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हरियाणा उदय और स्वतंत्र हरियाणा की मांग – Formation Of Haryana

हरियाणा उदय और स्वतंत्र हरियाणा की मांग – Formation of Haryana

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स्वतंत्र हरियाणा की मांग और हरियाणा उदय 

(Formation of Haryana)

आजादी से पहले की (स्वतंत्रत हरियाणा की) माँग

1858 में हरियाणा का अधिकांश हिस्सा पंजाब राज्य में शामिल कर दिया गया था। उसके बाद पंजाब राज्य, ब्रिटिश भारत का एक राज्य बन गया। परन्तु इसको अलग करने की माँग स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले ही उठने लगी थी।

    • 1925 में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के दिल्ली अधिवेशन की “स्वागत समिति” की अध्यक्ष “परिजदा मुहमद हुसैन” ने हरियाणा क्षेत्र को पंजाब से निकालकर दिल्ली में मिलाने की माँग रखी।
    • 1928 में दिल्ली में हुई “सर्वदलीय सम्मेलन” ने भी यही माँग दोबारा उठाई गयी।
    • 9 सितम्बर 1932, को हरियाणा और दिल्ली के प्रख्यात राष्ट्रवादी नेता – दीनबंधु गुप्त ने हरियाणा को पंजाब से अलग करने की मांग की थी|

आजादी के बाद की मांग

आजादी के बाद हरियाणा क्षेत्र के लोगों पर भाषीय आधार पर भेदभाव किया गया। पंजाब के मुख्यमंत्री – श्री प्रताप सिंह कैरो के शासनकाल में ही हरियाणा प्रदेश बनाने की मांग उठने लगी थी परन्तु पहला बदलाव तत्कालीन मुख्यमंत्री – श्री भीम सेन सच्चर द्वारा 1 अक्टूबर 1949 को, सच्चर फार्मूला लगाकर किया गया।

क्या था सच्चर फार्मूला – इसके तहत पंजाब प्रान्त को दो क्षेत्रों में विभाजित कर दिया –

        1. हिंदी क्षेत्र
        2. पंजाबी क्षेत्र
  • हिंदी क्षेत्र में – रोहतक, अंबाला का नारायणगढ़, हिसार, गुरुग्राम, करनाल, महेंद्रगढ़, पटियाला का कोहिस्तान क्षेत्र, जींद व नरवाना तहसीलें, शिमला एवं काँगड़ा जिले शामिल किया गए।
  • शेष बचा क्षेत्र पंजाबी क्षेत्र घोषित किया गया।
  • Pri-University परीक्षा तक हिंदी क्षेत्र में हिंदी भाषा (देवनागरी लिपि) व पंजाबी क्षेत्र में पंजाबी भाषा (गुरुमुखी लिपि) को शिक्षा का माध्यम बनाया गया।
  • हिंदी क्षेत्र में द्वितिय भाषा पंजाबी व पंजाबी क्षेत्र में द्वितिय भाषा हिंदी पढ़ाया जाना आवश्यक हो गया।
  • जनता को सच्चर फार्मूला अच्छा नहीं लगा तो फलस्वरूप यह हटा दिया गया। और क्षेत्रीय फार्मूला लागू किया गया।

क्षेत्रीय फार्मूला

इस फार्मूले को लागू करने के लिए 6 सदस्यों की समिति गठित की गई। वर्ष 1956 में ‘फजल अली आयोग’ ने अपनी रिपोर्ट दी जिसमे पंजाब प्रान्त को ज्यों -का -त्यों रखा गया।  पंजाब प्रान्त की सिफारिश पर भारत सरकार ने पंजाब को भाषायी आधार पर दो प्रथक क्षेत्रों – पंजाब और हरियाणा में बाँट दिया और निम्न बाते तय की गई:

  • पंजाबी और हिंदी इस राज्य की सरकारी भाषाएँ है।
  • प्रत्येक क्षेत्र में एक क्षेत्रीय समिति होगी तथा कोई भी कानून बनाने से पहले उस समिति से परामर्श करना होगा।
  • दोनों क्षेत्रों की संयुक्त विधानसभा व एक राज्यपाल रहेगा|
  • नए हिंदी भाषी राज्य का निर्माण किया जाए जिसमे पंजाब के हिंदी भाषी क्षेत्र के अलावा उत्तर प्रदेश, दिल्ली व राजस्थान के कुछ भाग शामिल हो।
  • अगर यह न माने तो पंजाबी भाषा के क्षेत्र में से ही हिंदी भाषा वाला क्षेत्र ही दे दिया जाये।
  • अगर यह भी न माने तो पंजाब में पहले से निर्धारित हिंदी क्षेत्र में कांट -छांट सहन नहीं होगी।

