बेरोजगारी (Type of Unemployment) – परिभाषा एवं प्रकार
“बेरोजगारी (Type of Unemployment) – परिभाषा एवं प्रकार” is important topic of Economics for all competitive exams like CET, SSC CGL, RRB NTPC, UPSC etc. In these exams, almost 4-5 questions are coming from Economics. Let’s start Economics topic: .
बेरोजगारी (Type of Unemployment) – परिभाषा एवं प्रकार
बेरोजगारी क्या है?
बेरोजगारी वह स्थिति है जब प्रचलित मजदूरी की दर पर काम करने के लिए इच्छुक लोग रोजगार प्राप्त नहीं कर पाते हैं।
- इसे इस तरह से भी समझा जा सकता है कि एक शारीरिक एवं मानसिक रूप से सक्षम व्यक्ति जो काम करने का इच्छुक है लेकिन उसे काम नहीं मिल पाता है।
- बेरोजगारी को समझने के लिए श्रम बल और कार्य बल के बीच अन्तर समझना आवश्यक है।
- श्रम बल (Labour Force)- देश में कार्य करने की सामान्य अवस्था (15 वर्ष की आयु से लेकर 60 वर्ष की आयु तक) के लोग श्रम बल के अंतर्गत आते हैं।
- कार्य बल (Work Force)- श्रम बल में से वे लोग जिनको कार्य/रोजगार मिल जाता है राष्ट्र का “कार्य-बल” कहलाते हैं।
- अतः बेरोजगारी को निम्न रूप में भी दर्शाया जा सकता है:- बेरोजगारी ⇒ श्रमबल – कार्यबल
- इस प्रकार हम कह सकतें हैं कि पूर्ण श्रम बल, कार्य बल में परिवर्तित हो जाये यानि कि जब किसी देश में पूर्ण श्रम बल को रोजगार प्राप्त हो जाए, तब उस देश में पूर्ण रोजगार की स्थिति स्थापित होगी। पूर्ण रोजगार ⇒ श्रमबल = कार्यबल
बेरोजगारी (Type of Unemployment) – परिभाषा एवं प्रकार
बेरोजगारी के प्रकार (Types of unemployment):
बेरोजगारी के कारणों एवं उनके स्वरूप के आधार पर निम्नलिखित 10 रूपों में वर्गीकृत किया गया है:-
- सामान्य बेरोजगारी:- वह स्थिति जिसमें कोई व्यक्ति प्रचलित मजदूरी दर पर कार्य करने को तैयार है परन्तु उसे कोई भी रोजगार नहीं मिल पाता।
- स्वैच्छिक बेरोजगारी:- जब किसी व्यक्ति को वर्तमान मजदूरी दर पर काम मिल रहा हो लेकिन वह अपनी इच्छा से काम नहीं करना चाहता तो उसे स्वैच्छिक बेरोजगारी कहते हैं।
- उदाहरण: किसी व्यक्ति का अपने मनपसंद रोजगार के लिए किसी अन्य रोजगार को छोड़ना।
- अक्षमता बेरोजगारी:- जब कोई व्यक्ति शारीरिक अथवा मानसिक रूप से काम करने में सक्षम नहीं है, तो इस प्रकार की बेरोजगारी अक्षमता बेरोजगारी कहलाती है।
- प्रच्छन्न बेरोजगारी:- जब किसी भी कार्य स्थल पर आवश्यकता से अधिक लोग नियोजित हों तो इस स्थिति में जो अतिरिक्त कार्यबल है उसे प्रच्छन्न (छिपी हुई) बेरोजगारी कहा जाता है।
- इस प्रकार की बेरोजगारी ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि में पायी जाती है जहाँ यदि कुछ लोगों को कम भी कर दिया जाए तो उत्पादन में कोई कमी नहीं आयेगी।
- संरचनात्मक बेरोजगारी:- जब किसी राष्ट्र में भौतिक, वित्तीय और मानवीय संरचना के कमजोर होने के कारण रोजगारों का अभाव होता है तब उस बेरोजगारी को संरचनात्मक बेरोजगारी कहते हैं।
- भौतिक संरचना- परिवहन, बिजली, उत्पादन आदि।
- वित्तीय- राष्ट्र में निवेश का अभाव होना।
- मानवीय- कुशल मानव संसाधन का अभाव, कौशल, ज्ञान और तकनीक का अभाव।
- मौसमी बेरोजगारी:- जब किसी कार्य समूह को साल में कुछ ही महीनों के लिए कार्य मिलता है तथा बाकी महीनों में वह बेरोजगार रहता है, तो यह स्थिति मौसमी बेरोजगारी कही जाती है।
- इसे ‘ऋतुपरक बेरोजगारी’ के नाम से भी जाना जाता है।
- शिक्षित बेरोजगारी:- इस प्रकार की बेरोजगारी में शिक्षित और सक्षम कार्य-समूह के लोग रोजगार पाने में असमर्थ होते हैं।
- शिक्षित बेरोजगारी प्राय: शहरी क्षेत्रों में अधिक पायी जाती है।
- चक्रीय बेरोजगारी:- जब अर्थव्यवस्था के चक्र में मंदी का दौर आता है, तब मंदी के कारण उत्पादन प्रभावित होता है जिसके कारण रोजगार भी प्रभावित होता है।
- इस प्रकार की बेरोजगारी ज्यादातर विकसित देशों में पायी जाती है।
- घर्षणात्मक बेरोजगारी:- इस प्रकार की बेरोजगारी अर्थव्यवस्था में आने वाले निम्नलिखित परिवर्तनों से उत्पन्न होती है:
