प्रागैतिहासिक काल (Prehistoric Era) – विभाजन और प्रमुख तथ्य – Ancient History of India
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Lets start the Topic – प्रागैतिहासिक काल (Prehistoric Era) – विभाजन और प्रमुख तथ्य:-
प्रागैतिहासिक काल (Prehistoric Era)
भारत का इतिहास कई हजार वर्ष पुराना माना जाता है। 65,000 साल पहले, आधुनिक मनुष्य होमोसेपियन्स, अफ्रीका से भारतीय उपमहाद्वीप में पहुँचे थे।
- “हेरोडोटस” को इतिहास का पिता कहा जाता है, इनकी प्रसिद्ध पुस्तक है “हिस्टोरिका”
भारत के इतिहास को मुख्यतः तीन भागों में विभाजित किया गया है:
प्राचीन भारत (Ancient Indian History) – प्रारम्भ से 750 A.D.
मध्यकालीन भारत (medieval Indian History) – 750 A.D.
आधुनिक भारत (Modern Indian History) – 1707 से आज तक
भारत के प्राचीन इतिहास को काल (समय) के हिसाब से 3 भागों में विभाजित किया गया है:
- प्रागैतिहासिक काल ( prehistoric period) – प्रारम्भ से 3000 B.C.
- आद्य ऐतिहासिक काल (Epochal period) – 3000 B.C से 600 B.C.
- ऐतिहासिक काल (Historical period) – 600 B.C. के बाद
1. प्रागैतिहासिक काल (prehistoric period):
- इस काल में मनुष्य ने घटनाओं का कोई लिखित विवरण नहीं रखा।
- इस काल में विषय में जो भी जानकारी मिलती है वह पाषाण के उपकरणों, मिट्टी के बर्तनों, खिलौने आदि से प्राप्त होती है।
2. आद्य ऐतिहासिक काल (Epochal period):
- इस काल में लेखन कला के प्रचलन के बाद भी उपलब्ध लेख पढ़े नहीं जा सके हैं।
- आध्य ऐतिहासिक काल में हड़प्पा सभ्यता और वैदिक काल आते हैं।
3. ऐतिहासिक काल (Historical period):
- मानव विकास के उस काल को इतिहास कहा जाता है, जिसका विवरण लिखित रुप में उपलब्ध है।
औजार के आधार पर भी भारत के प्राचीन इतिहास को 3 भागों में विभाजित किया जाता है:
- पाषाण काल (Stone age) – आरम्भ से 3500 B.C.
- ताम्रपाषाण काल (Copper-stone age) – 3500 B.C. से 1200 B.C.
- लौह काल (Iron Age) – after 1200 B.C.
पाषाण काल को आगे तीन भागो में विभाजित किया गया है:
-
- पुरा पाषाण काल (Paleolithic Age) — प्रारंभ से 10000 B.C.
- मध्य पाषाण काल (Mesolithic Age) — 10000 B.C. – 6000 B.C.
- नव पाषाण काल (Neolithic Age) — 6000 B.C. – 3500 B.C.
पुरा पाषाण काल (Palaeolithic Age):
- अभी तक भारत में पुरा-पाषाणकालीन मनुष्य के अवशेष कहीं से भी नहीं मिल पाये हैं, जो कुछ भी अवशेष के रूप में मिला है, वह है उस समय प्रयोग में लाये जाने वाले पत्थर के उपकरण।
- पुरा पाषाण काल में औजार पत्थरों (पाषण) के बने होते थे।
- इस समय में पशु- पक्षी बड़े आकर के होते थे।
- पशुओं को मारने के लिए पत्थरों से बने औजारों का प्रयोग किया जाता था।
- इस समय के मनुष्यों का जीवन पूर्णरूप से शिकार पर निर्भर था।
- गुफा चित्रकारी की शुरुआत हो गई थी – मध्य प्रदेश के भोपाल नगर के पास भीम बेटका में मिली पर्वत गुफायें एवं शैलाश्रृय।
पुरापाषाण काल के उपकरणों के आकार एवं जलवायु में होने वाले परिवर्तन के आधार पर इस काल को हम तीन वर्गो में विभाजित कर सकते हैं –
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- निम्न पुरा पाषाण काल (2,50,000-1,00,000 ई.पू.)