कुछ अन्य महत्वपूर्ण  तथ्य 

  • वर्ष 1953 में राज्य पुनर्गठन आयोग गठित हुआ जिसने भाषीय आधार पर पंजाब विभाजन को नहीं माना।
  • वर्ष 1946 में सीतारमैया ने अखिल भारतीय भाषायी कांफ्रेंस (दिल्ली) में दीनबंधु गुप्त की हरियाणा को पंजाब से अलग करने का खुला समर्थन दिया।
  • संत फतेह सिंह ने 1956 में घोषणा की थी की यदि पंजाबी सूबे की स्थापना नहीं हुई तो वह आत्मदाह कर लेंगे।
  • 24 जुलाई 1956 को क्षेत्रीय फार्मूले को लागू किया गया। वर्ष 1957 के चुनाव के बाद तत्कालीन मुक्यमंत्री – ‘प्रताप सिंह कैरो’ ने हरियाणा में पंजाबी भाषा की पढ़ाई अनिवार्य कर दी। फलतः विरोध शुरू हो गया और विरोध के दौरान हजारों लोग कैद कर लिए गए। “रोहतक एवं हिसार” में यह आंदोलन प्रभावशाली रहा| अंततः बलवन्त को हिंदी क्षेत्रीय समिति का अध्यक्ष चुना गया।
  • वर्ष 1960 में सिक्खों के नेता मास्टर तारा सिंह ने पंजाबी सूबे के लिए आंदोलन शुरू कर दिया, और उनकी गिरफ्तारी के बाद नेता फतेह सिंह आए। वे उदार व धर्मनिरपेक्ष थे और मांग मनवाने के लिए आमरण अनशन तक भी किया|
  • 1948 में मास्टर तारा सिंह ने अपने पत्र “अजित” में पंजाबी सूबे से भी एक कदम आगे “सिक्ख राज्य” की मांग की।
  • 23 सितम्बर 1965 को भारत के ग्रह राज्य मंत्री ने संसद के दोनों सदनों में पंजाब के पुनर्गठन के संबंध में संसदीय समिति के गठन के निर्णय की घोषणा की और इस समिति के अध्यक्ष सरदार हुकुम सिंह” बने|
  • अक्टूबर-1965 में विधायकों द्वार रोहतक की सभा में 3 प्रस्ताव पारित किए गए।
  • इसके बाद 23 अप्रैल 1966 को J.C  शाह की अध्यक्षता में एक सीमा आयोग का गठन किया गया। आयोग ने 31 मई 1966 को रिपोर्ट दी। हरियाणा में निम्न क्षेत्रों को सम्मिलित किया – हिसार, गुड़गाँव, महेंद्रगढ़, करनाल, रोहतक, जींद, चण्डीगढ़, खरड़, नारायणगढ़ (अंबाला), व जगाधरी तहसील।
  • पंजाब पुर्नगठन विधेयक (न. 31),वर्ष 1966 लोकसभा में 18 सितम्बर 1966 को पारित हुआ।
  • इसमें कांगड़ा व शिमला नहीं थे।
  • आयोग की सिफारिश अनुसार – तहसील ‘खरड’ (चंडीगढ़ सहित) भी हरियाणा का हिस्सा होना चाहिए।
  • सीमा आयोग के सदस्य – (तीन सदस्य)
    1. जस्टिस जे.सी.शाह (अध्यक्ष),
    2. श्री दत्त,
    3. M. फिलिफ

परिणामस्वरूप, 1नवम्बर 1966 को, 18वें संविधान – संशोधन के द्वारा हरियाणा भारत का 17वां राज्य बना और चौधरी धर्मवीर सिंह को स्वतंत्र हरियाणा का पहला राजपाल नियुक्त किया गया।

कुछ महत्वपूर्ण अनुच्छेद:-    (हरियाणा उदय और स्वतंत्र हरियाणा की मांग-Formation of Haryana)

अनुच्छेद – 21: इसमें कहा गया है कि ‘पंजाब और हरियाणा की सांझी हाईकोर्ट होगी’।

अनुच्छेद – 9:- इसमें राज्य की लोकसभा में सीटों के बारे में बताया गया है।

अनुच्छेद – 10:- हरियाणा की मौजूदा विधानसभा में सदस्यों की गिनती को लेकर है| उस वक्त हरियाणा के विधानसभा सदस्यों की संख्या – 54 थी।

अनुच्छेद – 14(2):- इसके अनुसार, विधानसभा को अपने में से – अध्यक्ष (विधानसभा अध्यक्ष) का चुनाव सविधान में बताये गए तरीके से करना होगा।

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Facts for Competitive Exams – Haryana Gk.

  • पंजाब हरियाणा सीमा आयोग के अध्यक्ष थे – जस्टिस जे सी शाह
  • जे. सी. शाह आयोग में कितने सदस्य थे – तीन
  • हरियाणा राज्य का गठन 18वें संविधान संशोधन द्वारा हुआ।
  • फजल अली आयोग की रिपोर्ट कब प्रस्तुत की गयी – 1956 में।
  • सच्चर फार्मूला लागू हुआ – 1 अक्टूबर 1949 को।
  • हिंदी पंजाबी विवाद के दौरान, हिंदी क्षेत्रीय समिति के अध्यक्ष चुने गए – बलवंत तायल
  • हिंदी आन्दोलन समर्थन में आन्दोलन से सबसे प्रभावित क्षेत्र थे – रोहतक और हिसार
  • जब हरियाणा स्वतंत्र राज्य बना, तब इसमें जिले थे – 7 (अम्बाला, रोहतक, महेंद्रगढ़, गुडगाँव, करनाल, हिसार और जींद)।

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