मांग और पूर्ति (Demand and Supply) के नियम तथा संबधित वक्र (Curves)
“मांग और पूर्ति (Demand and Supply) के नियम तथा संबधित वक्र (Curves)” is important topic for all competitive exams like CET, SSC CGL, RRB NTPC, UPSC etc. In these exams, almost 4-5 questions are coming from Economics. Let’s start Economics topic: मांग और पूर्ति (Demand and Supply) के नियम तथा संबधित वक्र (Curves).
मांग और पूर्ति (Demand and Supply) के नियम तथा संबधित वक्र (Curves)
आर्थिक बाजार (Market) को समझने के लिए मांग (Demand) और पूर्ति (Supply) को जानना आवश्यक है। क्योंकि बाजार में मुख्य रूप से मांग एवं पूर्ति के कारक काम करते हैं, जिन्हें हम आगे समझेंगे:-
मांग (Demand):-
मांग एक आर्थिक शब्द है जो ऐसे उत्पादों या सेवाओं की संख्या को संदर्भित करता है जो उपभोक्ता किसी भी मूल्य स्तर पर खरीदना चाहते हैं।
- किसी उत्पाद के लिए उपभोक्ता की केवल इच्छा मांग नहीं है बल्कि मांग (Demand) में एक निश्चित अवधि में किसी दिए गए उत्पाद का अधिग्रहण करने के लिए उपभोक्ता की क्रय शक्ति शामिल है।
- दूसरे शब्दों में ऐसे समझें, यह उन उत्पादों या सेवाओं की संख्या है जो उपभोक्ता खरीदने के लिए तैयार हैं और सक्षम हैं।
- अत: हम ये कह सकतें हैं कि मांग क्रेताओं द्वारा निर्मित की जाती है।
मांग का नियम (Law of demand):
मांग का नियम यह कहता है कि यदि बाजार के अन्य सभी पहलुओं को स्थिर रखा जाए तो कीमतों के गिरने पर मांग बढ़ने लगती है और कीमतों के बढ़ने पर मांग कम हों जाती है।
- मांग के नियम के अनुसार वस्तु की कीमत एवं इसकी मांगी गयी मात्रा में विपरीत संबंध होता है।
मांग वक्र (Demand Curve):
मांग वक्र क्रेताओं के व्यवहार पर निर्भर करता है। नीचे चित्र में मांग वक्र को दर्शाया गया है। इसमें दो बिन्दुओं A1 तथा A2 बाजार की दो भिन्न स्थितियों को बताते हैं।
- बिन्दु A1– जैसा की ग्राफ में देखा जा सकता है कि बिन्दु A1 पर बाजार मूल्य के गिरते ही; बाजार में मांग की मात्रा बढ़ जाती है। उपभोक्ता वस्तुओं के मूल्य गिर जाने के कारण आवश्यकता न होने पर भी उन्हें खरीदने का मन बनाते हैं।
- बिन्दु A2– जैसा की ग्राफ में देखा जा सकता है कि बिन्दु A2 पर बाजार मूल्य बढ़ते ही बाजार में मांग की मात्रा घट जाती है। उपभोक्ता वस्तुओं के मूल्य बढ़ जाने के कारण खरीदारी न करने का मन बनाते है।
मांग को प्रभावित करने वाले कारक:
- जब मांग की बात आती है, तो ग्राहक की प्राथमिकताएं और नवीनतम रुझान मांग वक्र में बदलाव के सबसे सामान्य कारण हैं।
- स्थानापन्न वस्तुओं की उपलब्धता से मांग भी प्रभावित होती है। यदि विकल्प कम कीमत पर उपलब्ध है, तो यह उच्च मांग को आकर्षित करेगा और इसके विपरीत विकल्प उच्च कीमत पर उपलब्ध है तो यह मांग में कमी लायेगा।
- अन्य कारकों में मौसमी परिवर्तन शामिल हैं:- मुद्रास्फीति, ग्राहकों की आय में परिवर्तन और विज्ञापन।
पूर्ति (Supply):-
