पृथ्वी के प्रमुख वायुदाब और ताप कटिबंध क्षेत्र (Thermal zones on Earth)- अक्षांशीय क्षेत्र
Competitive Geography topic – “पृथ्वी के प्रमुख वायुदाब और ताप कटिबंध क्षेत्र (Thermal zones on Earth)”, is important for all competitive exams like: CET (Common eligibility Test), SSC CGL, SSC CHSL, RRB NTPC, UPSC and other state civil services exams. In these exams, almost 4-5 questions are coming from Geography. Let’s start the topic:
पृथ्वी के प्रमुख वायुदाब और ताप कटिबंध क्षेत्र
(Thermal zones on Earth)
दो अक्षांश रेखाओं (Latitude lines) के बीच के क्षेत्र को कटिबंध कहते है।
उष्ण कटिबंध (Tropical Zone):
कर्क रेखा एवं मकर रेखा के बीच स्थित क्षेत्र को उष्णकटिबंध क्षेत्र कहते है। यह क्षेत्र भूमध्य रेखा के 23½° उत्तरी अक्षांश से 23½° दक्षिण अक्षांश तक स्थित है।
- कर्क रेखा एवं मकर रेखा के बीच के सभी अक्षांशों पर सूर्य वर्ष में एक बार दोपहर में सिर के ठीक ऊपर होता है। इसलिए इस क्षेत्र में सबसे अधिक ऊष्मा (Heat) प्राप्त होती है इसलिए इस क्षेत्र को ‘उष्णकटिबंध क्षेत्र’ कहा जाता है।
- यहाँ का औसत तापमान है जो वर्ष के दौरान 18 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है।
- कुछ उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पूरे वर्ष वर्षा होती है।
- विश्व का सबसे प्रसिद्ध वर्षा वन इसी क्षेत्र में पाए जाते हैं।
- यह सबसे अधिक गर्मी और वर्षा दोनों का क्षेत्र हैं।
शीतोष्ण कटिबंध (Temperate Zone):
उत्तरी गोलार्ध में कर्क रेखा एवं आर्कटिक वृत्त (23½° N से 66½°N अक्षांश) तथा दक्षिणी गोलार्ध में मकर रेखा एवं अंटार्कटिक वृत्त (23½°S से 66½°S अक्षांश) के बीच वाले क्षेत्र को ‘शीतोष्ण कटिबंध क्षेत्र’ कहा जाता है।
- यहाँ का तापमान मध्यम रहता है। उत्तरी गोलार्ध में ग्रीष्म ऋतु होती है, तो दक्षिणी गोलार्ध में शीत ऋतु होती है। इसलिए इसे शीतोष्ण कटिबंध कहा जाता है।
- कर्क रेखा तथा मकर रेखा के बाद किसी भी अक्षांश पर दोपहर का सूर्य कभी भी सिर के ऊपर नहीं होता है। ध्रुव की तरफ सूर्य की किरणें तिरछी होती जाती हैं।
शीत कटिबंध (Cold Tropics):
उत्तरी गोलार्ध में आर्कटिक वृत्त (66½°N अक्षांश) से उत्तरी ध्रुव (90°N) तक के तथा दक्षिणी गोलार्ध में अंटार्कटिक वृत्त (66½°S अक्षांश) से दक्षिणी ध्रुव (90°S) के बीच के क्षेत्र को शीत कटिबंध क्षेत्र कहते हैं।
- इस क्षेत्र बहुत ठंड होती है क्योंकि यहाँ सूर्य क्षितिज से ज़्यादा ऊपर नहीं आ पाता है। इसलिए इसे ‘शीत कटिबंध’ कहा जाता है।
- शीत कटिबंध में हमेशा सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती है, इसलिए दोनों ही ध्रुवों पर लगभग 6 माह तक दिन और 6 माह तक रात रहती है।
- शीत कटिबंध पर ताप अत्यंत ही कम रहता है। यह संसार का सर्वाधिक ठंडा प्रदेश है। यहॉं धरातल पर सदैव बर्फ की मोटी परत जमी रहती है।
अश्व अक्षांश (Horse latitude):
अश्व अक्षांश भूमध्य रेखा के 30 डिग्री से 35 डिग्री उत्तर व दक्षिण अर्थात् उत्तरी एवं दक्षिणी दोनों गोलार्धों में पाये जाने वाली एक उपोष्ण कटिबंधीय उच्च वायुदाब पेटी है।
- यह पेटी पछुवा तथा व्यापारिक पवनों की पेटियों के बीच में होती है और काफी शांत होती है। अत: यहां वायुमण्डल में स्थिरता और पवन संचार अत्यंत मंद होता है। यह हर साल कुछ डिग्री उत्तर या दक्षिण में खिसकती रहती है। इस क्षेत्र में कम वर्षा होती है।
- प्राचीन काल में जब घोड़े से लदे हुए जलयान इस पेटी में प्रवेश करते थे, तो शांत एवं अनिश्चित दिशा वाली पवनों के कारण उनके संचालन में कठिनाइयां आती थीं, जिस कारण जहाज को हल्का करने के लिए कुछ घोड़ों (अश्व) को सागर में फेंकना पड़ता था। इसी कारण इस पेटी को ‘अश्व अक्षांश’ (Horse latitude) कहा जाने लगा।
शांत पवन पेटी (Doldrums):
- भूमध्यरेखा के निकट 5° डिग्री उत्तरी और 5° दक्षिणी अक्षाशों के क्षेत्र को डोलड्रम या शान्त पवन पेटी कहते हैं।
- इस पेटी पर औसत दाब 1013 मिलीबार से कम होता है। चूँकि इस क्षेत्र में उच्च ताप होता है, जिसके फलस्वरूप वायु गर्म होकर विषुवतीय क्षेत्र पर ऊपर की ओर उठती है और निम्न दाब पेटी का निर्माण करती है।
- इस क्षेत्र में पवनें शान्त होती है, इसलिए इसे “शान्त पेटी या डोलड्रम” कहतें हैं।
- इस क्षेत्र में पूरे वर्ष वर्षा होती रहती है।
- विश्व के सबसे घने जंगल इसी क्षेत्र में पाए जाते हैं।
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अक्षांश रेखाएँ और अक्षांश क्षेत्र (Latitude Lines on Earth)
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