अक्षांश रेखाएँ और अक्षांश क्षेत्र (Latitude Lines on Earth) – काल्पनिक रेखाएं
Competitive Geography topic – “अक्षांश रेखाएँ और अक्षांश क्षेत्र (Latitude Lines on Earth)”, is important for all competitive exams like: CET (Common eligibility Test), SSC CGL, SSC CHSL, RRB NTPC, UPSC and other state civil services exams. In these exams, almost 4-5 questions are coming from Geography. Let’s start the topic:
अक्षांश रेखाएँ और अक्षांश क्षेत्र
(Latitude Lines on Earth)
पृथ्वी पर किसी स्थान की सही स्थिति को जानने और दर्शाने के लिए अक्षांश (latitude) तथा देशांतर (longitude) रेखाओं का उपयोग किया जाता है।
- अक्षांश और देशांतर रेखाएँ पृथ्वी की काल्पनिक रेखाएँ हैं, जिन्हें ग्लोब या मानचित्र पर किसी स्थान की भौगोलिक स्थिति का निर्धारण करने के लिए बनाया गया है। इन रेखाओं को समझने के लिए सबसे पहले ग्लोब पर अंकित दो बिंदुओं को जानना व समझना होगा, जिन्हें “अक्ष” कहते हैं।
- अक्ष (Axis): पृथ्वी जिस काल्पनिक रेखा पर घूर्णन करती है, उसे अक्ष कहते हैं।
- उत्तरी ध्रुव व दक्षिणी ध्रुव (Poles):
- पृथ्वी द्वारा अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की दिशा में घूर्णन करने से दो प्राकृतिक संदर्भ बिन्दु प्राप्त होते हैं, जिन्हें “उत्तरी ध्रुव व दक्षिणी ध्रुव” के नाम से जाना जाता है।
- एक बिंदु ग्लोब के ठीक उपर होता है, जिसे उतरी ध्रुव (90°N) कहते हैं। दूसरा बिंदु ग्लोब के एकदम नीचे की ओर होता है, जिसे दक्षिणी ध्रुव (90°S) कहा जाता है। ये धरती के दो छोर हैं और दोनों ही ध्रुवों पर लगभग 6 माह तक दिन और 6 माह तक रात रहती है।
अक्षांश रेखाएँ (Latitude lines):
- भूमध्य रेखा या विषुवत वृत्त के समानांतर पूर्व से पश्चिम दिशा में ध्रुवों (उत्तरी व दक्षिणी ध्रुव) तक खींची गई रेखाओं को अक्षांश (latitude) रेखा कहते है।
- अक्षांश रेखाएं काल्पनिक रेखाएं हैं।
- किसी स्थान का अक्षांश, धरातल पर उस स्थान की ‘उत्तर-दक्षिण’ स्थिति को दर्शाता है।
- अक्षांश को अंश में मापा जाता है।
- भूमध्य रेखा (Equator) 0° अक्षांश सबसे बड़ां अक्षांशीय वृत्त बनाता है।
- भूमध्य रेखा (Equator) के उतर की ओर सभी समांनातर वृत्त को उत्तरी अक्षांश और दक्षिणी की ओर सभी समांनातर वृत्त को दक्षिणी अक्षांश कहा जाता है।
- इस तरह 90 अक्षांश उतरी गोलार्ध में और 90 अक्षांश दक्षिणी गोलार्ध में खीचें गए हैं। इस प्रकार ग्लोब पर भूमध्य रेखा (0°) को मिला कर अक्षांशों की कुल संख्या 181 है।
- सभी अक्षांश रेखाएँ (Latitude lines) परस्पर समानांतर और पूर्ण वृत्त होती हैं।
- विषुवत रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर अक्षांश रेखाओं (वृत्त )का आकार क्रमशः छोटा होता जाता है और अंत में ये रेखाएँ उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव पर बिंदु में परिवर्तित हो जाती हैं।
- अत: विषुवत वृत्त का मान (0°) है एवं उत्तरी ध्रुव (North Pole) के अक्षांश (latitude) 90° व दक्षिणी ध्रुव (South Pole) के अक्षांश (latitude) 90° दक्षिण है।
- अक्षांश रेखाएँ प्रत्येक एक डिग्री (10) के अन्तराल पर दोनों ध्रुवों तक खींची गयी हैं।
- प्रति 1 डिग्री की अक्षांशीय दूरी लगभग 111 किलोमीटर होती है। पृथ्वी के प्रत्येक स्थान पर इसका मान एक जैसा नहीं होता। इसकी लंबाई में परिवर्तन होता रहता है।
- विषुवत वृत्त पर इसकी लंबाई 6 किलोमीटर तथा ध्रुवों पर 111.7 किलोमीटर है।
- 23 डिग्री उत्तरी अक्षांश को कर्क रेखा और 23 डिग्री दक्षिणी अक्षांश को मकर रेखा के नाम से जाना जाता है।
- सबसे बड़ी अक्षांश रेखा भूमध्य रेखा होती है जबकि सबसे छोटी अक्षांश रेखा ध्रुव होती है।
महत्त्वपूर्ण अक्षांश रेखाएँ:
