पक्षी अपना संतुलन खो देते हैं और पेड़ों से टकराकर घायल हो जाते हैं, जिसके उनकी मौत हो जाती है।
  • इस रहस्यमयी घटना की गुत्थी को सुलझाने के लिए भारत सरकार ने प्रसिद्ध पक्षी विशेषज्ञ डॉ. सेन गुप्ता को नियुक्त किया गया था। डॉ. सेन गुप्ता काफी रिसर्च के बाद जानकारी दी थी कि इस घटना के पीछे यहां का मौसम और चुंबकीय शक्तियां जिम्मेदार हैं।

3. रेड रेन इडुक्की, केरल:

केरल के इडुक्की और कोट्टायम जिले में ‘लाल रंग कि बारिश’ जैसी एक अजीब घटना देखी गई। जो आपको अचंभित करने वाली हो सकती है। यहाँ लाल रंग कि बारिश सन् 1986 के बाद कई बार देखी गई है और यह घटना पिछली बार 2012 में देखी गई थी। यहाँ पीली, हरी और काली बारिश की भी सूचना मिली थी। रेड रेन इडुक्की-sukrajclasses

  • यह लाल रंग कि वर्षा पानी से निकाले गए ठोस वर्णक जैविक कोशिकाओं के समान थी। वैज्ञानिक आज भी इस बात को नहीं समझ पाए हैं कि ये लाल रंग की बारिश कैसे हुई थी। पहले वैज्ञानिको को ये लगा की यह बारिश और प्रदूषण की वजह से हुआ होगा लेकिन जब इसमें जीवन होने के साक्ष्य भी मिले तब इस पानी को वैज्ञानिकों ने टेस्ट किया, परन्तु उसमें कुछ सामने नहीं आया।
  • एक ऑस्ट्रियन साइंटिस्ट ने जब इस पर रिसर्च की तो पता चला कि यह सूक्ष्म शैवाल के बीजाणु के कारण हो सकता है। हालांकि, अब तक यह साफ नहीं है कि बारिश क्यों और कैसे हुई थी। इस पर अभी भी शोध चल रहा है, सच्चाई अभी भी धूमिल है।

4. कोदिन्ही गाँव, The Twin Town:

कोच्चि शहर से लगभग 150 कि.मी. दूर मलप्पुरम जिले में स्थित कोदिन्ही ऐसा गाँव है जहाँ घर-घर जुड़वाँ लोग हैं। यहाँ जुड़वाँ बच्चे होने का सिलसिला 60-70 साल पुराना है। तभी इसे ‘जुड़वाँ लोगों का गाँव’ भी कहा जाता है। The Twin Town- kohandi india-sukrajclasses.com

  • यह पूरी दुनिया में जुड़वां बच्चों की सबसे ज्यादा आबादी वाला दूसरे नंबर का गांव हैं। हालांकि, एशिया में इसको पहले स्थान का दर्जा मिला हैं और जहां बात दुनिया की आती हैं, तो विश्व में पहले नंबर पर नाइजीरिया का इग्बो-ओरा गांव हैं, जहां पर 1000 में से 145 बच्चे जुड़वां पैदा होते हैं।
  • अन्य संभावित स्पष्टीकरणों में कोडिन्ही के लोगों के आहार को शामिल किया गया है। जिससे पता चला कि यहाँ के पानी या भोजन में कुछ भी विशेष नहीं है, क्षेत्र के अन्य समुदायों की तुलना में उनका आहार सामान्य है। शोधकर्ताओं द्वारा यहाँ के लोगों का आनुवंशिक अध्ययन करना जारी हैं, परन्तु अभी तक हम कुछ भी निश्चित नहीं जान पाए हैं। हालांकि विज्ञान कठिन प्रयास करता है, परन्तु कुछ चीजें हैं जो विज्ञान की पहुँच से भी उपर है।

5. कुलधरा गाँव, राजस्थान:

कुलधरा भारत के राजस्थान के जैसलमेर जिले में, 13 वीं शताब्दी के आसपास स्थापित एक समृद्ध गाँव था जो कभी पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा बसाया गया था। परन्तु किन्ही अज्ञात कारणों से 19 वीं शताब्दी के शुरुआती दिनों में सारे गाँववासी इसे छोड़ के चले गए, संभवतः घटती जल आपूर्ति के कारण, भूकंप के कारण या किसी और वजह के कारण। कुलधरा गाँव-sukrajclasses.com

