हरियाणा के इतिहास से जुड़ी पुस्तकें और प्रकाशित समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं – Haryana History
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हरियाणा के इतिहास से जुड़ी प्रमुख पुस्तकों को हम उनमें उपलब्ध सामग्री के आधार पर दो भागों में बांट सकते हैं- ऐतिहासिक व साहित्यिक कृतियाँ और भखर आदि।
- ऐतिहासिक व साहित्यिक कृतियाँ: इन कृतियों को भी दो भागों में विभाजित किया जा सकता है:-
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- गैर हरियाणवी लेखकों की कृतियाँ
- हरियाणवी लेखकों की कृतियाँ
गैर हरियाणवी लेखकों की कृतियाँ:
- इन पुस्तकों में सबसे प्राचीन अलबेरुनी की पुस्तक “तहकीकाते हिंद” है। यह ग्रंथ महमूद गजनवी के समय का है। इसमें महमूद के थानेसर पर आक्रमण के अतिरिक्त हरियाणा के तत्कालीन सामाजिक जीवन के बारे में भी जानकारी मिलती है।
- उत्बी की पुस्तक ”तारीखे यामिनी“ में भी यहां के राजनैतिक इतिहास पर महत्वपूर्ण प्रकाश पड़ता है।
- बहावी की पुस्तक “तारीखे सुबुक्तगीन” से हमें महमूद के भतीजे मासूद द्वारा 1038 ई० में हॉँसी विजय का वर्णन मिलता है।
- निजामी के ग्रंथ “ताजुल मासिर” में महमूद गौरी के आक्रमणों का विवरण मिलता है। इस पुस्तक में लेखक तराईन के दूसरे युद्ध का महत्वपूर्ण ब्यौरा देता है जबकि प्रथम युद्ध का कोई जिक्र नहीं करता।
- मिन्हाज की पुस्तक “तबकाते-नासिरी” में लेखक ने सबसे पहले हरियाणा शब्द का उपयोग किया है। इसके अलावा इस पुस्तक में राजनीतिक घटनाओं की चर्चा के साथ-साथ हरियाणा के सामाजिक व आर्थिक जीवन का भी उल्लेख मिलता है।
- तुगलकों के समय में एक अफ्रीकी यात्री इब्नबतुता भारत आया। उसने बहूमुल्य जानकारी अपने ग्रंथ “किताबुल रहला‘ के रूप में छोड़ी। इससे हॉँसी, हिसार व सिरसा क्षेत्र के राजनैतिक उल्लेख के साथ-साथ सामाजिक, धार्मिक व आर्थिक स्थिति का भी उल्लेख किया गया है। इब्न बतुता के अनुसार सिरसा क्षेत्र में इस समय लाल रंग का चावल होता था जिसकी दिल्ली में विशेष मांग रहती थी।
- अफीफ की “तारीखे-फिराजशाही” में हरियाणा के राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक जीवन से संबंधित बहुत महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।
- फिरोजशाह की ‘फुतहाते फिरोजशाही‘ में हरियाणा में सुल्तान की धर्माधता का प्रमाण मिलता है।
- मेहरू के ग्रंथ “इंसाए मेहरू” में गैर मुसलमानों के साथ बरती गई सख्ती का उल्लेख किया गया है।
- सरहिंदी के ग्रंथ “तारिखे-मुबारकशाही” में हरियाणा के 1380-1430 तक के राजनीतिक इतिहास का चित्रण किया गया है।
- तैमूर के “फल्फजाते-तैमूरी” में तैमूर के आक्रमण का ब्यौरा दिया गया है।
- मुस्ताकी के ग्रंथ “वाकायाते मुस्ताकी” और अब्दुल्ला की “तारीखे दाउदी” में लोधी वंश के समय के इतिहास के तथ्यों पर प्रकाश डाला गया है।
मुगलों के सत्तासीन होने के बाद इतिहास लेखन का एक नया अध्याय शुरू होता है।
- बाबर के ‘बाबरनामा‘ या तुज्के–बाबरी में हरियाणा के राजनीतिक, प्रशासनिक, आर्थिक व सामाजिक जीवन का सुंदर चित्रण किया गया है। इसमें पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर द्वारा अपनाई गई रणनीति का भी सुंदर वर्णन किया गया है।
- गुलबदन बेगम के “हुमायूंनामा” में हुमायु के जीवन परिचय और मिर्जा हैदर के “तारीखे शेरशाही” में शेरशाह के राजनीतिक, प्रशासनिक, आर्थिक व सामाजिक जीवन का सुंदर चित्रण किया गया है।
- इसी प्रकार नियामतुल्ला की “तारीखे-खानजहानी” और कांबो की “तारीखे-गगआउदने अखबारे अहमदी” से भी शेरशाह के समय के इतिहास पर प्रकाश डाला गया है।
- अकबर के समय के इतिहास की जानकारी अबुल फजल के “अकबरनामा” और “आईने अकबरी‘ व बदायूंनी के ग्रंथ “मुंतखुब-उल-त्वारिख” में हरियाणा के राजनीतिक, प्रशासनिक, सामाजिक व आर्थिक इतिहास की जानकारी मिलती है।
