वैदिक काल में हरियाणा का धार्मिक परिदृश्य – (Haryana History)
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वैदिक सभ्यता हिन्दू धर्म का प्रतीक माना जाता है जिसे ग्रामीण सभ्यता भी कहते है। वैदिक सभ्यता का उत्थान आर्यनस के आगमन से माना जाता है। इसी काल में महाभारत व रामायण जैसे महाकाव्यों का वर्णन है।
आर्यनस के प्रारंभिक वंश को “पुरु वंश” कहते है।
- पुरु वंश –
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- इस वंश का संस्थापक – मनु का प्रपौत्र था।
- हमारे देश का नाम – “भारत” इसी वंश के शासक सम्राट भरत के नाम पर पड़ा।
- फिर इसी वंश के शासक राजा सुदास (पुरोहित वशिष्ठ) व दस राजाओं के संघ (पुरोहित विश्वामित्र) के बीच रावी नदी पर “दाशराज्ञ का युद्ध” हुआ जिसमे राजा सुदास को जीत मिली।
- इस वंश का अंतिम शासक “संवरण” था। कालांतर में पुर व अन्य वंश पांचाल के मध्य संधि हुई जिसके फलस्वरूप कुरुओं का जन्म हुआ।
- कुरु वंश –
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- कुरुओं की राजधानी “इंद्रप्रस्थ” थी।
- कुरु वंश के ही कौरवों व पांडवो के मध्य कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध लड़ा गया|
- महाभारत का युद्ध 18 दिन तक चला और इस युद्ध में पांडवों की जीत हुई।
- इसी युद्ध के दौरान श्रीकृष्ण ने “ज्योतीसर ” में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया।
कुरु वंश से जुड़े अन्य साक्ष्य –
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- पंचविश ब्राह्मण ग्रन्थ में इस प्रदेश को “ब्रह्मवेदी” के नाम से संबोधित किया गया।
- शतपथ ब्राह्मण ग्रन्थ तथा ऐतरेय ब्राह्मण ग्रन्थ में इसे कुरु-प्रदेश कहा गया है।
- महाभारत तथा वामन पुराण के अनुसार इसे “धरती का युद्धस्थल” माना गया। व इस काल के मुख्य यक्ष –
- पहला यक्ष – कपिल यक्ष (जींद) में है, जिसे अब “रामहृदय तीर्थ” भी कहा जाता है।
- दूसरा यक्ष – तरन्तुक यक्ष (हाट गाँव) जींद है। ये दोनों यक्ष दृष्द्त्ती नदी के किनारे महाभारत व वामन पुराण में बताये गए है।
- महाभारत के नकुल दिग्विजंयम में रोहतक का वर्णन है इसके अनुसार नकुल ने रोहतिका (रोहतक) और सरिस्का (सिरसा) में एक अभियान का आयोजन किया।
- महाभारत काल में हरियाणा को “बहुधान्यक प्रदेश” के नाम से जाना जाता था।
- अर्थवेद के अनुसार महाभारत में अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित बचे थे जिन्हें “मृत्यु लोक का देवता” कहते है। जिसने कुरु राज्य की राजधानी असंध (करनाल) को बनाया।
- परीक्षित के बाद जनमेजय यहाँ के राजा हुए जिसने अपने पिता के लिए सर्पदमन (सफीदों) में सर्प यज्ञ करवाया था क्योंकि उसके पिता को साँप ने काट लिया था।
- इसके बाद जनमेजय राजा का युद्ध ब्राह्मणों के साथ हुआ जिसमे जनमेजय युद्ध में मारा गया और फिर वहाँ का राजा “सप्तनिक” बना जिसने “तक्षशिला” को राजधानी बनाया।
- वैदिक काल में हरियाणा के थानेसर मे – राजा कर्ण का किला, सुध (युमनानगर) और दौलतपुर (कुरुक्षेत्र) आदि के साक्ष्य मिले हैं।
- इस राज्य का विस्तार कुरुक्षेत्र तक था और इस भूमि को “कुरु जंगल” कहते थे।
- धर्म के अनुसार त्रेतायुग में रामायण और द्वापर युग में महाभारत हुई थी। परन्तु C -14 carbon dating के अनुसार महाभारत होने के प्रमाण पहले और रामायण होने के प्रमाण बाद में मिलते है।
वैदिक काल के अन्य महत्वपूर्ण तथ्य –
- वेदो की भाषा – संस्कृत है। यह भाषा कठिन होने के कारण, उनको पढ़ने के लिए ब्राह्मण ग्रंथ बनाए गए है|
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- ऋगवेद – ऐतरेय व कोस्तकी
- युर्जवेद – शतपथ व तैतरेय
- सामवेद – पंचविष ब्राह्मण
- अर्थवेद – गोपथ ब्राह्मण
- मुण्डको उपनिषद से ही – सत्यमेव जयते लिया गया है।
- गुरु के समीप बैठकर मिलने वाले ज्ञान को- उपनिषद कहा गया है|
- ब्रह्मा तथा महाराजा पृथु के नाम के पर पृथुदक नामक तीर्थ का निर्माण किया गया।
वैदिक काल में हरियाणा का धार्मिक परिदृश्य (Ancient History of Haryana)
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