महाजनपद काल में हरियाणा और बौद्ध-जैन साहित्य – Haryana History
Haryana History topic is on- महाजनपद काल में हरियाणा और बौद्ध-जैन साहित्य, which is most important section of Haryana GK for HSSC and HPSC Exams. Many Questions were asked in pervious year’s Haryana state Competitive Exams from these Haryana GK topics.
बौद्ध साहित्य:–
- इससे पता चलता है की महात्मा बुद्ध भी हरियाणा में आए थे। दिव्यवदान के अनुसार रोहतक एवं अग्रोहा बौद्ध धर्म के केंद्र थे।
- पंपचसूदनि से हमे पता चलता है की महात्मा बुद्ध ने हरियाणा के अनेक नगरों की यात्रा की। विनय पीटक के अनुसार प्रसिद्ध वैध जीवक हरियाणा के “रोहतक” से संबंधित थे।
- ब्राह्मणवास (रोहतक) और नौरंगाबाद (भिवानी) से महात्मा बुद्ध की मूर्ति मिली है।
जैन साहित्य:–
- भद्रबाहु का कल्पसूत्र तथा हेमचन्द्र का परिशिष्ट पर्व द्वारा भी हरियाणा की धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन पर प्रकाश डाला गया है।
- इनसे पता चलता है की अग्रोहा जैनधर्म का महत्वपूर्ण केंद्र था। यहाँ जैन भिक्षु लोहाचार्य प्रथम सदी के विद्वान् माने जाते हैं।
- जैनमुर्तिया हाँसी व रानीला (भिवानी) से प्राप्त हुई है|
आरम्भिक बौद्ध तथा जैन ग्रंथों से महाजनपदों के बारे में अधिक जानकारियाँ मिलती हैं। यद्यपि कुल सोलह (16) महाजनपदों का नाम मिलता है पर ये नामाकरण अलग-अलग ग्रंथों में भिन्न-भिन्न हैं। बौद्ध ग्रन्थ अंगुत्तर निकाय, महावस्तु में निम्नलिखित 16 महाजनपदों का उल्लेख है:
- अंग
- अश्मक (या अस्सक)
- अवंती
- चेदि
- गांधार
- काशी
- काम्बोज
- कोशल
- कुरु
- वज्जि
- वत्स (वंश)
- मल्ल
- मत्स्य (या मछ)
- पांचाल
- सुरसेन
- मगध
इन सभी महाजनपदों में से हरियाणा प्रदेश जिस महाजनपद के अधीन था, वो था – कुरु महाजनपद।
कुरु महाजनपद:-
- इसमें आधुनिक हरियाणा तथा दिल्ली वाला क्षेत्र शामिल था।
- यहाँ का शासक उदयन था।
- इंद्रप्रस्थ (आधुनिक दिल्ली) यहाँ की राजधानी थी।
- आरंभ में यहां राजतंत्र था जो आगे चलकर गणतंत्र में बदल गया।
- जातक कथाओं में सुतसोम, कौरव और धनंजय यहाँ के राजा माने गए हैं।
- जैनों के उत्तराध्ययनसूत्र में यहाँ के इक्ष्वाकु नामक राजा का उल्लेख मिलता है।
- कुरुधम्मजातक के अनुसार, यहाँ के लोग अपने सीधे-सच्चे मनुष्योचित बर्ताव के लिए अग्रणी माने जाते थे और दूसरे राष्ट्रों के लोग उनसे धर्म सीखने आते थे।
- अर्थशास्त्र तथा पुराणों में इस महाजनपद को राजशब्दोपजीविह कहा गया है।
महाजनपद काल में हरियाणा और बौद्ध-जैन साहित्य – Haryana History
मगध महाजनपद:
नन्द वंश की समाप्ति के उपरांत मौर्यकाल का आरम्भ होता है जिसके प्रथम राजा थे- चन्द्रगुप्त मौर्य |
मौर्य काल – चन्द्रगुप्त मौर्य के समय से ही मौर्य साम्राज्य तक्षशीला तक फैला हुआ था। मौर्य साम्राज्य इतना फैला था कि हरियाणा भी इसके अंर्तगत आता था।
- मौर्य काल साक्ष्य – इसका एक स्तंभ अभिलेख टोपरा में स्थापित था। जिसे बाद में फिरोजशाह तुगलक दिल्ली लेकर आया। इसी स्तंभ अभिलेख पर चौहान शासक विग्रहराज 4 के तीन अभिलेख उत्कीर्ण है। जिसमे म्लेच्छों पर विजय का वर्णन है अशोक द्वारा थानेसर में एक स्तूप का निर्माण भी कराया गया था। जिसमे महात्मा बुद्ध के अवशेष शामिल है।
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- अभिलेख (मौर्यकालीन) – जेम्स प्रिसेप ने 1837 में प्रथम बार पढ़ा।
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- टोपरा अभिलेख – इसका निर्माण अशोक ने करवाया था। जो यमुनानगर जिले में है और इस अभिलेख में अशोक के सात अभ्हिलेख अंकित है।
- सुध अभिलेख – यह जगाधरी (यमुनानगर) में है। इसमें एक बच्चे को तख्ती पर अनुसर्ग एवं विसर्ग अक्षरों का लेखन करते हुए दिखाया गया है। जिसे पुरे भारत में बारह खड़ी की लिखाई का सबसे पुराना नमूना माना जाता है।
- करनाल अभिलेख – यह अभिलेख खरोष्ठी लिपी में है जो अपूर्ण है क्योंकि इसके कुछ अक्षरों को ही पढ़ा गया है।
महाजनपद काल में हरियाणा और बौद्ध-जैन साहित्य – Haryana History
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