- मौलाना आजाद के ग्रंथ ‘दरबारे अकबरी‘ में हेमु द्वारा लड़ी गई पानीपत की दूसरी लड़ाई का सुंदर वर्णन किया गया है।
- जहांगीर के समय के ग्रंथों में स्वयं जहांगीर के ग्रंथ “तुजके जहांगीरी और शहनवाज के “मुआसिरूल उमरा” से यहां के राजनीतिक व प्रशासनिक इतिहास पर प्रकाश पड़ता है।
- मोहमद खां के ग्रंथ “इकबालनामा ए जहांगीरी” में भी तत्कालिन जीवन के कई पहलूओं पर प्रकाश डाला गया है।
- फरिशता की “तारीखे फरिशता” में हरियाणा के इतिहास के संबंध में मूल्यवान जानकारी उपलब्ध है।
- लाहौरी के “बादशाह नामा” और फानी के ग्रंथ “दां बिस्ताने मुहाजिब” से हरियाणा के सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास पर महत्वपूर्ण प्रकाश पड़ता है।
- मुस्तैद खां के ‘मुआसिरे आलमगीरी” से औरगजेब के समय में घटित कई घटनाओं का उल्लेख है।
- खफीखां के “मुंतखुब-उल-लुबाव” जो मुहम्मदशाह के समय का है में सतनामियों के विद्रोह से लेकर बंदा की गतिविधियों का विस्तार से वर्णन किया गया है।
हरियाणवी लेखकों की कृतियाँ :
- इनके सबसे पहले ठाकुर फेरू जो की दादरी के समीप कनीना गांव के रहने वाले थे, ने सल्तनत काल में सात ग्रंथों की रचना की। इन ग्रंथों में 13 -14 वीं शताब्दी के आर्थिक, सामाजिक व धार्मिक इतिहास पर प्रकाश पड़ता है।
- जैन विद्वान जिनवल्लभ सूरी की रचनाओं से हरियाणा के धार्मिक व सांस्क तिक जीवन का पता चलता है।
- 14वीं सदी के शर्फुदीन पानीपती के ग्रंथ से तत्कालीन मुस्लिम जीवन शैली के बारे में पता चलता है।
- मुहम्मद अफजल की पुस्तक “विकट कहानी” से हरियाणा के प्रारंभिक उर्दू साहित्य की जानकारी तथा तत्कालीन धार्मिक, सांस्कृतिक और इतिहास की जानकारी मिलती है।
- 16वीं शताब्दी में वीरभान के ग्रंथ से सतनामी आंदोलन पर पर्याप्त प्रकाश पड़ता है।
भंखर या आल्लाह:
ये किसी राजा या सेनानायक की स्तुति में किसी लोक कवि द्वारा लिखे व गाए जाते हैं। इनका कथन इतिहास से लिया होता है और ये दिलचस्प विवरण प्रस्तुत करते हैं। यद्यपि इनमें कवि अपनी ओर से काफी बनावटी तथ्य भर देता है। फिर भी इन रचनाओं का ऐतिहासिक महत्व है। इन रचनाओं से विशेषकर तत्कालिन सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक परिस्थितियों का ज्ञान होता है।
हरियाणा के इतिहास से जुड़ी पुस्तकें और प्रकाशित समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं – Haryana History
हरियाणा के मध्यकालीन इतिहास से संबधित प्रकाशित सामग्री
समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं:
हरियाणा में 19वीं सदी के अंतिम चरण में कुछ समाचार पत्र निकलने शुरू हुए इनमें से :-
- “रिफाए आम” झज्जर से पं० दीन दयालु ने निकाला।
- “खैर संदेश” 1899 में अंबाला से प्रकाशित हुआ लेकिन दुर्भाग्य ये पूर्ण रूप से उपलब्ध नहीं है।
- “जाट गजट” 1916 ई० में तथा “हरियाणा तिलक” 1923 ई० में रोहतक से प्रकाशित हुए थे। दोनों अखबार साप्ताहिक थे। इनमें हरियाणा के इतिहास से संबंधित काफी महत्वपूर्ण सामग्री मिलती है।
- ‘द ट्रिब्यून‘, “सिविल एण्ड मिलिट्री गज” में भी हरियाणा से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां हैं।
पत्रिकाओं में दो पत्रिकाएं अधिक महत्वपूर्ण हैं:-
- ये “हरियाणा शोध पत्रिक” और “जनरल आफ हरियाणा स्टडीज” हैं। इनमें हरियाणा क्षेत्र के इतिहास से संबंधित काफी सामग्री मिलती है।
- तीन सरकारी पत्रिकाएं- “हरियाणा जनरल आफ ऐजूकेशन”, “सप्त सिंधु” और “जन साहित्य” से भी हरियाणा के आधुनिक इतिहास पर महत्वपूर्ण प्रकाश डाला गया है।
हरियाणा के इतिहास से जुड़ी पुस्तकें और प्रकाशित समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं – Haryana History
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