  • कुछ लोगों का मानना है कि इस गांव के वीरान होने की पीछे एक अय्यास व्यक्ति- सालम सिंह (जो कि पेशे से ‘दीवान’ था) का हाथ था, जिसकी गंदी नजर गांव की किसी ब्राह्मण कन्या पर थी। सालम सिंह उसे हर हाल में पाना चाहता था। उसने लड़की को पाने के लिए ब्राह्मणों पर दबाव बनाना शुरू किया और लड़की को उठा ले जाने तक की धमकी दे दी थी। गांव की बेटी की लाज बचाने के लिए ब्राह्मणों ने गांव छोड़ने का एक बड़ा निर्णय लिया और रातों-रात कुलधरा खाली हो गया। कहते हैं, यहाँ से जाने से पहले यहाँ के लोगों ने इसे (गाँव) श्राप दिया था कि उनके बाद कोई भी यहाँ आकर ना बस सके। शायद इसी कारण से गाँव में कदम रखते ही लोगों को कोई अप्रिय अनुभूति होती है। गाँव में एक फाटक बनायी गई है, जिसे पार करना वर्जित है।
  • राजस्थान सरकार ने 2010 के दशक में इसे एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है।

6. विजय विट्ठल मन्दिर, हम्पी कर्नाटक:

विजय विट्ठल मन्दिर भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित है। यह मन्दिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मन्दिर की स्थापना 15वीं सदी में हुई थी। विजय विट्ठल मन्दिर-sukrajclasses.com

  • विजय विट्ठल मन्दिर की सबसे रोचक बात- यहाँ के कुछ ऐसे स्तंभ हैं, जिन्हें यदि हाथ से खटखटाया जाए तो उनमें से संगीत के सातों सुरों की ध्वनियाँ निकलती हैं।
  • यहाँ पर कुल मिलाकर 56 स्तंभ हैं, जिनमें से संगीत सरगम सुनाई देती है। इन स्तंभों को ‘संगीत स्तंभ’ या फिर ‘सारेगामा स्तंभ’ भी कहा जाता है।
  • इस रहस्य को जानने के लिए अंग्रेजों ने स्तम्भ को तोड़ा था, लेकिन वे इसे सुलझा नहीं पाए।
  • लोगों की बढ़ती भीड़ की वजह से इस संरचना को नुकसान ना हो, इसलिए इन खम्भों को थपथपाने पर रोक लगा दी गई है।

7. बड़ा इमामबाड़ा, लखनऊ:

चौथे नवाब- ‘आसफ-उद-दौला’ द्वारा लखनऊ में निर्मित बड़ा इमामबाड़ा, गुरुत्वाकर्षण की अवधारणा वाली एक राजसी संरचना है जो अरबी और यूरोपीय वास्तुशिल्प उत्कृष्टता को एक साथ लाती है। बड़ा इमामबाड़ा-sukrajclasses.com

  • यह अदभुत् ईमारत वर्ष 1784 में बनाया गयी थी। इसमें एक मस्जिद और एक कुआँ भी है। लगभग 50 मीटर लंबा हॉल और लगभग 3 मंजिला ऊँची यह ईमारत बिना किसी बीम या खंभे के सहारे खड़ी है, जिससे गुरुत्वाकर्षण की अवधारणा को परिभाषित किया जा सकता है।
  • इसके अंदर एक भुल-भुलैया है। यह माना जाता है कि छत तक पहुंचने के लिए लगभग 1024 रास्ते हैं, लेकिन वापस आने के लिए केवल एक ही रास्ता है।
  • यह दुनिया का सबसे बड़ा असमर्थित निर्माण है, जिसका निर्माण किसी लकड़ी या धातु का उपयोग किए बिना किया गया था।

8. चुम्बकीय पहाड़ी (Magnetic Hill), लद्दाख:

मैग्नेटिक हिल, वह स्थान है जो लेह से लगभग 30 किमी की दूरी पर स्थित है। Magnetic Hill-sukrajclasses.com

