पाषाण-काल और हड़प्पा सभ्यता काल में हरियाणा का इतिहास
Haryana GK topic – “पाषाण-काल और हड़प्पा सभ्यता काल में हरियाणा का इतिहास (Ancient History of Haryana)”, is most important section of haryana gk for HSSC and HCS exams. Many Questions were asked in pervious year’s Haryana state competitive exams from these haryana gk topics. Let’s start the topic:
पाषाण-काल और हड़प्पा सभ्यता काल में हरियाणा का इतिहास
पाषाणिक युग में हरियाणा – प्रारंभिक साक्ष्यों के अनुसार “डॉ० गाई पिलग्रिम” ने पुरापाषाणकाल में मुख्यतः 2 क्षेत्र बताये हैं, जो हरियाणा से जुड़े थे –
-
- अरावली क्षेत्र – फिरोजपुर झिरका (मेवात), कोटला (दिल्ली)|
- शिवालिक क्षेत्र – कालका, पिंजौर(मानव कपाल), स्केतडी (पंचकुला)|
पाषण काल में मुख्यतः दो प्रकार के हथियारों का प्रयोग होता था : – कोर और फ्लेक
- कोर : इसमें पाषण (पत्थर) के अंदुरनी हिस्से को नुकीला और धारदार करके हथियार के रूप में प्रयोग में लाया जाता था| ये मुख्यतः पुरा-पाषणकाल में प्रयोग में थे जो की वजन में भरी होते थे|
- फ्लेक :- ये उत्तर पुरा-पाषणकाल और मध्य पाषण काल के हथियार थे जो धातु और लकड़ी से बने कोर हथियारों से नुकीले और हल्के हथियार थे
अधो-इतिहास काल – इस काल की कोई लिपी नहीं मिली अर्थात इसके लिखित साक्ष्य तो है परन्तु वे पढ़े नहीं गए हैं।
उदाहरण – हड़प्पा सभ्यता (सिंधु घाटी की सभ्यता), सीसवाल सभ्यता(यह हड़प्पा सभ्यता का ही भाग है)
- सीसवाल सभ्यता –
- यह सभ्यता मुख्य रूप से “ हिसार “ जिले में है जिसकी खुदाई पंजाब university के prof. डॉ. सूरजभान के नेतृत्व में 1968 ई०में की गई।
- यह हिसार, सिरसा, रेवाड़ी, गुरुग्राम आदि क्षेत्रों में फैली हुई है।
- हड़का संस्कृति :-
- यह संस्कृति, हड़प्पा सभ्यता से पूर्व की आरम्भिक कृषि संस्कृति है|
- इस संस्कृति के अवशेष हड़का (घग्घर नदी) नदी के बहाव क्षेत्र में मिले हैं जो अधिकतर पाकिस्तान में है|
- हरियाणा में इस संस्कृति के प्रमाण सर्वप्रथम कुणाल-क्षेत्र से प्राप्त हुए हैं|
- हड़प्पा सभ्यता :–
- यह नगरीय एवं कांस्ययुगीन सभ्यता है।
- हड़प्पा की लिपी भी आज तक पढ़ी नहीं गई है।
- इसका समाज जाति पर आधारित नहीं था।
- यहाँ से ऐसी मुद्राएँ प्राप्त हुई है जिन पर हिरन ,दरियाई घोडा, बकरे अंकित है।
- कुछ विद्वानों के अनुसार सैंधववासी ऑस्ट्रेलॉयड या द्रविड़ थे परन्तु R.C मजूमदार के अनुसार ये आर्य थे।
- ये बैल, बकरी, भेड़, गधे, भैंस आदि पाले जाते थे। परन्तु घोड़ो के संबंध में कोई जानकारी नहीं मिली।
- ये हरियाणा के सिंधवासी भूत -प्रेत तथा प्राकृतिक शक्तियों में विश्वास रखते थे।
हड़प्पा सभ्यता के महत्वपूर्ण स्थल –
- मिताथल –
- यह भिवानी जिले के अंतर्गत आती है ,जिसकी खुदाई का श्रेय डॉ. सूरजभान को (1968 में) जाता है|
- यहाँ से खुदाई के दौरान चौपड़ बिसात के नमूने एवं ताँबे की कुल्हाड़ी प्राप्त हुई।
- बनावली –
- यह फतेहाबाद जिले में था। जो सरस्वती नदी के किनारे है।
- इसकी खोज R.S. बिष्ट ने (1973 -77) में की थी यहाँ पर मिट्टी का बना ” हल और जौ ” के साक्ष्य मिले।
