वायुमंडल की सरंचना (Structure of the Atmosphere)
Competitive Geography topic – “वायुमंडल की सरंचना (Structure of the Atmosphere)”, is important for all competitive exams i.e. CET (Common eligibility Test), SSC CGL, RRB NTPC, UPSC and other state civil services exams. In these exams, almost 4-5 questions are coming from Geography. Let’s start the topic:
हमारी पृथ्वी चारों ओर से वायु की घनी चादर से घिरी हुई है, जिसे वायुमंडल कहते हैं।
- वायुमण्डल, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी से जुड़ा हुआ है।
- वायुमंडल सूर्य से आने वाला उच्च ताप एवं हानिकारक पराबैंगनी किरणों को रोकने तथा जीवन के लिए अनुकूल तापमान बनाए रखने में सहायक है।
- वायुमण्डल के कारण ही सभी जीव पृथ्वी पर सांस ले पा रहे है। वायुमण्डल के अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
वायुमण्डल का संघटन:-
वायुमण्डल में अनेक प्रकार की गैसें, जलवाष्प और धूलकण पाए जाते हैं, जो पृथ्वी पर होने वाली सभी मौसमी घटनाओं के लिए उतरदायी हैं। वायुमण्डल का संघटन स्थिर नहीं है। यह समय और स्थान के अनुसार बदलता रहता है।
- नाइट्रोजन (78%) और ऑक्सीजन (21%) वायुमण्डल की दो प्रमुख गैसें हैं। वायुमण्डल का 99% भाग नाइट्रोजन और ऑक्सीजन इन्हीं दो गैसों से मिलकर बना है।
- शेष 1% भाग में आर्गन (0.93%), कार्बन डाईआक्साइड (0.03%), नियॉन, हीलियम, हाइड्रोजन, ओज़ोन आदि गैसें पाई जाती हैं।
वायुमंडल की संरचना:-
वायुमंडल को निम्न 5 परतों में पृथ्वी की सतह से ऊँचाई में बढ़ते हुए तापमान के आधार पर विभाजित किया है जो इस प्रकार हैं:-
1) क्षोभमंडल, 2) समताप मंडल, 3) मध्यमंडल, 4) आयन मंडल, 5) बहिर्मंडल
क्षोभमंडल (Troposphere):
- यह वायुमंडल की सबसे निचली परत है जिसकी औसत ऊँचाई 13 किमी० है।
- इस मंडल में ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड, जलवाष्प और धूलकण आदि मौजूद होते है।
- लगभग सभी मौसमी घटनाएँ (वर्षा, ओलावृष्टि, कोहरा, आंधी, तूफान, पाला) क्षोभमंडल में ही घटित होती है।
- क्षोभमंडल में ऊपर की तरफ जाते हुए प्रत्येक 165 मीटर की ऊंचाई पर 1 डिग्री तापमान कम हो जाता है। इस प्रक्रिया को “नार्मल लेप्स रेट” भी कहा जाता है।
- क्षोभमंडल की ऊपरी सीमा को क्षोभसीमा कहते हैं। क्षोभसीमा क्षेत्र में किसी भी प्रकार की मौसमी घटनाएं घटित नहीं होती है। अत: इसे शांतमंडल भी कहते है।
समतापमंडल (Stratosphere):
- क्षोभमंडल के ऊपर 50 कि.मी. की ऊंचाई तक समताप मंडल कहलाता है।
- इस मंडल में मौसमी घटनाएँ (बारिश, तूफान, ओलावृष्टि, कोहरा आदि) घटित नही होती है।
- इस परत में मौसमी घटनाएं घटित नहीं होने के कारण यह हवाई जहाज उड़ाने के लिए आदर्श है।
- समताप मंडल में ओजोन गैस की परत होती है, जो सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को सोख कर हमारी रक्षा करती है।
- समताप मंडल की ऊपरी सीमा को समताप सीमा कहलाती है।
मध्यमंडल (Mesosphere):
- यह मंडल ठीक समतापमंडल से ऊपर है।
- समताप सीमा के ऊपर लगभग 80 कि.मी. की ऊंचाई तक मध्यमंडल कहलाता है।
- अंतरिक्ष से आने वाले उल्का पिण्ड मध्यमंडल में पहुंचकर जल जाते हैं।
- मध्यमंडल की ऊपरी सीमा को ‘मध्य सीमा’ कहते हैं।
- यहाँ ऊंचाई अधिक बढ़ने के कारण तापमान में कमी होने लगती है जो लगभग (माइनस 80) – 80 डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है।
आयनमंडल (ionosphere):
- मध्य सीमा के बाद लगभग 80 से 400 कि०मी० की ऊंचाई तक आयनमंडल कहलाता है।
- इस मंडल में बढ़ती ऊंचाई के साथ तापमान में तेजी से वृद्धि होती है, जो लगभग 700℃ तक हो जाता है।
- आयनमंडल का उपयोग रेडियो संचार के लिए किया जाता है। इसी परत से रेडियो तरंगे पुन: पृथ्वी पर परावर्तित कर दी जाती हैं।
बाह्यमंडल (Exosphere):
- यह वायुमंडल का सबसे ऊपरी परत होती हैं।
- आयनमंडल के बाद लगभग 400 से 1000 कि०मी० के मध्य बाह्यमंडल कहलाता है।
- इस मंडल पर हीलियम और हाइड्रोजन गैसों की अधिकता पाई जाती है।
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