  • चुंबकीय पहाड़ी को एक पीले साइनबोर्ड द्वारा चिह्नित किया गया है, जिसमें लिखा है कि “The Phenomenon That Defies Gravity” जिसका अर्थ है- गुरुत्वाकर्षण को ख़ारिज कर देने वाली घटना।
  • यहाँ यात्रियों को, अपने वाहनों को सड़क पर स्थित एक सफेद बिंदु के साथ चिह्नित बॉक्स में पार्क करने का निर्देश भी दिया गया है। जब संकेतित स्थान पर पार्क किया जाता है, तो वाहन लगभग 20 किमी की गति से आगे बढ़ने लगते हैं। इसके लिए वैज्ञानिकों द्वारा निम्नलिखित दो सिद्धांत दिए गए हैं:-
    • चुंबकीय बल का सिद्धांत: यह सिद्धांत बताता है कि पहाड़ी से निकलने वाली एक मजबूत चुंबकीय शक्ति है जो वाहनों को अपनी सीमा के भीतर खींचती है। लेह-कारगिल राजमार्ग पर दुनिया भर के यात्रियों ने इस अजीब घटना का अनुभव किया गया है।
    • ऑप्टिकल (optical) भ्रम सिद्धांत: एक अन्य व्यापक रूप से स्वीकृत इस सिद्धांत के अनुसार यह पहाड़ी, चुंबकीय शक्ति का कोई स्रोत नहीं है बल्कि यह एक ऑप्टिकल भ्रम है जहाँ एक उथल-पुथल की तरह दिखता है। इसलिए, जब आप वाहन को ऊपर की ओर जाते हुए देखते हैं, तो यह वास्तव में नीचे की ओर जा रहा होता है।

वजह चाहे जो भी हो, पर यह जगह अपनी विशेषता से सबका ध्यान अपनी और आकर्षित करती है।

9. लेपाक्षी मंदिर, आंध्रप्रदेश: 

लेपाक्षी मंदिर वास्तुशिल्प आश्चर्य का एक अद्भुत नमूना है जिसे ‘हैंगिंग पिलर टेम्पल’ के नाम से भी जाना जाता है: लेपाक्षी मंदिर- sukrajclasses.com

  • लेपाक्षी मंदिर के अंदर 70 खंभे है, जिनमें से एक खंभा ऐसा है जो पूरी तरह से जमीन पर नहीं टिका है। ये जमीन से आधा इंच ऊपर उठा हुआ है। यह लेपाक्षी मंदिर के अद्भुत हैंगिंग पिलरों में से एक है| इसे आकाशस्तम्भ भी कहा जाता है।
  • माना जाता है कि इस चमत्कारी स्तंभ को जानबूझकर विजयनगर वास्तुकारों (बिल्डरों) के वास्तुशिल्प प्रतिभा को प्रदर्शित करने के लिए बनाया गया था।
  • यहाँ आने वाले भक्तों का मानना है कि इस लटकते हुए खंभे के नीचे से कपड़ा निकालने से सुख-संपदा प्राप्त होती है। अकसर यहां श्रद्धालु ये धार्मिक गतिविधि करते दिखाई दे जाते हैं।
  • यह मंदिर काफी बड़ा है तथा इस मंदिर परिसर में भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान वीरभद्र को समर्पित तीन मंदिर है।

10. शनि शिंगणापुर, महाराष्ट्र:

महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर गाँव छोटा है, पर लोग समृद्ध हैं। इस जगह पर शनिदेव की विशेष कृपा है यहीं उनका जन्म स्थान माना जाता है। शनि शिंगणापुर-sukrajclasses.com

  • कहा जाता है कि यहाँ पर कभी चोरी नहीं हुई है। यहाँ आने वाले भक्त अपने वाहनों में कभी ताला नहीं लगाते। यहाँ माना जाता है कि बुरी नियत रखने वालों को शनिदेव स्वयं सजा देते हैं तथा सबको अपने कर्मो के अनुसार फल देते है।
  • यहाँ किसी भी घर में दरवाजा नहीं है और कहीं भी कुंडी तथा कड़ी लगाकर ताला नहीं लगाया जाता। इतना ही नहीं, घर में लोग आलीमारी, सूटकेस आदि नहीं रखते। लोग घर की मूल्यवान वस्तुएँ, गहने, कपड़े, रुपए-पैसे आदि रखने के लिए थैली तथा डिब्बे या ताक का प्रयोग करते हैं। केवल पशुओं से रक्षा हो सके, इसलिए बाँस का ढँकना दरवाजे पर लगाया जाता है।
  • यहाँ शनि भगवान की स्वयंभू मूर्ति काले रंग की है। 5 फुट 9 इंच ऊँची व 1 फुट 6 इंच चौड़ी यह मूर्ति संगमरमर के एक चबूतरे पर धूप में ही विराजमान है। यहाँ शनिदेव अष्ट प्रहर, चाहे धूप हो, आँधी हो, तूफान हो या जाड़ा हो, सभी ऋतुओं में बिना छत्र धारण किए खड़े हैं। माना जाता है जिसने भी इसके उपर छत्र बनाने की सोची उस के साथ बहुत अनिष्ट हुआ। शनिदेव की मूर्ति पर दिन के समय कभी छाया नहीं आती। यह जगह बेहद चमत्कारी है।

भारत के रहस्यमय और अद्भुत स्थान – Mysterious places in India

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