skip to Main Content
भूकम्प और इसके कारण- Earthquake Facts With Causes

भूकम्प और इसके कारण- Earthquake facts with causes

Competitive Geography topic – “भूकम्प और इसके कारण- Earthquake facts with causes”, is important for all competitive exams like: CET (Common eligibility Test), SSC CGL, RRB NTPC, UPSC and other state civil services exams. In these exams, almost 4-5 questions are coming from Geography. Let’s start the topic:

भूकंप (Earthquake) क्या है?

  • साधारण शब्दों में कहे तो, भूकंप का शाब्दिक अर्थ है “पृथ्वी का कंपन”। यह एक प्राकृतिक घटना है। Earthquake wave propagation -sukrajclasses.com
  • पृथ्वी के “भूपटल” पर आंतरिक और बाह्य बलों के प्रभाव से उर्जा निष्कासित होती है जिसके कारण तरंगें उत्पन्न होती हैं। इन्हीं तरंगों की वजह से पृथ्वी में कंपन पैदा होता है और यही कंपन “भूकंप” (Earthquake) कहलाता है।
  • समुद्र के अंदर उत्पन्न होने वाले भूकंप को सूनामी(Tsunami) कहते है।
  • भूकंप से उत्पन्न तरगों को “भूकंपीय तरगें” कहा जाता है, जो पृथ्वी की सतह पर गति करती हैं तथा इन्हें ‘सिस्मोग्राफ’ (Seismographs) उपकरण से मापा जाता है।
  • भूकम्प का अध्ययन करने वाले विज्ञान को Seismology कहते है।
  • पृथ्वी के आंतरिक भाग में भूकंप उत्पत्ति केन्द्र (Focus) को भूकंप मूल हाइपोसेंटर (Hypocenter) भी कहा जाता है।
  • पृथ्वी की सतह के ऊपर स्थित वह स्थान जहाँ भूकंपीय तरगें सबसे पहले पहुँचती है; अधिकेंद्र (Epicenter) कहलाता है।
  • अधिकेन्द्र (Epicenter) भूकंप मूल केंद्र के ठीक ऊपर स्थित धरातलीय बिन्दु होता है।

भूकंप के कारण (Reasons Of Earthquake)

(A) प्राकृतिक कारण:-

  1. प्लेट विवर्तनिकी (Plate Tectonic)
  2. ज्वालामुखी उद्गार (Volcanic Eruptions)
  3. भ्रंशन एवं वलन
  4. पृथ्वी के भूपटल में संकुचन (contraction) की स्थिति
  5. पृथ्वी का परिभ्रमण (Rotation) आदि

(B) मानवीय कारण:-

  1. परमाणु विस्फोट
  2. मानव के द्वारा किया जा रहा खनन कार्य
  3. बड़े-बड़े बाँधों का निर्माण
  4. पर्वतीय क्षेत्रों में किया जा रहा विकास कार्यक्रम जैसे-सड़क निर्माण, वन ह्रास इत्यादि।

भूकम्प के प्रकार (Type Of Earthquake)

सभी प्राकृतिक भूकंप स्थलमंडल (Lithosphere) में ही आते हैं। ‘स्थलमंडल’ पृथ्वी के धरातल से 200 k.m. तक की गहराई वाले भाग को कहते हैं। 

भूकंप की गहराई के आधार पर वर्गीकरण

    1. ऊपरी भूकंप: इसकी गहराई 50 किमी. तक होती है।
    2. मध्यवर्ती भूकम्प: उत्पत्ति केंद्र 50-250 किमी. की गहराई पर होता है।
    3. गहरे भूकम्प: उत्पत्ति केंद्र धरातल से 200-700 किमी. की गहराई पर होता है।

भूकंप तरंगें (Earthquake Waves)

भूकंप से उत्पन्न तरंगों को “भूकंपीय तरंगें” कहा जाता है, जो पृथ्वी की सतह पर गति करती हैं तथा इन्हें ‘सिस्मोग्राफ’ (Seismographs) उपकरण से मापा जाता है।

बुनियादी तौर पर भूकंपीय तरगें दो प्रकार की हैं:- earthquake waves- sukrajclasses.com

  1. भूगर्भिक तरंगें (Body waves)   
  2. धरातलीय तरंगें (Surface waves)