- मध्य पुरापाषाण काल (1,00,000- 40,000 ई.पू.)
- उच्च पुरापाषाण काल (40,000- 10,000 ई.पू.)
काल |
अवस्थाएं |
निम्न पुरापाषाण काल |
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मध्य पुरापाषाण काल |
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उच्च पुरापाषाण काल |
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प्रागैतिहासिक काल (Prehistoric Era) – विभाजन और प्रमुख तथ्य – Ancient History of India
पुरापाषाण काल के प्रमुख स्थल हैं:-
स्थल |
क्षेत्र |
पहलगाम |
कश्मीर |
वेनलघाटी |
इलाहाबाद ज़िला, उत्तर प्रदेश |
भीमबेटका और आदमगढ़ |
होशंगाबाद ज़िला, मध्य प्रदेश |
नेवासा |
अहमदनगर ज़िला, महाराष्ट्र |
हुंसगी |
गुलबर्गा ज़िला, कर्नाटक |
मध्य पाषाण काल (Mesolithic Age):
- मध्य पाषाण काल में उपयोग होने वाले उपकरण आकार में बहुत छोटे होते थे, जिन्हें “लघु पाषाणोपकरण माइक्रोलिक” कहते थे।
- धनुष बाण प्रोद्योगिकी का विकास हुआ।
- दफनाये जाने के साक्ष्य मिलते है।
- पशु पालन की शुरुआत हुई।
- घर बनाने की शुरुआत हुई।
- पशुपालन और घर बनाने के प्राचीनतम स्त्रोत मिलते है बागोर (राजस्थान), आजमगढ़ (मध्यप्रदेश)
- पशु-पक्षी आकर में छोटे एवम् फुर्तीले हो गए।
- मध्य पाषाण काल तक आते- आते बर्फ पिंगल चुकी थी।
- मौसम शुष्क हो गए थे।
- ऋतुएँ, वन, मैदान, चरागाह बन गए थे।
- मध्य पाषाणकालीन समय में भी मानव शिकार पर अधिक निर्भर था।
नव पाषाण काल (Neolithic Age):
- नव पाषाण काल को क्रान्तिकाल कहा गाया है।
- इस समय मानव “सभ्यता” के दरवाजे पर पहुँच गाया।
- नव पाषाण काल के समय में कृषि की शुरुआत हो गई और पशु पालन व्यवस्थित हो गया।
- स्थायी जीवन की शुरुआत और घर बनाने की परम्परा का व्यवस्थित ढगं।
- बस्तीयों में रहने की शुरुआत।
- आरम्भिक गाँव।
- चाक का आविष्कार।
- मिट्टी के बर्तन बनने की शुरुआत।
- पहिए का निर्माण।
- बैलगाड़ी का अविष्कार।
- आन्तरिक सम्पर्क (बस्तीयों के मध्य) की शुरुआत।
- छोटे लेवल पर व्यापार।
- घर्षित व पॉलिशवार औजारों का उपयोग होना शुरू हुआ।
- सेहट उपकरण (कुल्हाड़ीनुमा)
- बचत की शुरुआत।
- श्रम विभाजन की शुरुआत।
- वस्त्र का निर्माण।
- नव पाषाण के अंत तक अधिशेष उगाना शुरु हुआ।
- मानव द्वारा प्रयुक्त सर्वप्रथम अनाज जौ था (पहली फसले – जौं, गेहूं, खजूर, मसूर)
- इलाहाबाद के कोल्डीहवा स्थान से चावल की खेती के प्राचीनतम साक्ष्य मिले हैं।
- नवपाषाण युग के हथियार बिहार के चिरांद नामक स्थान से प्राप्त हुए हैं।
ताम्रपाषाण काल (Copper-stone age):
जिस काल में मनुष्य ने पत्थर और तांबे के औज़ारों का साथ-साथ प्रयोग किया, उस काल को ‘ताम्र-पाषाणिक काल’ कहते हैं।
- सर्वप्रथम जिस धातु को औज़ारों में प्रयुक्त किया गया वह थी – ‘तांबा’।
- तांबे का सर्वप्रथम प्रयोग क़रीब 5000 ई.पू. में किया गया।
- भारत में ताम्र पाषाण अवस्था के मुख्य क्षेत्र दक्षिण-पूर्वी राजस्थान, पश्चिमी महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग तथा दक्षिण-पूर्वी भारत में हैं।
