हरियाणा के इतिहास के प्रमुख अभिलेख
Haryana GK topic – हरियाणा के इतिहास के प्रमुख अभिलेख (Ancient History of Haryana), is important section of haryana gk for HSSC and HCS exams. Many Questions were asked in pervious year’s Haryana state competitive exams from these haryana gk topics. Let’s start the topic:
हरियाणा के इतिहास के प्रमुख अभिलेख
हरियाणा क्षेत्र, पुरातात्विक सामग्री के संबंध में बहुत की समृद्ध है। सर्वेक्षण के दौरान, इस क्षेत्र से अनेक पुरा-स्थल जो आदिकाल से लेकर, मध्यकाल के है, सामने आए हैं। कुछ स्थानों पर पुरातात्विक उत्खनन भी हुए हैं जिनमें मिताथल, सुध, धौलपुर, भगवानपुरा, राजा कर्ण का किला, बालू, सीसवाल, अग्रोहा, बनावली, राखीगढ़ी आदि शामिल है। इन उत्खननों से मिलने वाले हरियाणा के इतिहास के प्रमुख अभिलेखों के अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि इस प्रदेश की संस्कति 2400 BC प्राचीन है।
हरियाणा के इतिहास के अभिलेखीय स्रोत:
- अशोक का टोपड़ा अभिलेख: इससे ज्ञात होता है कि हरियाणा कभी मौर्य साम्राज्य का भाग था।
- तोशाम अभिलेख: यह अभिलेख 4-5वीं सदी का है। इसका धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व है। इसमें किसी आचार्य सोमत्रात द्वारा दो तालाब और एक मंदिर बनाने का उल्लेख किया गया है।
- हिसार का स्तंभ लेख: चौथी पांचवीं सदी के इस लेख में तीर्थ यात्रियों के नाम है इससे ज्ञात होता है कि जिस स्थान पर यह अभिलेख था वह कभी तीर्थ स्थान था।
- सोनीपत का ताम्रपत्र लेख: इस लेख में प ष्ठभूमि राजाओं की वंशावली दी गई है। इस लेख से हमें इन राजाओं की उपाधियों और इनके व्यक्तिगत धर्म का भी ज्ञान होता है। इससे हमें पता चलता है कि हर्ष, शैव धर्म को मानने वाला था जबकि बाकी सभी शासक सूर्य के उपासक थे।
- प्रतिहार काल के अभिलेख: राजा भोज के काल के दो अभिलेख पेहवा व सिरसा व महेंद्रपाल का एक अभिलेख पेहवा से प्राप्त हुआ है।
- राजा भोज के अभिलेखों से हमे ज्ञात होता है कि प्राचीन काल में पेहवा, व्यापार एवं संस्कति का प्रमुख केंद्र था तथा सिरसा पाशुपत संप्रदाय का महत्वपूर्ण स्थान था।
- महेंद्रपाल का पेहवा अभिलेख राजनैतिक तथा आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस लेख से हमें तोमर वंश की वंशावली के बारे में सबसे प्राचीन प्रमाण है। इसके अतिरिक्त इस अभिलेख से हमें ज्ञात होता है कि पेहवा उत्तरी भारत का घोड़ों के व्यापार का प्रमुख केंद्र था। यहां प्रति वर्ष साल के एक विशेष दिन घोड़ों का मेला लगता था जिसमें सारे देश के घोड़ों के व्यापारी घोड़े खरीदने व बेचने के लिए एकत्रित होते थे।
- दिल्ली (शिवालिक) का स्तंभ लेख: इस लेख से हमें ज्ञात होता है कि चाहमान- राजा विग्रह राज-IV ने तोमरों को पराजित किया था।