भूगर्भिक तरगें भी दो प्रकार की होती हैं:-

1. प्राथमिक तरंगे (Primary Waves) P :-

    • प्राथमिक तरंगों को कई नामों से जाना जाता है- P तरंगें, Pull & Push तरंगें या अनुधैर्य तरंग।
    • प्राथमिक तरंगों की उत्पत्ति भूकम्पीय केंद्र/फोकस से होती है।
    • P तरंगें ध्वनि तरंगों जैसी होती हैं क्योंकि ये ठोस, द्रव्य & गैस तीनों प्रकार के माध्यम से संचारित हो सकती है।
    • ये अनुदैध्र्य तरंगे आगे पीछे (push-pull) धक्का देते हुए चलती है।
    • P तरंगों की गति 8 Km/Sec होती है।
    • P तरंगों की गति तेज होती है इसलिए ये धरातल या भूकम्प रिकॉर्डिंग स्टेशन पर सबसे पहले पहुँचती है या अनुभव होती हैं।

2. द्वितीयक तरंगे (Secondary Waves) S

    • द्वितीयक तरंगो को S तरंग या अनुप्रस्थ तरंग कहते है ।
    • द्वितीयक तरंगे प्रकाश तरंगों जैसे होती है। ये केवल ठोस माध्यम में गतिशील होती है।
    • यह अनुप्रस्थ तरंगे होती है जो ऊपर से नीचे धक्का देते हुए चलती है।
    • S तरंग की भी उत्पति भूकम्पीय केंद्र/फोकस से होती है।
    • S तरंग की औसत गति 4.5 Km/Sec होता है।
    • P तरंग की तुलना में S तरंग देरी से पहुंचती है। S तरंगे धरातल पर कुछ समय अन्तराल पर पहुचती हैं।

Note: – P तरंगों में कम्पन की दिशा, तरंगों की दिशा के समांनातर ही होती है जबकि S तरंग अपने संचरण मार्ग के लम्बवत गमन करती है।

धरातलीय तरंगें (Surface waves) L :-

    • L तरंग को सतही तरंग भी कहा जाता है।
    • L तरंग की उत्पति अधिकेंद्र (Epicenter) से होती है।
    • यह तरंगे आड़े तिरछे धक्का देते हुए चलती है।
    • ये धरातल के समीप उत्पन्न होने वाली सबसे खतरनाक तरंगे होती है। इसी तरंग के कारण सर्वाधिक क्षति होती है।
    • ये 5 से 3 किमी./सेकण्ड की गति से चलती है।
    • इनकी गति सबसे कम होती है। इसलिए L तरंगे पृथ्वी की सतह पर P एवं S बाद आती है।

भूकंप पैमाने की ईकाइयाँ

  1. रिएक्टर स्केल या रिचर पैमाना:
  • रिएक्टर स्केल की खोज अमेरिकी वैज्ञानिक चाल्र्स फ्रांसिस रिचर ने 1935 में की।
  • इस पर 0 से 9 तक इकाई (Unit) होती है।
  • रिचर स्केल में 6 से अधिक परिमाण वाले भूकंप काफी विनाशकारी होते है।
  1. मारकेली स्केल (MM)
  • इटली के वैज्ञानिक मारकेली ने 1931 में इस स्केल का निर्माण किया था।
  • इसकी गहनता 1 से 12 तक होती है।

भूकम्पों का विश्व वितरण:-

प्रशांत महासागरीय पेटी (PACIFIC OCEAN BELT):- pacific ring of fire-sukrajclasses.com

  • परिधि-प्रशांत भूकंपीय पेटी विश्व की सबसे बड़ी भूकंप पेटी है जो प्रशांत महासागर के किनारे पाई जाती है, यह पृथ्वी के बड़े भूकंपों के लगभग 81% आते हैं। इसने “रिंग ऑफ फायर” के नाम से भी जाना जाता है।
  • यह पेटी विवर्तनिक प्लेटों की सीमाओं में मौजूद है, जहाँ अधिकतर समुद्री क्रस्ट की प्लेटें दूसरी प्लेट के नीचे डूब रही हैं। इन ‘सबडक्शन ज़ोन’ में भूकंप, प्लेटों के बीच फिसलन और प्लेटों के भीतर से टूटने के कारण आता है।
  • प्रमुख भूकंपीय क्षेत्र:- जापान, फिलिपिन्स, कोरल द्वीप, कैलफोर्निया, चिली, मेक्सिको, न्यूज़ीलैंड, अलास्का.
  • जापान में लगभग प्रतिवर्ष 1500 से अधिक भूकम्प आते हैं।

