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हरियाणा के प्रमुख – लोक नृत्य (Haryana – Folk Dances)- Haryana GK

हरियाणा के प्रमुख – लोक नृत्य (Haryana – Folk Dances)- Haryana GK

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हरियाणा के प्रमुख – लोक नृत्य (Haryana – Folk Dances)

हरियाणा के लोक नृत्य पीढ़ी-दर-पीढ़ी सौंपी गई परंपराओं के भंडार हैं। धमाल नृत्य शैली तो महाभारत काल की  बताई जाती है। सांग और रागिनी को हरियाणा की लोक परंपरा के हर ताने-बाने में बुना जाता है। यहाँ के गीतों में अतीत के अमर लोक नायक हैं। यहाँ की संस्कृति में  पड़ोसी राज्यों की परंपरायें आदि को भी सम्मलित करके किसी भी तरह के परंपरागत रंगों को प्रस्तुत किया जाता है। हरियाणा लोक-नृत्यों की समृद्धि, विविधता, देहाती ताक़त को वास्तव में उनके सौंदर्य और दृश्य गुणों की सराहना करते हुए देखा जाता है। कुछ प्रमुख हरयाणवी लोक नृत्य निम्नलिखित हैं:- 

धमाल – नृत्य –    

DHAMAL DANCE-sukrajclasses.comमान्यताओं के आधार पर यह नृत्य महाभारत काल से चला आ रहा है। यह नृत्य गुड़गांव के अहीर क्षेत्रों में विशेष रूप से लोकप्रिय है। यह महेंद्रगढ़ जिले में भी किया जाता है। यह नृत्य केवल पुरुषों द्वारा किया जाता है।  इसमे बीन – वादक सबसे पहले लंबे नोट देता है और ढोल, ताशा और नगाड़ा बजाते हुए नर्तक अखाड़े में पहुंच जाते हैं। कुछ अपने हाथों में बड़े डैफ लेकर जाते हैं। इन्हें चमकीले रंग के कपड़े के तामझाम से सजाया जाता है।  इसका आयोजन चांदनी रात में  ‘खुले मैदानों में’ होता है। यह नृत्य विभिन्न आंदोलनों में दिखाया जाता है इसमे कलाबाजी करते हुए नर्तक कई बार गांव की उन महिलाओं की नकल करते हैं जो इस नृत्य में भाग नहीं लेती हैं।

 

खोड़िया – नृत्य khodiya-sukrajclasses.com 

  खोड़िया नृत्य भी केवल महिलाओं द्वारा शादियों और त्यौहारों पर किया जाता है। इसका आयोजन लड़के के विवाह के अवसर पर किया जाता है।  बारात के जाने के बाद दुल्हन को घर लाने के लिए दूल्हे के घंटों इंतजार में घर पर रुकी स्त्रियों द्वारा किया जाता है| यह हरियाणा के मध्य क्षेत्रों में लोकप्रिय है।

 

 

गुग्गा – नृत्य         

guga dance-sukrajclasses.com यह गुग्गा पीर की याद में निकाले गए जुलूस में एक अनुष्ठानिक नृत्य है। यह नृत्य भादों माह में गुगा पीर के भक्तों द्वारा किया जाता है। भक्तों के एक समूह को मुख्य नर्तक- समूह के रूप में चुना जाता है। वे अपने स्वयं के संगीत वाद्ययंत्रों जैसे डेरू, थाली, चिमटा आदि के साथ नृत्य का माहौल बनाते हैं। हिसार जिले में ‘गुगा मेडी’ के स्थान पर गुगा के विशाल मेले भरते है।  जहाँ भक्त गुगा नत्य करते है। इसमें काफ़ी भक्त स्वयं को जंजीरों से पीटते है। हरियाणा में गूगा पीर को हिंदुओं और मुसलमानों दोनों द्वारा पूजा जाता है।

 

फ़ाग – नृत्य –   जैसा कि नाम से ही पता चलता है, यह नृत्य – फाल्गुन के मधुर महीने को मनाने के लिए किया जाता है| यह नृत्य होली से दो सप्ताह पहले किया जाता है। यह नृत्य मुख्यतः रात में स्त्रियो द्वारा किया जाता है परंतु कही- कही यह नृत्य पुरुषों द्वारा भी किया जाता है।  इस नृत्य की प्रमुख विशेषता यह है कि पुरुष, स्त्रियों के नृत्य को नही देख सकता।

 

लूर – नृत्य  –     यह नृत्य भी महिलाओं द्वारा, हरियाणा के ‘बागर’ क्षेत्रों में, होली के आसपास के समय पर किया जाता है। इसमे नर्तक दो टीम बनाते हैं| वे मजाकिया तौर पर एक दूसरे को ताना मारते हैं, या तो बेटी के जन्म के बारे में या दोनों पक्षों के बीच विवाह बंधन की असफलता के बारे में।

