हरियाणा के प्रमुख उपवास/व्रत-Fasts in Haryana
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हरियाणा में – उपवास/ व्रत
( Fasts in Haryana)
हरियाणा के प्रमुख उपवास/व्रत-Fasts in Haryana
करवाचौथ का व्रत:
- यह व्रत कार्तिक (कातक) माह की कृष्णा – चतुर्थी को किया जाता है।
- इस व्रत को महिलाओं द्वारा, अपने सुहाग (पति) की सुरक्षा और लम्बी आयु के उद्देश्य से रखा जाता है।
- आजकल यह प्राचीन व्रत- परम्परा; एक त्यौहार का रूप ले चुकी है।
अहोई माता का व्रत:
- यह व्रत कार्तिक माह की कृष्णा-अष्टमी को संतानवती स्त्रियों द्वारा रखा जाता है।
- इस व्रत का मुख्य उदेश्य– संतानो (बच्चे) की लम्बी उम्र और उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना पूरी करना होता है।
- इस दिन बहुएं अपनी सास से या किसी बुजुर्ग महिला से व्रत की कहानी सुनती हैं तथा सास को, उसके पैर दबाकर और “बाणा” निकल कर, वस्त्र और सूट आदि भेंट करती हैं।
देवउठनी ग्यारस (देवोत्थान) का व्रत:
- यह व्रत कार्तिक माह की शुक्लपक्ष की एकादशी को रखा जाता है।
- पुराणों में इसे “प्रबोधिनी एकादशी” के नाम से संबोधित किया गया है।
- पौराणिक मान्यता है के अनुसार श्री विष्णु भगवान हरिशयनी एकादशी (आषाढ़ माह की शुक्ल-एकादशी) को सो-कर चार माह बाद कार्तिक माह की शुक्ल-एकादशी को उठतें हैं।
- इसी मान्यता के अनुसार, कार्तिक शुक्ला-एकादशी को विवाह के शुभ मुहर्त निकलने शुरु होते हैं।
- देवोत्थान एकादशी को ही हरियाणवी में देवउठनी ग्यारस/ग्यास कहा जाता है।
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हरियाणा के प्रमुख उपवास/व्रत-Fasts in Haryana
कार्तिक पूर्णिमा (कातक की पन्वाशी) का व्रत :
- यह कार्तिक (कातक) माह की अंतिम तिथि है जो दान -पुण्य हेतु सर्वोतम मानी जाती है।
- इस दिन लोग व्रत रख कर अपनी मनो कामना पूर्ति हेतु गंगा, यमुना, पुष्कर, ब्रह्मसरोवर (कुरुक्षेत्र), कपाल मोचन, राम-रामरा, पांडू- पिंडारा (जींद) आदि पवित्र तीर्थों में स्नान करतें हैं।
- पुराने समय में, हरियाणा में तो पूरे कार्तिक माह में महिलाएं और लड़कियां सुबह जल्दी उठ कर गीत गाती हुई अपने तीर्थ स्थानों पर नहाने जाती थी।
- इस दिन गंगा स्नान और दीप दान का बड़ा महत्व है।
संकट/ सकट चौथ का व्रत:
- यह व्रत माघ माह की कृष्णा- चतुर्थी को रखा जाता है।
- इसे देशी भाषा में संकट-चौथ (गणेश चतुर्थी ) के नाम से जाना जाता है।
नाग पंचमी का व्रत:
- यह व्रत श्रावण (सावन) माह की पंचमी को नाग देवताओं को शांत करने के लिए रखा जाता है।
- हरियाणा में इस दिन महिलाएं प्रातकाल में घर की दीवारों पर गेरू से वर्गाकार आकृति बनती है।
सीली सात्तम (शीतला सप्तमी) का व्रत:
- सीली सात्तम का अनुष्ठान– चैत्र माह की कृष्णा सप्तमी को पूरा होता है।
- यह व्रत चेचक की देवी को शांत करने के लिए रखा जाता है।
- इस दिन बासी भोजन ही खाया जाता है।
निर्जला एकादशी (ग्यारस) का व्रत:
- यह व्रत ज्येष्ठ (जेठ) माह में शुक्लपक्ष की एकादशी को रखा जाता है।
- सभी एकादशीओं व्रतों में यह व्रत सबसे अधिक पुण्य माना गया है।
- इस दिन (ज्येष्ठ माह में) हरियाणा में प्याऊ लगाकर लोग राहगीरों को पानी पिलाते हैं।
- यह व्रत बिना पानी पिए रखा जाता है।
श्राद्ध व्रत:
- यह व्रत अपने दिवंगत पूर्वजों की परितुष्टि के लिए शदियों से किया जाता रहा है।
- श्राद्धकाल 15 दिन लगातार चलतें है, लोग अपने पूर्वजों की पुण्यतिथि अनुसार इस व्रत को रखतें है और दान-दीक्षा देते हैं।
वासरीय व्रत:
- ये व्रत सप्ताह के सातों दिन रखे जाते हैं।
- हर दिन की अपनी कथा होती है।
Also Read:-
हरियाणा की भौगोलिक एवं प्राकृतिक स्थिति-Geographical Structure of Haryana.
हरियाणा के राज्य प्रतीक – Haryana State Symbols.
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