- इस काल में लोग गेहूँ, धान और दाल की खेती करते थे।
- इस काल के लोग लेखन कला से अनभिज्ञ थे।
- यहाँ पर लोग ‘मातृदेवी’ की पूजा करते थे।
- तिथि क्रम के अनुसार भारत में ताम्र-पाषाण बस्तियों की अनेक शाखायें हैं। कुछ तो ‘प्राक् हड़प्पायी’ हैं, कुछ हड़प्पा संस्कृति के समकालीन हैं, कुछ और हड़प्पोत्तर काल की हैं।
- सर्वप्रथम चित्रित भांडों के अवशेष ‘ताम्र-पाषाणिक काल’ में ही मिलते हैं। इसी काल के लोगों ने सर्वप्रथम भारतीय प्राय:द्वीप में बड़े बड़े गांवों की स्थापना की।
लौह काल (Iron Age) –
इस काल में लौह धातु का उपयोग बढ़ गया था तथा औजार और अन्य उपकरणों में लौहा प्रमुख रूप से प्रयोग किया जाने लगा।
- यह काल मुख्यतः हड़प्पा काल से संबधित है, अत: इसे हम आगे पढेंगे।
प्राचीन इतिहास को जानने के स्त्रोत :
- साहित्यिक पुरातत्व सम्बन्धी साक्ष्य 3. धर्मग्रन्थ 4. एतिहासिक ग्रन्थ 5. विदेशियों का विवरण
प्रागैतिहासिक काल (Prehistoric Era) – विभाजन और प्रमुख तथ्य – Ancient History of India
Important points for Competitive Exams: –
- पहली कृषि बस्ति (घाटी) मेहरगढ़ (Now in Pakistan) से सर्व प्रथम (7000 ई.पू.) कृषि का साक्ष्य मिला है।
- मानव द्वारा प्रयुक्त सर्वप्रथम अनाज जौ था (पहली फसले – जौं,गेहूं, खजूर, मसूर)।
- नव पाषाण युग के हथियार बिहार के चिरांद नामक स्थान से प्राप्त हुए हैं।
- इलाहाबाद के कोल्डीहवा स्थान से चावल की कृषि के प्राचीनतम साक्ष्य मिले हैं।
- गर्तचूल्हे का प्राचीन साक्ष्य लंघनाज तथा सराय नाहर राय से मिला है।
- कुपगल तथा काडेकल, सग्नकल्लू (south India) से राख का टीला मिला है।
- बेलन घाटी (U.P.), चौपानी मांडो से पहला पत्थर औजार साक्ष्य मिला है।
- मानव द्वारा बनाया जाने वाला प्रथम औजार था – कुल्हाड़ी।
- मृदभांड निर्माण का प्राचीनतम साक्ष्य भी चौपानी मांडो से मिला है।
- मनुष्य के साथ पालतू पशुओं को दफनाने का साक्ष्य बुर्जहोम से मिला है।
- जेरिको विश्व की पहली कृषि बस्ती कहलाती है।
- “चार्ल्स डार्विन” द्वारा 24 नवंबर 1859 को “the Origin of Species” नामक पुस्तक प्रकाशित की गई थी। इसे विकासवादी जीवविज्ञान की नींव माना जाता है।
- सबसे पहले ‘मानव’ (होमिनिन) का उदय 5 से 7 मिलियन वर्ष पूर्व माना जाता है जब अफ्रीका में बंदर जैसे दिखने वाले मानव ने अपने दोनों पैरों पर खड़ा होकर चलना सिखा|
- ‘आस्ट्रेलोपिथेकस’ को प्रारंभिक मानव (होमिनिन) कहा जाता है जो अफ्रीका में मौजूद था।
- सबसे पहला उपकरण बनाने वाला मनुष्य – होमोइरेक्टस
- पहला अक्षरबध्द भाषा का प्रयोग करने वाला प्राचीन मनुष्य – नियंडर थल मानव (Neanderthal).
- पहला मानव जिसने दफनाना शुरु किया – नियंडर थल मानव (Neanderthal) in Germany.
- आधुनिक मानव का पिता कौन कहलाता है – क्रोमाग्नोंस (Cro-Magnons) जो की ज्ञानी मानव, भाला मानव था।
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