 

घूमर – नृत्य: –       

ghumar-sukrajclasses.comघूमर भी केवल महिलाओं द्वारा किया जाता है| हरियाणा में, यह राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों में लोकप्रिय है। यह होली, गंगोर पूजा और तीज जैसे विभिन्न त्योहारों पर किया जाता है। इसमे महिलाएं नाचते हुए गाती भी हैं। इसके मुख्य चरणों में से एक – गोले में धीरे-धीरे गोल चक्कर लगाने होते हैं तो कभी-कभी वे दो पंक्तियों का निर्माण करती हैं| यहां भी नृत्य के अंत में गायन का टेम्पो बढ़ता है और तब नर्तकियां  जोड़ो में घूमती हैं।

 

मंजीरा – नृत्य –  यह मेवात में डफ , मंजीरा व नक्कारों के साथ होता है।

छठी – नृत्यchathi-sukrajclasses.com         

शिशु के जन्म के छठे दिन स्त्रियों द्वारा रात्रि  में यह नृत्य किया जाता है। इसमें उबले हुए चने या गेहूँ बांटे जाते है।

 

 

 

छडी – नृत्य–    इसका आयोजन भादों मास की नवमी को गुगा – पीर की पूजा के बाद रात को पुरुषों द्वारा किया जात्ता है।

 

तीज – नृत्यteej-sukrajclasses.com        

यह नृत्य तीज के त्यौहार पर किसी विशेष स्थान पर किया जाता है। इसमें महिलाएं पेड़ो पर झूला डाल कर झूलती हैं और साथ में  तीज गा-कर नृत्य करती हैं|

 

डमरू – नृत्य –  यह नृत्य पुरुषों द्वारा किया जाता है।

 

रास – नृत्य–           

Raas dance-sukrajclasses.comइसका सबंध भगवान श्री कृष्ण की रासलीलाओं में लोकप्रिय है।  यह पलवल, बलभगढ़ आदि जिलों  में लोकप्रिय है।  इस नृत्य के   : मुख्यत 2 प्रकार है :                                   

  •      ताण्डव:  यह नृत्य मुख्यतः पुरुषों द्वारा किया  है।
  •      लास्य:   यह  नृत्य मुख्यतः स्त्रियों द्वारा किया  है। यह पलवल, फरीदाबाद जिलो में लोकप्रिय है|

 

रसिया नृत्य – इस नृत्य का सबंध ब्रज की श्री कृष्ण लीलाओं से है।  यह भी पलवल, होडल, बलभगढ़ आदि क्षेत्रों में किया जाता है।  इस नृत्य में तीन नक़्क़रों, थाली ढोलक आदि यंत्रो का उपयोग किया जाता है।

 

डफ नृत्यdaf dance-sukrajclasses.com

यह नृत्य श्रृंगार व वीर रस प्रधान होते हुए ‘ ढोल नृत्य ‘ के नाम से भी जाना जाता है।  इस नृत्य को वसंत ऋतु के आगमन पर किया जाता है।  यह पहली बार 1969 में गणतंत्र दिवस में प्रस्तुत किया गया था।

 

 

बीन – बाँसुरी नृत्य–   यह नृत्य बांगर क्षेत्र में किया जाता है।  इस नृत्य में घड़े पर रबड़ बाँधकर ताल व थापों के सहारे लोकगीत की धुन बनाई जाती है।

 

रतवाई नृत्य – यह मेवाती क्षेत्र में स्त्री- पुरुषों द्वारा सामुहिक रूप से किया जाता है।

 

सांग नृत्य saang-sukrajclasses.com

यह वीर रस प्रधान नृत्य, सांग कलाकारों द्वारा मनोरंजन हेतु किया जाता है।इसमे विभिन्न सांस्कृतिक किस्से -कहानियों को नृत्य और गायन की देशी कला से प्रदर्शित किया जाता है|

 

गणगौर प्रजा नृत्य– यह नृत्य हिसार जिले  में बेहद प्रचलित है।

 

घोड़ी नृत्य – यह नृत्य शादी-ब्याह के अवसर पर किया जाता है।  इस नृत्य में रंगीन गते/कागज से बनाया हुआ घोड़े का मुखौटा पहना जाता है|

 

खेड़ा नृत्य– एकमात्र नृत्य है जो ख़ुशी में नहीं बल्कि गम (दुःख) में किया जाता है।  यह परिवार में किसी बुर्जग व्यक्ति की मृत्यु के समय किया जाता है|

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