- हॉँसी से प्राप्त पृथ्वीराज-॥ का अभिलेख: हरियाणा में चाहमान शासन की जानकारी के लिए यह अभिलेख महत्वपूर्ण है। इस अभिलेख से हमें ज्ञात होता है कि पृथ्वीराज –II नें अपने चाचा विल्हण को हांसी के किले का कार्यभार सौंपा था ताकि हांसी को मुस्लिम आक्रमणकारियों से बचाया जा सके।
- पालम बावली तथा दिल्ली संग्रहालय अभिलेख: इनसे हरियाणा के इतिहास से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। दिल्ली अभिलेख में हरियाणा को स्वर्ग बताया गया है। जिसमें ढिल्लिका (दिल्ली) भी सम्मिलित है, जिसे तोमरों ने स्थापित किया था।
प्रमुख अभिलेखों के सूचि
- कपाल-मोचन का अधुरा अभिलेख और बारहखड़ी की लिखाई का अभिलेख (सुध) – जगाधरी (यमुनानगर)
- अशोक कालीन टोपरा अभिलेख, जिससे पता चलता है कि हरियाणा कभी मौर्य साम्राज्य का हिस्सा था – यमुनानगर
- आचार्य सोमात्र द्वारा दो तालाबों और एक मंदिर निर्माण की जानकारी देने वाला, विष्णु भगत शोभगाता अभिलेख जो कि चौथी या पांचवी सदी का अभिलेख है – तोशाम अभिलेख – (भिवानी)
- यौधेय गणराज्य की मोहरे – नौरंगाबाद (भिवानी)
- सरोवर की जानकारी देने वाला खरोष्टी लिपी का अभिलेख – करनाल
- सात स्वरों की जानकारी देने वाला अभिलेख –अग्रोहा (हिसार)
- गुजरी महल के स्तंभ पर आठ लेखों वाला स्तंभ – हिसार
- बादशाह हुमायूँ का अभिलेख – फतेहाबाद
- पशुपति सम्प्रदाय का अभिलेख – सिरसा
- लाओस देश के राजा देव का कुरुक्षेत्र की प्रशंसा करने वाला अभिलेख – कुरुक्षेत्र
- नौवीं शताब्दी का भोजदेव का पेहोवा अभिलेख – कुरुक्षेत्र
- लाडनूँ अभिलेख जो कि हरियाणा की राजधानी दिल्ली को दर्शाता है – लाडनूँ (राजस्थान)
- विष्णु की मूर्ति – मोहनवाड़ी (झज्जर)
- यौधेय कालीन साँचे – खोखराकोट (रोहतक)
- श्री कृष्ण व उनके कार्यों से संबंधित चित्रकला, जो कि छाया शैली में है – रेवाड़ी
- सुध अभिलेख – यह जगाधरी (यमुनानगर) में है। इसमें एक बच्चे को तख्ती पर अनुसर्ग एवं विसर्ग अक्षरों का लेखन करते हुए दिखाया गया है। जिसे पुरे भारत में बारह खड़ी की लिखाई का सबसे पुराना नमूना माना जाता है।
- करनाल अभिलेख – यह अभिलेख खरोष्ठी लिपी में है जो अपूर्ण है। क्योंकि इसके कुछ अक्षरों को ही पढ़ा गया है।
मध्यकालीन अभिलेख:-
मध्यकालीन हरियाणा के इतिहास पर प्रकाश डालने वाले अनेक अभिलेख प्राप्त हुए हैं, जो कि मौहम्मद गौरी के समय से लेकर मुगलकाल तक के हैं। इनमें से ज्यादातर अभिलेख मस्जिदों बावड़ियों व कब्रों पर लगे मिले है। इन अभिलेखों को फारसी या अरबी में लिखा गया है। इन अभिलेखों से हरियाणा के इतिहास के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश पड़ता है।
If you like and think that haryana gk article – हरियाणा के इतिहास के प्रमुख अभिलेख – Ancient History of Haryana, is helpful for you, Please comment us. Your comments/suggestions would be greatly appreciated. Thank you to be here. Regards – Team SukRaj Classes.