मध्य महाद्वीपीय पेटी (INTER-CONTINENTAL BELT):-

मध्य महाद्वीपीय पेटी (INTER-CONTINENTAL BELT) - sukrajclasses.com

  • “एल्पाइड भूकंप बेल्ट” (मध्य महाद्वीपीय बेल्ट) जावा से सुमात्रा तक हिमालय, भूमध्यसागर और अटलांटिक में फैली हुई है।
  • यह बेल्ट दुनिया के सबसे बड़े भूकंपों का लगभग 17%-21% हिस्सा है, जिसमें कुछ सबसे विनाशकारी भी शामिल हैं।
  • प्रमुख भूकंपीय क्षेत्र:- आल्प्स, काकेशस, हिमालय पर्वतीय क्षेत्र, पिरेनीज, अरब प्रायद्वीप, इटली, चीन, एशिया माइनर तथा बाल्कन क्षेत्र।

मध्य अटलांटिक पेटी (MID-ATLANTIC BELT):- मध्य अटलांटिक पेटी- sukrajclasses.com

  • यह बेल्ट जलमग्न मध्य-अटलांटिक रिज में है।
  • रिज वह क्षेत्र होता है, जहाँ दो टेक्टोनिक प्लेट अलग-अलग विस्तृत होती हैं।
  • यहाँ सर्वाधिक भूकम्प भूमध्य रेखा के आस-पास आते हैं।
  • मध्य अटलांटिक रिज का अधिकांश भाग गहरे पानी के भीतर है और मानव हस्तक्षेप से बहुत दूर है।

भारत में भूकंप

  • भारत में भूकंप जोन मैप को सिस्मिक जोन के आधार पर चार भागों में बांटा गया है। जोन (II, III, IV और V) इसमें जोन 5 में सबसे ज्यादा भूकंप आने क्षेत्र को रखा गया है जबकि जोन II में सबसे कम भूकंप आने वाला क्षेत्र आता है। seismic zonation and intensity map of india - sukrajclasses.com
  • पहले भूकंप क्षेत्रों को भूकंप की गंभीरता के संबंध में पाँच क्षेत्रों में विभाजित किया गया था, लेकिन भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards- BIS) ने पहले दो क्षेत्रों को एक साथ मिलाकर देश को चार भूकंपीय क्षेत्रों में विभाजित किया है।
  • BIS (Bureau of Indian Standards- BIS) भूकंपीय खतरे के नक्शे और कोड को प्रकाशित करने हेतु एक आधिकारिक एजेंसी है।
  • भारत को सक्रिय वलित हिमालय पहाड़ों की उपस्थिति के कारण भूकंप प्रभावित देशों के अंतर्गत रखा गया है।

भूकंपीय जोन II:

    • यह मामूली क्षति वाला भूकंपीय ज़ोन, जहाँ तीव्रता MM (मारकेली स्केल) के पैमाने पर 5 से 6 तक होती है।
    • इस जोन में भूकंप से सबसे कम खतरा व क्षति होता है।

भूकंपीय जोन III:

    • मारकेली स्केल (MM पैमाने) की तीव्रता 7 के अनुरूप मध्यम क्षति वाला जोन।

भूकंपीय जोन IV:

    • मारकेली स्केल (MM पैमाने) की तीव्रता 7 के अनुरूप अधिक क्षति वाला जोन।
    • इस जोन के अंतर्गत जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, उत्तरी पंजाब, चंडीगढ़, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तरी बंगाल, सुंदरबन, महाराष्ट्र का लातूर और पाटन एरिया, बिहार का रक्सौल जो भारत नेपाल की सीमा पर है का क्षेत्र आता है।

भूकंपीय जोन V:

    • भूकंपीय जोन V भूकंप के लिये सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्र है, जहाँ ऐतिहासिक रूप से देश में भूकंप के कुछ सबसे तीव्र झटके देखे गए हैं।
    • इन क्षेत्रों में 0 से अधिक तीव्रता वाले भूकंप देखे गए हैं।
    • इसमें कश्मीर, वेस्टर्न और सेंट्रल हिमालय, उत्तर और मध्य बिहार, उत्तर-पूर्व भारतीय भूभाग कच्छ का रण और अंदमान और निकोबार समूह आते हैं।

भूकंप के प्रभाव (Effects of Earthquake)

  • झटके और भूमि का फटना, हिलना
  • भूस्खलन और हिम स्खलन
  • धरातलीय विसंगति
  • मिट्टी द्रवीकरण
  • सुनामी
  • बांध व तटबंध टूटने से बाढ़
  • आग लगना
  • भवनों, घरों, राजमार्गों, रेल की पटरियों, पुलों तथा ढान्चो का ध्वस्त होना।

For other Geography Topics- Click Here

भूकम्प और इसके कारण- Earthquake facts with causes

If you like and think that Geography topic- ‘भूकम्प और इसके कारण- Earthquake facts with causes’, is helpful for you. Please comment. Your comments/suggestions would be greatly appreciated.

Back To Top
error: Content is protected !! Copyrights Reserved