हरियाणा के इतिहास से संबधित प्रमुख धर्मग्रन्थ और साहित्य स्त्रोत – Haryana History
Haryana GK topic – हरियाणा के इतिहास से संबधित प्रमुख धर्मग्रन्थ और साहित्य स्त्रोत (Ancient History of Haryana), is important topic of haryana gk for HSSC and HCS exams. Many Questions were asked in pervious year’s Haryana state competitive exams from these haryana gk topics. Lets start the topic: हरियाणा के इतिहास से संबधित प्रमुख धर्मग्रन्थ और साहित्य स्त्रोत।
हरियाणा की स्थिति सामरिक महत्व की होने के कारण भारत के राजनीतिक सामाजिक तथा धार्मिक इतिहास में इस प्रदेश का महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ की धरती पर ऋग वैदिक काल से लेकर आधुनिक काल तक कई लड़ाईयाँ लड़ी गई। उपलब्ध सामग्री के आधार पर हरियाणा के प्राचीन इतिहास पर प्रकाश डालने वाली साहित्यिक सामग्री को मोटे तौर पर हम दो भागों में बांट सकते हैं: भारतीय स्रोत और विदेशी स्रोत।
भारतीय स्रोत:-
भारतीय स्रोतों में सबसे पहले धार्मिक ग्रंथ आते हैं। इनको अपनी सुविधा के आधार पर हम तीन भागों में बांट सकते हैं:-
- ब्राह्मण धर्म ग्रंथ
- बौद्ध धर्म ग्रंथ
- जैन धर्म ग्रंथ
ब्राह्मण धर्म ग्रंथ:
इस बात से लगभग सभी इतिहासकार सहमत हैं कि वैदिक संहिताओं, ब्राह्मण, उपनिषद और आरण्यक आदि की रचना हरियाणा में ही हुई| अतः इन ग्रंथों में इस प्रदेश की विशेषताओं के बहुत कुछ मिलता है:-
ऋग्वेद:
- ऋगवेद विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ है इससे हरियाणा प्रदेश की भौगोलिक जानकारी दी गई है।
- ऋग्वेद से हमे पता चलता है कि आर्य लोग सरस्वती और दषदाती नदियों के बीच में निवास करते थे। इन्हीं नदियों के तटों पर इन्होंने वैदिक ग्रंथों की रचना वैदिक यज्ञों का विकास तथा अध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति की।
- ऋग्वेद वेद में भारत नामक कबीले का उल्लेख किया गया है जो इस काल में सरस्वती और यमुना नदियों के बीच रहता था।
- ऋग्वेद में हरियाणा के कुछ स्थानों का भी उल्लेख है जिनमें से सरयणावत मुख्य है | कनिधंम इसकी पहचान कुरुक्षेत्र के आधुनिक विशाल तालाब से करते है।
शत्तपथ ब्राह्मण:
- इस ग्रंथ में हरियाणा क्षेत्र में रहने वाले कुरुओं का उल्लेख है, जिनके नाम पर कुरुक्षेत्र नाम पड़ा जो बाद में वैदिक संस्कृति का केन्द्र बना।
महाभारत:
- महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में हुआ और गीता का उपदेश भी कुरुक्षेत्र में दिया गया था।
- महाभारत में हरियाणा प्रदेश को बहुधान्यक प्रदेश कहा गया है।
- महाभारत में नकुल के रोहतक पर आक्रमण के बारे में विस्तार से दिया गया है।
- महाभारत के अनुसार रोहतक जहाँ घोड़ों और गायों बहुत अधिक होते थे| यहाँ फसले बहुत अच्छी थी और कार्तिकेय जहाँ का पूज्य देवता होता था और ऐसे प्रदेश के निवासियों के साथ नकुल को भीषण युद्ध का सामना करना पड़ा।
- इसके अतिरिक्त इस ग्रंथ में इस क्षेत्र की नदियों, जंगलों, आश्रमों, तीर्थों और नगरों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।
वामन पुराण:
- वामन पुराण में हरियाणा प्रदेश को ‘कुरू जंगल’ कहा गया है|
- वामन पुराण में इस क्षेत्र के सात जंगलो का विवरण दिया गया है।
बौद्ध धर्म ग्रंथ:
बौद्ध धर्म ग्रथों में भी हरियाणा के लोगों के जीवन और बौद्ध धर्म के अस्तित्व के बारे में ज्ञान प्राप्त होता है जो इस प्रकार है:-
- दिव्यदान: इस ग्रंथ से हमे पता चलता है कि उत्तर-पश्चिमी भारत में जिसमें अग्रोहा और रोहतक आते हैं बौद्ध धर्म का प्रसार था। रोहतक के लोग सम द्विशाली, प्रसन्नचित, धनधान्य से परिपूर्ण तथा संगीत प्रेमी थे।
- चुल्लवग्ग: इस ग्रंथ से पता चलता है कि अग्गल्लपुर (अग्रोहा) बौद्ध धर्म का शक्तिशाली केन्द्र था।
- मंजू श्री मुलकल्प: इस ग्रंथ में श्री कण्ठ जनपद के अन्तर्गत आने वाले स्थाण्विश्वर का उल्लेख किया गया है और बताया गया है कि यहाँ के शासक वैश्य थे।