- विषुवत् वृत्त या भूमध्य रेखा (0°) (Equator Line)
- उत्तर ध्रुव (90° N)
- दक्षिण ध्रुव (90° S)
- उत्तरी गोलार्ध में कर्क रेखा (23 ° उ.) (Tropic Of Cancer)
- दक्षिणी गोलार्ध में मकर रेखा (23 ° द) (Tropic Of Capricorn)
- विषुवत वृत्त के 661⁄2° N उतर में आर्कटिक वृत्त या उत्तरी ध्रुव वृत्त
- विषुवत वृत्त के 661⁄2° S दक्षिणी में अंटार्कटिक वृत्त या दक्षिणी ध्रुव वृत्त
विषुवत या भूमध्य रेखा (Equator Line):-
ग्लोब पर दोनों ध्रुवों के मध्य एक वृत्त खिंचा हुआ दिखाई देता है। यह वृत्त एक काल्पनिक रेखा है, जो उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव से बराबर दूरी पर होता है और पृथ्वी को दो बराबर भागों (उत्तरी गोलार्ध एवं दक्षिणी गोलार्ध) में विभाजित करता है।
- विषुवत रेखा के उत्तरी भाग को उत्तरी गोलार्ध और दक्षिणी भाग को दक्षिणी गोलार्ध कहते हैं।
- भूमध्य रेखा (Equator) को (0°) की अक्षांश रेखा नाम से भी जाना जाता है।
- सूर्य की किरणें पूरे वर्ष भूमध्य रेखा पर लगभग लम्बवत पड़ती हैं, जिससे भूमध्य रेखा पर अत्यधिक सूर्याताप की प्राप्ति होती है। इसी कारण भूमध्य रेखा पर तापमान सदैव उच्च बना रहता है।
- भूमध्य रेखा पर सूर्य की किरणें पूरे वर्ष लगभग लम्बवत पड़ने की वजह से भूमध्य रेखा पर दिन एवं रात की अवधि पूरे वर्ष लगभग बराबर होती है।
- भूमध्य रेखा पर सूर्य की किरणें एकदम लम्बवत वर्ष में दो बार (21 मार्च एवं 23 सितंबर) पड़ती है, जिससे दो बार (21 मार्च एवं 23 सितंबर) रात और दिन बिलकुल बराबर होते हैं।
- भूमध्य रेखा 3 महाद्वीपों: दक्षिण अमेरिका, एशिया, और अफ्रीका महाद्वीप के कुल 13 देशों से होकर गुजरती है।
- विक्टोरिया झील भूमध्य रेखा पर स्थित है। विक्टोरिया झील ही श्वेत-नील नदी का उद्गम स्थल है। विक्टोरिया झील से तीन देश- तंजानिया, युगांडा और केन्या सीमा बनाते हैं।
- ‘कान्गो नदी’ (जायरे नदी) अफ्रीका महाद्वीप में भूमध्य रेखा को दो बार काटती है।
- पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण बल का मान भूमध्य रेखा की अपेक्षा ध्रुवों पर अधिक होता है। भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर यह मान क्रमशः बढ़ता जाता है। ध्रुवों पर यह सर्वाधिक होता है क्योंकि गुरूत्वाकर्षण बल (g) का मान पृथ्वी की त्रिज्या पर निर्भर करता है और हम जानते हैं की पृथ्वी पूरी तरह से गोल न होकर चपटी या अंडाकार है, जिसके कारण पृथ्वी के केन्द्र से ध्रुवों की दूरी, भूमध्य रेखा की अपेक्षा कम है।
- भूमध्य रेखा के निकट 5° डिग्री उत्तरी और 5° दक्षिणी अक्षाशों के क्षेत्र को “डोलड्रम या शान्त पवन पेटी” कहते हैं।
- इस क्षेत्र में पूरे वर्ष वर्षा होती रहती है।
- विश्व के सबसे घने जंगल इसी क्षेत्र में पाए जाते हैं।
कर्क रेखा/कर्क वृत्त (Tropic Of Cancer):
कर्क रेखा उत्तरी गोलार्ध में भूमध्य रेखा के समानान्तर स्थित 23½° उत्तरी अक्षांश रेखा को कहते हैं। यह ग्लोब या मानचित्र पर खींची गई कल्पनिक रेखा हैं। कर्क रेखा उत्तरी गोलार्ध में स्थित सबसे उत्तरी अक्षांश है जिस पर सूर्य की किरणें लगभग लम्बवत पड़ती है।
- सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर लम्बवत पड़ने के कारण कर्क रेखा पर स्थित क्षेत्रों में परछाईं एकदम नीचे बनती है या कह सकते हैं की परछाईं नहीं बनती है। इसलिए इन क्षेत्रों को ‘नो शैडो ज़ोन’ (परछाई रहित क्षेत्र)कहा गया है।
- 21 जून को सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर एकदम लम्बवत पड़ती है l इस दिन उत्तरी गोलार्ध का सबसे बड़ा दिन होता है जबकि रात सबसे छोटी होती है l इसे ‘ग्रीष्म अयनांत’ (Summer Solstice) कहते है और इस पूरी घटना को “जून क्रांति” का नाम दिया गया है l सूर्य की किरणें यहाँ लम्बवत पड़ने से यहाँ इस दिन सबसे अधिक गर्मी होती है।