आपूर्ति (supply) किसी संसाधन की वह मात्रा होती है जो उस संसाधन के उत्पादक; किसी कीमत के बदले; उस संसाधन के उपभोक्ताओं को देने के लिए तैयार होते हैं।
- क्रेताओं (Buyers) द्वारा बनायी गयी मांग, विक्रेता या बेचने वालों द्वारा पूरी की जाती है।
पूर्ति का नियम (Law of Supply):
पूर्ति के नियमानुसार, यदि बाजार के अन्य सभी पहलुओं के प्रभाव को स्थिर रखा जाए तो पूर्ति एवं मूल्य में धनात्मक (सीधा) सम्बन्ध होता है अर्थात् किसी वस्तु या सेवा की कीमत में वृद्धि होने पर उसकी पूर्ति में वृद्धि हो जाती है और कीमत में कमी होने पर पूर्ति में भी कमी हो जाती है।
- दूसरे शब्दो में इसे इस प्रकार समझें: यदि बाजार के अन्य सभी पहलुओं को स्थिर (Constant) रखा जाए और यदि किसी वस्तु का मूल्य बढ़ता जाए तो उस वस्तु की उपलब्धता (पूर्ति) भी बढ़ती जाएगी और मूल्य कम हों जाए तो वस्तु की उपलब्धता (पूर्ति) में भी कमी आएगी।
- अत: पूर्ति और कीमत के सीधे (Proportional) सम्बन्ध को ही ‘पूर्ति का नियम’ कहते हैं।
पूर्ति वक्र (Supply Curve):
- पूर्ति वक्र विक्रेताओं के व्यवहार पर निर्भर करता है।
- जिस समय विक्रेता को अधिक मूल्य प्राप्त हो रहा हो उस समय विक्रेता पूर्ति को बढ़ा देता है परन्तु यदि विक्रेता को कम मूल्य प्राप्त हो तो वह वस्तुओं की पूर्ति को कम कर देता है।
- नीचे दिए गये ग्राफ में पूर्ति वक्र को दर्शाया गया है। इसमें दो बिन्दुओं A1 तथा A2 जो कि बाजार की दो भिन्न स्थितियों को बताते हैं परन्तु दोनों की स्थितियों में पूर्ति एवं बाजार मूल्य में धनात्मक सम्बन्ध है।
आपूर्ति (supply) को प्रभावित करने वाले कारक:
- मुख्य कारक जो आपूर्ति वक्र को प्रभावित करता है वह है = उत्पादन लागत।
- प्रौद्योगिकी भी आपूर्ति वक्र में बदलाव ला सकती है क्योंकि यदि सामग्री और श्रम लागत बढ़ जाती है, तो आपूर्तिकर्ता बड़ी मात्रा में उत्पाद का उत्पादन करने में सक्षम नहीं हो सकता है।
- वस्तु की आपूर्ति को प्रभावित करने वाले अन्य कारक हैं:- कर, संस्था लागत और राजनीतिक परिवर्तन।
बाजार वक्र (Market Curve):-
बाजार वक्र, किसी भी समय बाजार में मांग व पूर्ति पर निर्भर करता है; जो (बाजार वक्र) बाजार मूल्य, मांग एवं पूर्ति के हिसाब से बदलता है।
दिए गए ग्राफ से यह निष्कर्ष निकालता है कि:–
- जब मांग ज्यादा; तब बाजार मूल्य ज्यादा ⇒ मांग बाजार ∝ मूल्य (अनुक्रमानुपाती)
- ऐसे समझें- अगर बाजार में किसी भी वस्तु की मांग एकाएक बढ़ जाए तो उस वस्तु की कीमत भी बढ़ने लगेगी।
- जब पूर्ति ज्यादा; तब बाजार मूल्य कम ⇒ पूर्ति ∝ 1/बाजार मूल्य (वक्रानुपाती)
- ऐसे समझें- यदि बाजार में किसी भी वस्तु की पूर्ति एकाएक अधिक मात्रा में होने लगे तो उस वस्तु की कीमत भी कम होने लगेगी।
अतः हम यह कह सकते हैं कि बाजार वह काल्पनिक स्थान है जहां मांग और पूर्ति के कारण क्रेता (buyer) एवं विक्रेता (seller) एक दूसरे के साथ सौदेबाजी करते हैं और सौदे बाजी करके एक नियत मूल्य पर सौदा तय करते हैं, इसी मूल्य को बाजार मूल्य (market price) कहा जाता है।
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