- मझिम निकाय: इस ग्रंथ में हमें उल्लेख मिलता है कि तुल्लकोट्डहित (धनकोट, जिला गुड़गांव) जो कुरुक्षेत्र का एक सम द्विशाली शहर था। इस शहर में बुद्ध ने रत्थपात को अपना उपदेश दिया था।
- जातक ग्रंथः जातकों में कुरुक्षेत्र का प्रचुरता से उल्लेख मिलता है।
जैन साहित्य:
- अनेक जैन ग्रंथों में हरियाणा प्रदेश के लोगों के जीवन और जैन धर्म के इतिहास की जानकारी मिलती है।
- इस प्रदेश में जैन धर्म को पुनर्जीवित करने का श्रेय जैन साधु जिनवललभ को जाता है जो कि हांसी में रहते थे। इन्होंने जैन धर्म की कई पुस्तकें भी लिखीं।
- सामदेव के यशस्तिलक-चम्पू और पुष्प दंत के जसहर-चरिऊ : इन दोनों ग्रंथों से हमें पता चलता है कि यौधेय देश अर्थात हरियाणा पशुधन से परिपूर्ण था। चारों तरफ खेतों में लहलहाती फसलें होती थी और लोग आदर सत्कार करने वाले तथा वर्ण आश्रम धर्म को मानने वाले थे। यह प्रदेश एक सुंदर और खुशहाल जीवन का स्थान था।
हरियाणा के इतिहास से संबधित प्रमुख धर्मग्रन्थ और साहित्य स्त्रोत – Haryana History
ऐतिहासिक ग्रंथ:
कल्हण की राजतरंगिणी:
- इस ग्रन्थ में हरियाणा के राजनीतिक इतिहास पर काफी प्रकाश डाला गया है।
- इसमें बताया गया है कि कश्मीर के राजा ललितादित्य मुक्तापीड ने यहां के राजा को हराकर यमुना से कालका तक का सारा प्रदेश अपने अधीन कर लिया था।
- इस ग्रंथ से हमें यह भी ज्ञात होता है कि रोहतक का एक व्यापारी बहु संपत्तिवान था।
अर्ध ऐतिहासिक ग्रंथः
पाणिनी की अष्टाध्यायी:
- इस ग्रंथ में कुरु-जनपद और यौघेय जाति, जो इन प्रदेश में बसते थे का विवरण दिया गया है।
- इसके अतिरिक्त हरियाणा के कुछ नगरों का जिनमें कपिस्थल (कैथल), सैरिसक (सिरसा), तोशायल (टोहाना जिला हिसार), श्रहन (सुहण), काल कुट (कालका) आदि शहरों का उल्लेख किया गया है।
चतुर बाणी:
- इस ग्रंथ में बताया गया है कि यौधेय समृद्ध एवम् बहादुर ही नहीं बल्कि संगीत-विद्या की निपुणता के लिए भी प्रसिद्ध थे।
- रोहतक के ढोल वादकों ने अपने संगीत से उज्जैन के बाजारों में बहुत से लोगों को आकर्षित किया था।
बाणभट्ट का हर्षचरित:
- इस ग्रंथ में श्रीकंठ देश के स्थाणीस्वर का सुंदर वर्णन किया गया है। बाणभट्ट के अनुसार इस प्रदेश के लोग बहुत अच्छे स्वभाव व अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित थे। लोगों का जीवन उच्च आदर्शो से भरपूर था । उन्हें किसी प्रकार की बिमारी अथवा अकाल मृत्यु का कोई ज्ञान नहीं था।
- बाणभट्ट के अनुसार श्रीकंठ जनपद में चारों तरफ, ईख, चावल, गेहूं आदि के बड़े-बड़े खेत थे और चारों तरफ फलों के बगीचे थे, जिनमें विभिन्न प्रकार के फल लगे हुए थे। गाय-भैसों तथा अन्य पशुओं के समूह जंगलों में चरने जाते थे। खेती हल से की जाती थी और जब हल खेतों में चलता था तो मिट्टी से खुशबू आती थी जिससे मधुमखियां आकर्षित होती थी।
वाकपतिराज का गौडवाहो : इससे ज्ञात होता है कि कन्नौज के यशोवर्मन ने इस क्षेत्र पर आक्रमण किया था।
विदेशी स्रोत:-
- यूनानी लेखक – एरियन ने इस क्षेत्र की आर्थिक व राजनीतिक अवस्था पर प्रकाश डाला है इसके विवरण से ज्ञात होता है कि यहां के लोग बहुत ही अच्छे कृषक थे| वे युद्ध लड़ने में बहादुर थे और इनकी प्रशासन पद्धति बहुत ही अच्छी थी, जिसमें न्याय को विशेष स्थान दिया गया था।
- चीनी लेखक – हेन सांग, राजा हर्ष के समय में हरियाणा में आया उसने यहां के तीन स्थानों थानेश्वर, सुग व गोकण्ठ (गोहाना) का भ्रमण किया। उसने श्रीकण्ठ राज्य और उसकी राजधानी स्थाणीस्वर का बहुत सुंदर वर्णन किया है। उसके अनुसार श्रीकण्ठ के लोग जादुई कला में निपुण थे। अधिकतर लोग व्यापार करते थे। यहां की मिट्टी बहुत ही उपजाऊ होते हुए भी कृषि कम ही लोग करते थे। धनी लोग धन कि फिजुलखर्ची करते थे। यहाँ अधिकतर लोग ब्राह्मण धर्म को मानने वाले थे।
हरियाणा के इतिहास से संबधित प्रमुख धर्मग्रन्थ और साहित्य स्त्रोत – Haryana History
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