- जब व्यक्ति अपने रोजगार में परिवर्तन की इच्छा हेतु अपने वर्तमान रोजगार को छोड़ता है।
- जब कोई पुरानी कंपनी बंद कर नयी कंपनी खोली जाती है।
- जब किसी उद्योग के उत्पाद की मांग किन्ही कारणों (फैशन आदि) से कम हो जाती है।
⇒ उपरोक्त स्थितियों में थोड़े समय के लिए बेरोजगारी उत्पन्न होती है; जिसे घर्षणात्मक बेरोजगारी कहते हैं।
-
- इस प्रकार की बेरोजगारी अधिकतर विकसित देशों में पायी जाती है।
- अल्प-रोजगार बेरोजगारी:- जब किसी व्यक्ति को उसकी योग्यता के आधार पर काम न मिले या फिर योग्यता से कम स्तर का काम करना पड़े, तो उस स्तिथि को अल्प-रोजगार कहा जाता है, जो एक प्रकार की बरोजगारी है।
- उदाहरण: जब एक ग्रेजुएट/पोस्ट-ग्रेजुएट व्यक्ति को ग्रुप-D (समूह-घ) के पद पर कार्य करना पड़े, जिसकी अहर्ता मात्र 10वीं कक्षा है, अल्प-रोजगार रुपी बेरोजगारी उत्पन्न होगी।
बेरोजगारी का मापन (Measurement of Unemployment):-
बेरोजगारी को मापने के लिए सन् 1970 में “भगवती समिति” बनायी गयी थी। इस समिति की सिफारिशों के आधार पर बेरोजगारी को मापने के निम्नलिखित तीन स्तर दिए गये:-
- दीर्घकालिक बेरोजगारी: यदि किसी सर्वेक्षण वर्ष में किसी व्यक्ति को 183 दिन (8 घंटे प्रति दिन) रोजगार नहीं मिलता है तो वह व्यक्ति दीर्घकालिक बेरोजगारी के अंतर्गत आता है।
- वर्तमान में इस 183 दिन के मानक को बदल कर 273 दिन कर दिया गया है।
- साप्ताहिक बेरोजगारी: यदि किसी व्यक्ति को सप्ताह में 1 दिन (8 घंटे) का काम न मिले तो उसे साप्ताहिक बेरोजगारी के अंतर्गत रखा जाता है।
- दैनिक बेरोजगारी: यदि किसी को प्रति दिन आधे दिन (4 घंटे) का काम न मिले तो उसे दैनिक बेरोजगारी के अंतर्गत रखा जाता है।
Important Questions on Unemployment (बेरोजगारी) for competitive Exams
Que. भारत में बेरोजगारी के आंकड़े कौन एकत्रित व प्रकाशित करता है?
Ans. राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO)
Que. राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान कहाँ स्थित है?
Ans. हैदराबाद
Que. किसी देश की श्रम शक्ति में किन्हें गिना जाता है?
Ans. 15 से 65 आयु वर्ष की जनसँख्या को
Que. संरचनात्मक बेरोजगारी का प्रमुख कारण क्या है?
Ans. अपर्याप्त उत्पादन क्षमता
Que. भारत में प्रच्छन्न बेरोजगारी सामान्यतः कहाँ दिखाई पड़ती है?
Ans. कृषि में
Que. भारत में बेरोजगारी की कौन सी किस्म पायी जाती है?
Ans. चक्रीय बेरोजगारी, ग्रामीण अल्प रोजगार, संरचनात्मक बेरोजगारी सभी
Que. वर्तमान समय में देश में किस प्रकार की बेरोजगारी बहुत गंभीर समस्या बनी हुई है?
Ans. शिक्षित बेरोजगारी
Que. भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में कौन-सी बेरोजगारी सर्वाधिक पायी जाती है?
Ans. मौसमी बेरोजगारी और अदृश्य बेरोजगारी दोनों
Que. जो व्यक्ति बाजार में प्रचलित मजदूरी दर पर काम करने एक तैयार होता है लेकिन उसको काम नही मिलता है तो इसे किस प्रकार की बेरोजगारी कहा जायेगा?
Ans. अनैच्छिक बेरोजगारी
Que. किस प्रकार की बेरोजगारी में श्रमिक की सीमान्त उत्पादकता शून्य होती है?
Ans. प्रच्छन्न बेरोजगारी
Que. विकसित देशों में किस प्रकार की बेरोजगारी पाई जाती है?
Ans. ऐच्छिक बेरोजगारी
Que. चक्रीय और घर्षण जनित बेरोजगारी किस प्रकार के देशों में पाई जाती है?
Ans. विकसित देशों में
Que. बेरोजगारी दर को ज्ञात करने का सही फार्मूला क्या है?
Ans. बेरोजगारों की संख्या / कुल श्रम शक्ति x 100
Que. प्रच्छन्न बेरोजगारी की धारणा किसने विकसित की थी?
Ans. जॉन रोबिन्सन ने
Que. महात्मा गाँधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) कब शुरू की गई?
Ans. 2006 में
प्रश्न- मनरेगा अधिनियम में महिलाओं की श्रम भागीदारी कितनी सुनिश्चित की गयी?
Ans. 33%
बेरोजगारी (Type of Unemployment) – परिभाषा एवं प्रकार
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