- कर्क रेखा उतरी अमेरिका, एशिया महाद्वीप और अफ्रीका महाद्वीप के कुछ देशों से होकर गुजरती है।
- माही नदी भारत में कर्क रेखा को दो बार काटती है।
- कर्क रेखा भारत में उज्जैन शहर से गुजरती है। जयपुर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने इसी वजह से खगोल-शास्त्र के अध्ययन के लिए यहां वेधशाला बनवाई जिसे जंतर-मंतर कहते हैं। इस कारण ही यह स्थान काल-गणना के लिए एकदम सटीक माना जाता है। यहां से अधिकतर हिन्दू पंचांग निकलते हैं।
मकर रेखा/मकर वृत्त (Tropic Of Capricorn):
पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध में भूमध्य रेखा के समानांतर स्थित 23½° दक्षिणी अक्षांश रेखा मकर रेखा/वृत्त को प्रदर्शित करती है। यह ग्लोब पर खींची गई एक कल्पनिक रेखा हैं।
- मकर रेखा दक्षिणी गोलार्ध में स्थित सबसे दक्षिणी अक्षांश है, जिस पर सूर्य की किरणें लम्बवत पड़ती है।
- 22 दिसंबर को सूर्य की किरणें मकर रेखा पर एकदम लम्बवत पड़ती हैं। इसलिए इस दिन (22 Dec) दक्षिणी गोलार्ध में सबसे बड़ा दिन होता है जबकि रात छोटी होती है, जिसे ‘शीत अयनांत’ (Winter Solstice) कहते है और इस पूरी घटना को “दिसंबर संक्रांति” कहा जाता है।
- 22 दिसंबर के बाद सूर्य दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध की ओर जाने लगता है l इस वजह से उत्तरी गोलार्ध में दिन लम्बे एवं रातें छोटी होने लग जाती हैं।
- जब सूर्य दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध की ओर जाता है तो इसे उत्तरायण एवं जब उत्तरी गोलार्ध से दक्षिणी गोलार्ध की ओर जाता है तो इसे दक्षिणायन कहा जाता है।
- यह दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका महाद्वीप तथा आस्ट्रेलिया महाद्वीप के कुछ देशों से होकर गुजरती है।
- “लिम्पोपो नदी” अफ्रीका महाद्वीप में मकर रेखा को दो बार काटती है।
आर्कटिक वृत्त (Arctic Circle):
विषुवत वृत्त के 66 ½° N उतर (उत्तरी गोलार्ध) में स्थित अक्षांश रेखा को आर्कटिक वृत्त या उत्तरी ध्रुव वृत्त कहा जाता है।
- आर्कटिक वृत्त पर सूर्य की किरणें अत्यंत तिरछी पड़ती हैं, जिससे सूर्य का ताप कम पहुंच पाता है। अतः यह अत्यधिक शीतल जलवायु वाला प्रदेश है।
- आर्कटिक वृत्त वह क्षेत्र है जहाँ सूरज लगातार चौबीस घंटे के लिए क्षितिज के ऊपर या चौबीस घंटे के लिए क्षितिज के नीचे रह सकता है।
- 21 जून के आस-पास (जून संक्रांति) के समय यहाँ कम से कम 24 घंटो के लिए सूर्यास्त नहीं होता अर्थात, सूर्य आधी रात को भी दिखाई देता है। जबकि 22 दिसंबर को (दिसंबर संक्रांति) के समय कम से कम 24 घंटो के लिए यहाँ सूर्योदय नहीं होता अर्थात्त सूर्य दोपहर में भी दिखाई नहीं देता है।
- आर्कटिक वृत्त या रेखा तीन महाद्वीपों के 9 देशों- आर्कटिक महासागर, फ़िनलैंड, ग्रीनलैंड, आइसलैंड, उत्तरी कनाडा, नॉर्वे, उत्तर रूस, स्वीडन और अलास्का के कुछ हिस्से से होकर गुजरती है।
अंटार्कटिक वृत्त (Antarctic Circle):
विषुवत वृत्त के 66 ½° S (दक्षिणी गोलार्ध) में स्थित अक्षांश रेखा को अंटार्कटिक वृत्त या दक्षिणी ध्रुव वृत्त कहा जाता है।
- अंटार्कटिक वृत्त पर आर्कटिक वृत्त की भांति सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैl इसका अधिकतर हिस्सा बर्फ से ढका रहता है इसलिए इसे “सफ़ेद महाद्वीप” भी कहा जाता है।
- आर्कटिक वृत्त के विपरीत यहाँ 22 दिसंबर (दिसंबर संक्रांति) को यहाँ कम से कम 24 घंटो के लिए सूर्यास्त नहीं होता जबकि 21 जून के आस-पास (जून संक्रांति) के समय यहाँ सूर्योदय नहीं होता।
- अंटार्कटिक वृत्त पर केवल अंटार्कटिक महाद्वीप स्थित है।
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