- यहाँ पर नगर “शतरंज” आकार के थे।
अन्य साक्ष्य –
-
- जुते हुए खेत के साक्ष्य|
- बैलगाड़ी के पहियों के निशान|
- मातृदेवी की मृण्मूर्तियाँ (एकमात्र)|
- यहाँ से एक मुद्रा मिली जिस पर विचित्र पशु अंकित है जिसका धड़ सिंह की तरह तथा सींग बैल की तरह है|
- कुणाल (रतिया) –
- यह फतेहाबाद में सरस्वती नदी के किनारे स्थित है।
- यहाँ पर सोने व चाँदी के गहने मिले है यहाँ से गर्त निवास के साक्ष्य मिले है|
- यहाँ से खुदाई के दौरान दो शाही मुकुट भी मिले है।
- इसकी खोज जे.एस खत्री तथा एम. आचार्य ने की।
- हाल ही में, गांव कुनाल में हड़प्पाकाल से भी प्राचीन सभ्यता के संकेत मिले हैं। खुदाई के दौरान टीम को आभूषण, मणके, हड्डियों के मोती मिले हैं।
- हड़प्पाकालीन सभ्यता करीब 3500 साल पुरानी है जबकि प्री-हड़प्पाकालीन सभ्यता तो 5000 से 6000 वर्ष पुरानी है।
- भिरड़ाना –
- यह फतेहाबाद में सरस्वती नदी के तट पर है।
- इसकी खुदाई L.S. राव ने (2003 -04 ) में की।
- राखीगढ़ी –
- यह हिसार जिले में चेतांग नदी के किनारे पर स्थित है।
- यह भारत का सबसे विशाल टीला है।
- इसकी खुदाई डॉ. अमरेन्द्र नाथ ने करवाई थी।
- यहाँ पर गेहूँ ,चावल के साक्ष्य मिले है।
- यहाँ “मृतकों को लंबे गड्डे” में दफनाया जाता था और इनके साथ कुछ और सामान भी मिलता था।
- यहाँ ईंटो के अन्नागारों के अवशेष मिले।
- बालू –
- यह कैथल में स्थित है|
- इसकी खोज 1977 में डॉ. सूरजभान व डॉ. जिम ले. ने की थी।
- भगवानपुर –
- यह कुरुक्षेत्र में सरस्वती नदी के किनारे पर स्थित है|
- यहाँ काँच व ताँबे की चूड़ियाँ मिली।
- इसकी खुदाई (1975 -76) में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने की थी।
- गिरावड़ –
- यह रोहतक की तहसील महम के अंतर्गत आता है।
- इसकी खुदाई 2006 में विवेक दांगी में करवायी थी।
- यहाँ से मृदभाण्ड पकाने की दो भट्टियाँ भी मिली।
- मदीना –
- यह भी महम (रोहतक) के अंतर्गत आता है।
- इसकी खुदाई (2007 -08) में डॉ.मनमोहन कुमार ने करवायी थी।
- फरमाणा खास – (दक्ष खेड़ा) –
- यह भी महम में आता है।
- यहाँ भी खुदाई के दौरान कब्रिस्तान के अवशेष मिले और इस खुदाई का श्रेय डॉ. विवेक दांगी को मिला।
- अन्य अवशेष – मानव खोपड़ी, चित्रित मृदभांड, शवदान के साथ कीमती सामान, टेराकोटा उद्योग|
- दौलतपुर –
- यह थानेसर में है जो चेतांग नदी के किनारे स्थित है।
- इसकी खुदाई प्राचीन संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के द्वारा करवाई गई।
हड़प्पा के पतन के साक्ष्य –
- जॉन व्हीलर के अनुसार – आर्यनस के आगमन (आर्य लोगों के हमले से) से हड़प्पा सभ्यता का अंत हुआ।
- मैक्समूलर के अनुसार – बाढ़ (प्राकृतिक आपदाओं) के आने से हड़प्पा सभ्यता का अंत हुआ।
पाषाण-काल और हड़प्पा सभ्यता काल में हरियाणा का इतिहास (Ancient History of Haryana)
If you like and think that haryana gk article – पाषाण-काल और हड़प्पा सभ्यता काल में हरियाणा का इतिहास – Ancient History of Haryana, is helpful for you, Please comment us. Your comments/suggestions would be greatly appreciated. Thank you to be here. Regards – Team SukRaj Classes.